रायपुर। छत्तीसगढ़ प्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के प्रांतीय अध्यक्ष विजय कुमार झा ने धरना स्थल पर प्रदेश के ग्राम रोजगार सहायकों द्वारा 4 अप्रैल से जारी अनिश्चितकालिन आंदोलनकारियों को संबोधित करते हुए कहा है कि प्रदेश के हजारों युवाशक्ति के ‘‘मनरेंगा‘‘ महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना वर्ष 2006 में कार्य करने तथा उनके नियमितिकरण न कर छटनी कर, सीधी भर्ती करने से नाराज कर्मचारियों को तब निराशा हुई ,जब स्वयं मुख्यमंत्री भूपेश बधेल ने विद्युत कर्मियों के लाठीचार्ज, गिरफतारी के बाद कहा कि मनरेगा कर्मचारी भारत सरकार के कर्मचारी है। उनसे नियमितिकरण की मांग करनी चाहिए।
उन्होने कहा कि इससे स्पष्ट है कि मुख्यमंत्री नियमितिकरण के पक्ष में नहीं है। ऐसी स्थिति में केवल लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन कर आंदोलन को समाप्त करने हेतु कमेटी बनाने का लालच दिया जा रहा है। केन्द्र सरकार के मनरेगा की राशि भ्रष्टाचार का चारागाह बन गया है। जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण एक मनरेगा के महिला अधिकारी के घर 19 करोड़ रू. नगद प्राप्त हुए है। श्री झा ने विगत् तीन वर्षो में मनरेगा हेतु केन्द्र सरकार से कितनी राशि प्राप्त हुई, कितनी राशि का उपयोग कब किस मद् में किया गया तथा कितनी राशि 31 मार्च को केन्द्र सरकार को वापस लौटाया गया, इसकी जानकारी सार्वजनिक कराकर मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ में भी मनरेगा के भ्रष्टाचार उजागर कर सरकार पर लगने वाले आरोपों से बच सकते है। जहां तक कमेटी का सवाल है, आज तक स्कूल सफाई कर्मचारियों के लिए गठित समिति, पिंगुवा कमेटी सहित अनेक कमेटियों के अनिर्णय के कारण कर्मचारियों का अहित हो रहा है। यही स्थिति धरनारत् अतिथी शिक्षकों की है, जिनकी छंटनी कर नई भर्ती की जा रही है। प्रदेश का कर्मचारी जनधोषणा पत्र की ओर निहार रहा है, जिसमें 10 दिनों में नियमितिकरण का वादा किया गया था।