सुधीर खंडेलवाल की कलम से..कैसे बना – बिलासपुर की राज़नीति का बगीचा

Chief Editor
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होली के दिन प्रसाद में मिली भंग चढ़ी तो चढ़ते गई। उस भांग की तरंग में हमने अपनी कल्पना में अपने कुछ चर्चित नगरवासियों को राजनीति की ब़गिया में पेड़- पौधों का अवतार लेते गुए देख़ा । सनातन मान्यता के अनुसार पिछले जन्म का असर इस जन्म में ही रहता है। ज़ो कर्मफल कहलाता है। इस जन्म के किसी भी स्वरूप में पिछले जन्म का स्वभाव छिप़ा रहता है। यदि हमारे वर्तमान नगरवासी अगले जन्म में पेड़- पौधे बन गए तो उनक़ा स्वभाव कैसा होगा।  आप भी इस कल्पना की उड़ान का मज़ा लीज़िए । भांग की तरंग होली के रंग में है इसलिए बुरा न मानो होली है, यदि मान भी गए तो भाड़ में ज़ाओ। याद रखिए होली की गाली होती अनमोल- नहीं है इसका कोई मोल….।

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  1.  केंवाच – इस वृक्ष के रोंएदार फ़ल सुंदर दिखते हैं, उड़ते रहते हैं । इनका स्पर्श ख़तरनाक होता है। छूने पर खुज़ली होती है इतनी कि छूने वाला खुजाते-खुजाते कोहराम मचा देता है और त्राहि-त्राहि करने लगता है। मानवीय स्वभाव में पौधे- जैसे मुंशीराम उपवेजा, अशोक अग्रवाल, अरुण तिवारी, राधे भूत , अकबर खान आदि  हैं।
  2. गाजर घास- बिना उगाए अपने आप उग जाती है। कठोर स्वाभाव की जीवट होती है इसलिए देखभाल  नहीं करनी पड़ती । संक्रामक बीमारी फ़ैलाती है। यथा राजेश पाण्डेय, मनीष अग्रवाल , विज़य क़ेशरवानी
  3. बेशरम की झाड़ी- ख़तरनाक विदेशी नस्ल का पौधा है जो स्वयंभू है और अपमे आप उग जाता है विदेशी दुश्मन है। इसे जानवर भी नहीं खाते और इसकी झाड़ियां मुश्किल से नष्ट होती हैं। यथा – राकोश शर्मा , फ़िरोज़ कुरैशी , आलेख़ वर्मा
  4. भटकटैया- घुरवा या कचरे के ढ़ेर में ही उगता है, उगाना नहीं पड़ता, काँटेदार होता है,जिससे जानवर भी नहीं ख़ाते। परंतु औषधि के रूप में उपयोगी होता है।  य़था – अभयनारायण राय, पंकज सिंह
  5. लाज़वंती या छुईमुई- सुंदर कोमल पौधा जो धूप पड़ते या छूते ही मुरझ़ा ज़ाता है । कुछ समय बाद फ़िर निर्मल लहराने लगता है। फल या फूल कुछ भी नहीं देता , मात्र सज़ावटी होता है।. यथा किशोर राय, राजेश मिश्रा, विनोद सोनी,नरेन्द्र बोलर
  6. मेंहदी- साधारण झ़ाड़ी है जिससे सुरक्षात्मक बाड़ या मेढ़ बनाई ज़ाती है , पत्तियां पीसकर लगाने पर रंग देती हैं । ऋंगार , प्रसाधन एवं औषधि के काम आती है। यथा – रामदेव कुमावत, अशोक विधानी, शिवा मिश्रा, अनिल टाह, राघवेन्द्र सिंह, सोमनाथ यादव, रंगानादम
  7. सेंवती – डेहलिया – पूरे समय देखभाल़ करके सहेज़ना पड़ता है। मात्र जाड़े में सुंदर गंधहीन फूल, सज़ावटी और बगीचे की शौभा बढ़ाते हैं, इन्हे दलगत राजनीति का अनिवार्य मौसमी पुष्प कह सकते हैं। यथा शैलेश पाण्डेय, डॉ. ललित माख़ीजा, नज़ीरुद्दीन छोटे
  8. अमरबेल- ज़िस भी वृक्ष पर डालो उसे चटकर उस पर छा जाती है। स्वयं बढ़ती है, वृक्ष सूख़ता है। सूखे वृक्ष पर हरियाली का आवरण बना देती है। यथा- ओमप्रकाश गंगोत्री,जफ़र भाई, सुरेन्द्र गुम्बर
  9. गमले में उगाया गुलाब़- हर जगह अपनी खुशबू फैलाता, सुंदरता दर्शाता, गमले में उगाया जाकर कहीं भी स्थान-देश बदल सकता है। सतत देख़भाल – ख़ाद- पानी – सेवा चाहता है। इत्र,औषधि, माला – फूल के रूप में व्यवसाय के काम आता है। यथा- सांसद अरुण साव, चँद्रप्रकाश बाजपेयी ( पूर्व विधायक ), चीका बाजपेयी,  अटल श्रीवास्तव, प्रमोद नायक
  10. तिरैया- मात्र ब़रसात के तीन माह उगने वाला तीन पत्ती वाला नाज़ुक मौसमी पौधा है। खुशब़ू- फल कुछ नहीं मात्र सज़ावटी होता है। यथा बेनी गुप़्ता, रामवतार अग्रवाल, अरुण सिंह चौहान
  11. लेमन ग्रास- स्वयं स्वादहीन परंतु सुगंधित तेल निकलता है, चाय का स्वाद बढ़ा देता है, औषधि- प्रसाधन में उपयोगी, देखभाल करके ख़ेती करनी पड़ती है। य़था- अविनाश सेठी, विजय पाण्डेय, आशीष सिंह, अज़ित सिंह भोगल
  12. मोगरा- ग्रीष्म ऋतु में अकेला बगीचे को महका देता है। माला – इत्र आदि बनते हैं। मौसम या सत्ता का साथ मिलते मूल्यवान हो जाते हैं। यथा – सुदीप श्रीवास्तव, राजेश सिंह ( पार्षद) , रामशरण यादव ( मेयर )
  13. सदाबहार- सदासुहागन-  कम देख़भ़ाल में भी हर मौसम में हरा-भरा रहता है, फूल देता है। सर्वत्र उपलब्ध.. । यथा – नज़रुद्दीन छोटे, महेश दुबे टाटा
  14. बरगद- गहरी जड़ें, दीर्घजीवी,विस्तारवादी, पूजन और औषधि का काम आता है, परंतु अपने नीचे घास भी नहीं उगने देता। यथा – अमर अग्रवाल, ठाकुर धर्मज़ीत सिंह
  15. तुलसी- बहुउपयोगी, औषधियुक़्त,लाभदायक, पूजा एवं दवा में उपयोग आता है, हर तरह उपयोगी…। यथा  आनंद मिश्रा , शैलेन्द्र जायसवाल –बबलू

मानो या न मानो

होली पर प्रदेश के मुख़्यमंत्री ने “होली की गोली” कमेटी गोलबाज़ार से निवेदन किया कि नागरिक सम्मान हेतु बिलासपुर  नगर के दस गुणवान व्यक़्तियों का चयन करके नाम दीज़िए । होली के रंगीन मूड और माहौल में यदि कुछ अर्थ का अनर्थ हुआ होगा तो आप सुधारकर पढ़िएगा। यह ब्याजनिंदा या ब्याजस्तुति क्या होना चाहिए ..? होली पर आपको सलाह है क़ि नेकी कर  ज़ूते खा, मैने ख़ाया तू भी खा…

चुने हुए सम्माननीय नागरिकों के नाम निम्न हैः-

  1. सबसे सीधा व्यक्ति  – अशोक अग्रवाल, राजेश पाण्डेय
  2. विश्वसनीय व्यक़्ति –   विज़य केश़रवानी
  3. शांतिप्रिय व्यक्ति    – अक़बर खान या मैडी
  4. दुर्जन व्यक्ति  –      आनंद मिश्रा
  5. निष्क्रिय व्यक्ति –     सुदीप श्रीवास्तव
  6. निर्बल व्यक्ति  –     अटल श्रीवास्तव
  7. नासमझ व्यक्ति  – अमर अग्रवाल या रामदेव कुमावत
  8. भाग्यहीन व्यक्ति – शैलेश पाण्डेय
  9. भाग्यशाली व्यक्ति – अनिल टाह
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