‘राइट टू साइट विजन’ के मकसद से राजस्थान में ब्लाइंडनेस कंट्रोलिंग पॉलिसी लागू कर दी गई है। प्रदेश में 3 लाख से ज्यादा आंखों की विकलांगता वाले लोगों के जीवन में रोशनी लाने के मकसद से यह पॉलिसी बनाई गई है। निरोगी राजस्थान के सपने को साकार करने की दिशा में भी इसे बड़ा महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।First state to implement blindness controlling policy
सरकारी मेडिकल कॉलेजों में केराटोप्लास्टी सेंटर और आई बैंक चलाए जाएंगे
blindness controlling policy-पॉलिसी डॉक्यूमेंट के तहत सभी सरकारी मेडिकल कॉलेजों में अनिवार्य रूप से केराटोप्लास्टी प्लास्टिक सेंटर और आई बैंक चलाए जाएंगे। कॉर्नियल ट्रांसप्लांट सेंटर , नेत्र बैंकों की स्थापना के साथ ही स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों के लिए स्पेशल स्किल डेवलपमेंट ट्रेनिंग प्रोग्राम भी चलाए जाएंगे। ब्लाइंडनेस कंट्रोलिंग के एरिया में काम कर रहे एनजीओ, सेल्फ हेल्प ग्रुप्स, ट्रस्ट, चेरिटेबल हॉस्पिटल और चेरिटेबल संस्थाओं के साथ मिलकर सरकार काम करेगी।
कॉर्निया को पहली प्राथमिकता पर सरकारी अस्पतालों में देना होगा
blindness controlling policy-स्वास्थ्य विभाग के सचिव डॉ पृथ्वी ने बताया कि पॉलिसी डॉक्यूमेंट के तहत फायनेंशियल मदद हासिल करने वाले निजी और गैस सरकारी ऑर्गेनाइजेशन को इकट्ठा किए गए कॉर्निया को पहली प्राथमिकता के तौर पर राजस्थान के सरकारी संस्थानों, अस्पतालों को उपलब्ध करवाना होगा। सभी जिलों में इन संस्थाओं के साथ मिलकर सरकार काम करेगी।
मृत्यु के बाद नेत्रदान करवाने के लिए आम लोगों में जागरुकता लाकर बड़े स्तर पर मुहिम चलाई जाएगी। आई स्पेशलिस्ट, ऑप्थैलमोलॉजिस्ट, आई सर्जन, पीजी मेडिकल स्टूडेंट्स, आई डोनेशन के लिए वर्क कर रहे काउंसलर्स और नेत्र सहायकों के लिए स्पेशल ट्रेनिंग प्रोग्राम चलाए जाएंगे।
ब्लाइंडनेस रेट घटाकर 0.3 प्रतिशत लाने का टारगेट
देश में साल 2020 में ब्लाइंडनेस फैलने की रेट 1.1 प्रतिशत थी, जिसे राइट टू साइट विजन पॉलिसी के जरिए 0.3 प्रतिशत पर लाने की दिशा में राजस्थान सरकार काम करेगी।