casibombahsegelcasibom giriş
India News

फैशन मॉडल से लेकर गांधी परिवार की बहू तक, कुछ ऐसा रहा मेनका गांधी का राजनीतिक सफर

Telegram Group Follow Now

202309283062119

नई दिल्ली, 26 अगस्त (आईएएनएस)। मेनका गांधी जिन्हें आज आप एक नेता के रूप में जानते हैं वो एक मॉडल और एक पत्रकार भी रह चुकी हैं। राजनीति में तो हैं लेकिन भूतपूर्व पीएम इंदिरा गांधी की बहू गांधी परिवार की विरासत नहीं संभाल रहीं। मेनका गांधी का जन्म राजधानी नई दिल्ली में एक सिख परिवार में हुआ था। उनके पिता तरलोचन सिंह आनंद सेना में अधिकारी थे। मेनका गांधी की शुरुआती पढ़ाई लॉरेंस स्कूल से हुई। स्नातक की पढ़ाई उन्होंने दिल्ली के लेडी श्री राम कॉलेज से हासिल की। जेएनयू से भी मेनका ने पढ़ाई की। कॉलेज के दिनों में मेनका गांधी ने कई फैशन शो में हिस्सा लिया। कॉलेज के बाद मॉडलिंग और फिर बॉम्बे डाइंग के विज्ञापन के लिए चुनी गई।

आप सब ये तो जानते होंगे कि मेनका के पति का नाम संजय गांधी था। इंदिरा गांधी के छोटे बेटे। मेनका जब मॉडलिंग कर रही थीं तब उनकी एक तस्वीर को देखकर संजय गांधी को उनसे मोहब्बत हो गई। इसके बाद जुलाई 1974 में दोनों ने सगाई की। इसके ठीक 2 महीने बाद ही 23 सिंतबर 1974 में दोनों शादी के बंधन में बध गए। संजय और मेनका के विवाह के कुछ साल बाद कांग्रेस पार्टी थोड़ा सा डगमगा सी गई।

आपातकाल के दौर में नेता के रूप में संजय गांधी का उदय हुआ। 1977 के चुनावों में कांग्रेस की हार के बाद संजय और मेनका गांधी ने कांग्रेस को फिर से सत्ता में लाने की ठानी। मेनका गांधी ने सूर्या नामक एक राजनीतिक पत्रिका शुरू की। 1980 में कांग्रेस की फिर से सत्ता पर काबिज हुई। ये जीत काफी हद तक संजय गांधी की रणनीति और मेनका गांधी की पत्रिका सूर्या के कारण मिली।

इसी साल एक प्लेन दुर्घटना में संजय गांधी की मौत हो गई। इसी दौरान राजीव गांधी कांग्रेस के बड़े चेहरे बनकर उभरे। कहते हैं कि इस बात से मेनका गांधी से काफी नाराज हुईं और इंदिरा गांधी से तकरार बढ़ गई।

महज 23 साल की उम्र मेनका गांधी को सास इंदिरा गांधी ने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों द्वारा आयोजित रैलियों में शामिल होने और सत्ता हासिल करने के शक में उन्हें घर से निकाल दिया था। वरुण गांधी की जिम्मेदारी के साथ उनका जीवन बड़ा कठिनाइयों के दौर से गुजरा।

ससुराल से निकलने के बाद मेनका गांधी ने किताबें और मैगजीन के लिए लिखना शुरू किया और धीरे धीरे खुद को स्थापित करने की कोशिश की। फिर साल 1983 में मेनका ने संजय गांधी के नाम पर राष्ट्रीय संजय मंच पार्टी बनाई। साल 1984 में मेनका गांधी ने अमेठी से राजीव गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ा। मगर चुनाव में उन्हें करारी शिकस्त मिली। साल 1988 में मेनका गांधी ने अपनी पार्टी का विलय जनता दल के साथ किया। 1989 में जनता दल के सहयोग से मेनका ने अपना पहला लोकसभा चुनाव जीता और केंद्रीय मंत्री भी बनीं।

1992 में उन्होंने पीपल फॉर एनिमल्स नामक संस्था शुरू की। साल 1996 और 1988 से मेनका गांधी ने उत्तर प्रदेश के पीलीभीत से निर्दलीय चुनाव लड़ा और इसमें उन्हें जीत भी दर्ज की। 1999 में निर्दलीय के रूप भारतीय जनता पार्टी को समर्थन दिया और अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार में उन्हें सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री बनी। साल 2004 में अपने बेटे वरुण गांधी के साथ भाजपा का दामन थमा। मेनका पीलीभीत से 6 बार सांसद रही।

मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में मेनका गांधी को बाल विकास मंत्रालय का जिम्मा सौंपा गया था। दूसरे कार्यकाल में उन्हें मंत्री नहीं बनाया गया। साल 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने मेनका गांधी को सुल्तानपुर सीट से चुनावी मैदान में उतरा। इस चुनाव में उन्हें समाजवादी पार्टी के रामभुआल निषाद से 40 हजार मतों से हार का सामना करना पड़ा।

लेकिन, आज भी मेनका गांधी महिलाओं और पर्यावरण के मुद्दों पर जमकर बोलती है। देश के किसी भी जानवर के साथ अमानवीय व्यवहार सामने आता है तो सबसे पहले मेनिका गांधी ही मुखर होकर बोलती है। मेनिका गांधी अपने इस बेबाक अंदाज की वजह से भाजपा में रहते हुए भी अलग नेता के तौर पर जानी जाती है।

–आईएएनएस

एसके/

Back to top button
CGWALL
close