बिलासपुर जिले का ऐसा पहला गांव जहां सबने लगवा लिया टीका : वैक्सीनेशन सेंट परशेंट – “कुली नंबर वन”

Chief Editor
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सीपत ( रियाज़असरफ़ी ) कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए पूरे देशभर में कोरोना वैक्सीनेशन महाअभियान चलाया जा रहा है। लेकिन कई अफवाहों और डर के कारण लोग वैक्सीन लेने से गुरेज कर रहे हैं। यहां तक कि वैक्सीन नही लगवाने  ग्रामीण सौ बहाने बना रहे है। वही जागरूकता अभियान चलाने वाले कार्यकर्ताओ को गाली गलौच कर भगा दे रहे है। लेकिन सीपत क्षेत्र के ग्राम पंचायत कुली के लोगों ने एक अनूठी मिशाल प्रस्तुत किया है। कुली बिलासपुर जिले का पहला ऐसा गांव बन गया हैं, जहां लोगो के दोनों वर्ग के लोगो ने शतप्रतिशत वैक्सीनेशन करा लिया है। खास बात यह हैं कि इस पंचायत की सरपंच सहित 13 पंच में से 9 पंच भी महिलाएं है। 

बता दे कि जनपद पंचायत जनपद मस्तूरी के ग्राम पंचायत कुली की कुल आबादी 1872 है। इनमें से 1148 लोग वैक्सीनेशन के लिए पात्र थे। यानी कि 45 साल से अधिक आयु के 412 तो 18 से 44 साल वर्ग के 869 लोग शामिल थे। इनमें से दोनों वर्गों को मिलाकर पूरे 904 पात्र लोगों को वैक्सीन लग गई है। जबकि गांव की 19 महिलाएं गर्भवती हैं तथा 16 महिलाएं शिशुवती है मतदाता सूची के अनुसार 61 लोगो की मौत पूर्व में हो चुकी है तो 52 व्यक्ति बीपी शुगर सहित कई गम्भीर बीमारियों से ग्रषित हैं इसलिए उनको वैक्सीन नहीं लगाई गई है। जबकि 194 लोग गांव से बाहर हैं। इनमे से कुछ नौकरीपेशा है तो कुछ लोग कमाने खाने पलायन किये हुए है फिलहाल गांव में रहने वाले सभी लोगों का वैक्सिनेशन पूर्ण हो गया है। वही 137 लोगो के पहला डोज की अवधि पूरा होने के बाद टिका का दूसरा डोज भी लगाया जा चुका है।               

दूल्हे ने मना किया था फिर भी शादी के दिन दुल्हन ने वैक्सीन लगवाई और लोगो के लिए मिसाल बनी 
ग्राम कुली के पंचायत सचिव विशेश्वर पाटनवार ने बताया कि गांव की ही एक लड़की जिसको उसके होने वाले दूल्हा ने शादी से पहले वैक्सिनेशन कराने मना किया था फिर भी उस लड़की ने शादी समारोह के बीच मे ही वैक्सिनेशन सेंटर पहुँचकर टिका लगवाया और लोगो को टिकाकरण करवाने जागरूक किया पूरे गांव वालों ने लड़की के इस फैसले की सराहना की है बता दे कि उस लड़की की शादी रविवार को हुई है।            

जनपद सीईओ की मॉनिटरिंग पर महिलाओं ने शतप्रतिशत वैक्सिनेशन कराने संभाला था मोर्चा खास

बात यह भी है कि ग्राम पंचायत कुली की सरपंच महिला है श्रीमती नंदनी साहू तथा पंचायत के 13 वार्डो में से 9 वार्ड में महिलाएं पंच है। सभी महिलाओं ने आँगनबाड़ी कार्यकर्ताओ व मितानिनों के साथ मिलकर मोर्चा संभाला और रोजाना ग्रामीणों को जागरुक किया जनपद पंचायत मस्तूरी के सीईओ कुमार सिंह ने लगातार गांव का दौरा ग्रामीणों को जागरूक किया हैं यही कारण है कि यहां शतप्रतिशत वैक्सिनेशन का कार्य हुआ है। मस्तूरी एसडीएम पंकज डाहीरे के अलावा अन्य अधिकारी सेंटर का दौरा कर लोगो को मोटिवेट किया  ।             

विकलांग लक्ष्मी ठाकुर, धनेश्वरी ठाकुर और मोहन रजक ने पहले खुद टीका लगाया फिर गांव में घूम घूम कर लोगो को जागरूक किया
ग्राम कुली में सत प्रतिशत वैक्सीनेशन का कार्य ऐसे ही पूरा नहीं हो गया है इसके लिए गांव की पंच, सरपंच, महिला समूह,मितानिन,आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के अलावा युवा संगठन से जुड़े लोगों की मेहनत है। गांव की 100% विकलांग लक्ष्मी सिंह ठाकुर धनेश्वरी ठाकुर और मोहन रजक ने पहले खुद अट्ठारह प्लस का टीका लगवाया फिर ट्राई साइकिल से घूम घूम कर गांव के लोगों को वैक्सीनेशन के प्रति जागरूक किया कई जगह तो उन्हें गालियां भी सुनने को मिली लेकिन उन्होंने इसका बुरा नहीं माना और अपना काम बखूबी अंजाम देते रहे यही कारण है की गांव में 100% वैक्सीनेशन का कार्य पूर्ण हुआ है।             

पूर्ण वैक्सिनेशन में गांव के युवा संगठन का महत्वपूर्ण योगदान रहा
गांव में 100% वैक्सीनेशन पूरा कराने में युवा संगठन का बहुत ही बड़ा योगदान रहा है संगठन से जुड़े युवक युवतियों ने पहले खुद का वैक्सिनेशन कगया फिर गांव वालों को जागरूक करने बीड़ा उठाया संगठन के संस्थापक अर्जुन वस्त्रकार ने बताया की वैक्सिनेशन के कार्य मे सभी लोगों योगदान रहा है कुछ युवकों के बीच भ्रांतियां फैली थी के टीकाकरण के बाद वह नपुंसक हो जाएगा तो कुछ  महिलाओं को लगता था की वैक्सीनेशन के बाद कभी वह कभी मां नहीं बन पाएगी इसके लिए जागरूकता अभियान चलाया गया और बार बार उनके घर जाकर  महिलाओं को डॉ डॉक्टरों से परामर्श करवाया गया और उन्हें बताया गया कि यह सब बातें भ्रामक है टीकाकरण ही कोरोना संक्रमण बचाव के लिए उपयुक्त और जरूरी है अर्जुन ने बताया की टीकाकरण के बाद गांव के दो लोगों की तबीयत थोड़ी बिगड़ गई थी । उनमें से एक व्यक्ति  मितानिन के घर में ही आकर सो गया और अपना इलाज कराने की मांग करने लगा वही दूसरा व्यक्ति वैक्सिनेशन सेंटर जाकर हंगामा करते हुए सभी लोगों को गाली गलौच करने लगा था फिर डॉक्टरों द्वारा उन्हें दवाई देकर सकुशल घर भेजा गया। वैक्सिनेशन के बाद तीन दिनों तक उनके घरों में जाकर फिटबैक लिया जाता रहा है तब कही जाकर ग्रामीणों में वैक्सिनेशन कराने जागरूकता आई।

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