FASTag fraud : सावधान! सामने आया फास्टैग धोखाधड़ी मामला, बना जालसाजों की ठगी का नया तरीका

Shri Mi
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नईदिल्ली।साइबर क्राइम के बढ़ते मामलों को देखते हुए हिमाचल प्रदेश सीआइडी का साइबर सेल सतर्क हो गया है. फास्टैग लॉन्च होने के बाद अब इसके जरिए धोखाधड़ी भी की जा रही है. लोगों को ठगने के लिए जालसाजों ने नया तरीका ढुंढ़ लिया है. ऐसा लग रहा है कि फास्टैग भी ऑनलाइन फ्रॉड का नया जरिया बन गया है. लोगों के खाते से अपने आप पैसे कट रहे हैं. ऐसा ही पहला मामला सामने आया है. बैंक से मैसेज आने पर पीड़ित बिल्कुल सन्न रह गए. फास्टैग का मामला मानेसर टोल ब्रिज का है.सीजीवालडॉटकॉम के व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक कीजिए

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार राजा विश्वास नामक व्यक्ति के पास एचडीएफसी बैंक के रजिस्टर्ड नंबर से मैसेज आया. जिसमें लिखा था कि उनके खाते से पैसे कट गए हैं. मैसेज देखते ही वे सन्न रह गए. उन्हें लगा कि उनकी गाड़ी चोरी हो गई. जब उन्होंने अपनी गाड़ी चेक की तो गाड़ी घर पर ही थी. फिर उन्हें लगा कि शायद उनकी फास्टैग किट चोरी हो गई है. खोजने पर पता चला कि किट भी घर पर ही है. इस दौरान पीड़ित राजा विश्वास की सांसें अटक सी गई थीं. 

बैंक के ग्राहक सेवा केंद्र में बात की, तो उन्होंने 24 घंटे का वक्त ले लिया. उन्होंने कहा कि वे 24 घंटे बाद ही स्थिति साफ कर पाएंगे. अब सवाल यह उठता है कि बिना गाड़ी और फास्टैग के खाते से पैसे कैसे कट गए. गाड़ी घर पर मौजूद है. उसका फास्टैग भी घर पर है, तो आखिर पैसे कैसे कट गए? इस तरह की धोखाधड़ी से लोगों में डर पैदा हो सकता है. लोग दहशत में आ सकते हैं. सबसे बड़ा सवाल यह है कि फास्टैग को केंद्र सरकार ने लॉन्च किया है. सरकारी चीजों में इतनी बड़ी धोखाधड़ी आखिर कैसे हुई? हालांकि पिछले कुछ दिनों से डिजिटल फ्रॉड के मामले बढ़ गए हैं.

गृह मंत्रालय ने जारी की एडवायजरी :

अब फास्टैग एल्लीकेशन के नाम पर भी शातिर ठगी कर रहे हैं. इस संबंध में गृह मंत्रालय ने एडवायजरी जारी की है. इसे सीआइडी ने गंभीरता से लिया है. वाहनधारकों को सलाह दी गई है कि वे फास्टैग के लिए अपने वाहन राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) के माध्यम से ही अधिकृत एप्लीकेशन में पंजीकृत करवाएं.

बैंक अधिकारी बनकर ठग किसी से भी बैंक खाते का वन टाइम पासवर्ड (ओटीपी) मांग सकते हैं. अगर यह ओटीपी साझा हो गया तो फिर आपके खाते से लाखों रुपये उड़ाए जा सकते हैं. जालसाज स्मार्टफोन पर संदेश देकर नई व्यवस्था में पंजीकरण के लिए छूट देने का झांसा दे सकते हैं. उनके झांसे में न आएं.

क्‍या है फास्टैग :

दरअसल फास्टैग एक इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन तकनीक (Electronic Toll Collection) है जो नेशनल हाईवे के टोल प्लाजा पर है. इस टैग को वाहन के विंडस्क्रीन पर लगाया जाता है ताकि टोल प्लाजा पर मौजूद सेंसर इसे पढ़ सके. जब कोई वाहन टोल प्लाजा पर फास्टैग लेन से गुजरती है तो ऑटोमैटिक रूप से टोल चार्ज कट जाता है. इसके लिए वाहनों को रुकना नहीं पड़ता है. फास्टैग 5 साल के लिए एक्टिवेट रहता है. इसे बस समय पर रिचार्ज करना पड़ता है.

फास्टैग के फायदे :

इस्तेमाल करने का सबसे बड़ा फायदा ये है टोल प्लाजा पर लंबी लाइने नहीं लगानी पड़ती है. साथ ही पेमेंट की सहूलियत की वजह से किसी को नकदी साथ में रखने की जरूरत नहीं होती. टोल प्लाजा पर पेपर का इस्तेमाल भी कम होता है. लेन में वाहनों की लंबी लाइने कम होने की वजह से प्रदूषण भी कम होता है. फास्टैग के इस्तेमाल पर कई तरह का कैशबैक व अन्य ऑफर भी मिलता है.

कहां मिलेगाः

नई गाड़ी खरीदते समय ही डीलर जैसे आरसी देता है वैसे ही आपको फास्टैग भी देगा, इसके लिए आपको चार्ज देना पड़ेगा. पुराने वाहनों के लिए इसे नेशनल हाईवे के प्वाइंट ऑफ सेल अथवा प्राइवेट सेक्टर के बैंकों से भी खरीद सकते हैं. इनमें सिंडिकेट बैंक, Axis बैंक, IDFC बैंक, HDFC बैंक, SBI बैंक, और ICICI बैंक से प्राप्त कर सकते है. Paytm से भी फास्टैग खरीद सकते हैं.

इन दास्‍तावेजों की जरूरतः

वाहन का रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट यानी आरसी, वाहन मालिक का पासपोर्ट साइज फोटो और केवाईसी डॉक्युमेन्ट्स होना चाहिए. इनमें आप ड्राइविंग लाइसेंस, पैन कार्ड, पासपोर्ट, वोटर आईडी कार्ड या आधार कार्ड शामिल हो सकता है. डॉक्युमेन्ट्स की जरूरतें इस बात पर भी निर्भर करती है कि आपका वाहन प्राइवेट या कॉमर्शियल है.

ऐसे करें इस्‍तेमालः

प्लास्टिक कवरिंग उतारकर इसे वाहन के विंड स्क्रीन पर लगाएं. इसे अपने ऑनलाइन वॉलेट से लिंक करें. इसके लिए उन्हें उस बैंक के वेबसाइट पर जाना होगा जिनसे फास्टैग खरीदा गया है. उसके बाद दिए गए स्टेप को फॉलो करने के बाद इस्तेमाल किया जा सकता है. इस वॉलेट को ऑनलाइन रिचार्ज किया जा सकता है. फास्टैग अकाउंट से हर बार पैसे कटने के बाद इसका एक एसएमएस अलर्ट भी आएगा.

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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