कुटिलों को भगवान नहीं रूचते ..संत विजय कौशल ने कहा…सभी पिता को राम मिले..लेकिन दशरथ जैसा देना होगा संस्कार

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर–दूध और पूत…दोनों पर निगाह रखने की जरूरत होती है। दूध और पूत अगर हाथ से निकल गए जीवन व्यर्थ समझो। इसलिए किशोरावस्था बच्चों को अच्छे संस्कार के साथ साधना माता पिता की जिम्मेदारी है। जैसा की दशरथ ने किया। और उनका जीवन धन्य हो गया। दशरथ ने पिता होने के कारण अपनी जिम्मेदारियों को अच्छी तरह से निभाया। राम समेत दशरथ के चारो पुत्रों में सामाजिक व्यवस्था के अनुसार आचरण गढ़ा। यह बाते लालबहादुर शास्त्री मैदान में आयोजित रामकथा के चौथे दिन सीता स्वयंबर प्रसंग के विजय कौशल महाराज ने कही। मानस मर्मज्ञ ने बताया कि राम जब स्वयंबर की रंगभूमि में पहुंचे तो अनुपम स्वरूप देखकर लोगों की आंखें फटी की फटी रह गयी।
बच्चों को दें उत्तम संस्कार..हर घर में राम
लाल बहादुर शास्त्री शाला मैदान में आयोजित रामकथा के चौथे दिन मानस मर्मज्ञ ने भगवान राम और सीता स्यवंबर की कथा सुनाकर लोगो को मंत्रमुग्ध कर दिया।  सीता विदाई प्रसंग को सुनते ही लोगों की आंखें छलछळा गयी। व्यासपीठ से संत विजय कौशल महाराज ने कहा कि बच्चों को उत्तम संस्कार देना चाहिए। जैसा दशरथ ने राम समेत अपने चारो पुत्रों को दिया। विजय कौशल महाराज ने बताया कि माता सीता  श्रम और त्याग की प्रतीक है। क्योंकि माता सीता का जन्म भूमि से हुआ है। इसलिए उन्हें भूमिजा भी कहा जाता है।
कुटिलों को नहीं रूचते भगवान
कौशल महाराज ने बताया कि कुटिल व्यक्तियों को भगवान कभी अच्छे नहीं लगते। सीता स्वयंवर यानि धनुष तोड़ने पहुंचे अहंकारी राजाओं को भी भगवान तुच्छ नजर आए।  लेकिन मौके पर मौजूद ज्ञानियों को राम तत्व की तरह, जनक और सुनयना को  बेटे की तरह , जनकपुर वासियों को संबंधियों  और  संतो को भगवान की तरह नजर आए।  जगत माता जानकी भक्ति और शक्ति की प्रतीक नजर आयी। धनुष समाज की समस्या का प्रतीक है। दुष्ट राजा धनुष को तोडने का असफल रहे।  लेकिन राम ने पलक झपकते ही धनुष को खंड-खंड कर समस्या का समाधान किया। धनुष टूटते ही आग बबूला परशुराम पहुंच गए। उन्होने राम पर फरसा उठाया। । लेकिन फरसा ने भगवान को पहचान लिया। परशुराम ने भगवान राम की परीक्षा के लिए  धनुष पर प्रत्यंचा चढाने को कहा। लेकिन विष्णु का धनुष स्वयं श्रीराम के चरणों में आ गया। शंका समाधान होते ही जिम्मेदारियों को सौंप कर परशुराम तपस्या के लिए प्रस्थान कर गए।
आशा से तृष्ण का जन्म
धनुष लीला के बाद राजा दशरथ बारात लेकर जनकपुर आए। जनक ने अपनी तीन अन्य बेटियों का भी हाथ दशरथ के तीनों पुत्रों को थमा दिया। कौशल महाराज ने बेटी विदाई का ऐसा चित्रण किया कि पंडाल में उपस्थित लोगों के आंखों से झर झर आंसू बहने लगे।  उन्होने कहा आशा से तृष्णा पैदा होती है।  तृष्णा का त्याग करना चाहिए । भक्ति समर्पण से आती है। पुरुषार्थ ज्ञान से हासिल होता है। ।
19 फरवरी तक हवन अनुष्ठान
नगर वासियों को कथा के दौरान व्यास पीठ से विजय कौशल ने बताया कि पारिवारिक कल्याण के लिे प्रतिदिन पूर्व मंत्री  अमर अग्रवाल के  राजेंद्र नगर स्थित  निवास पर प्रातः 7:30 से 8:00 बजे तक हवन अनुष्ठान किया जाता है। श्रद्धालु गण हवन पूजा  में होकर अपना कल्याण कर सकते हैं।
इस दौारन विभिन्न समाज प्रमुखों ने किाय अभिनन्दन 
गुजराती समाज अध्यक्ष अरविंद भानूशाली, के के बेहरा उड़िया समाज, अशोक ऋषि  पंजाबी समाज, विकास सिहोते वाल्मीकि समाज, अशोक साहू वैश्य साहू समाज, अनिल नायर केरल समाजम, छत्तीसगढ़ ब्राह्मण विकास परिषद के डॉक्टर प्रदीप शुक्ला, शिव प्रसाद बबलू सेन  समाज, धर्मेंद्र टेंवुरकर,महेश चंद्रिकापुरे, गहवै वैश्य समाज से  आरके गांधी जी द्वारा विजय कौशल महाराज जी का अभिनंदन किया गया।
राम दरबार में प्रभु राम की आरती
कथा के मुख्य सूत्रधार एवं संरक्षक पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवं बिलासपुर के सांसद अरुण साव ,नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल ,पूर्व सांसद लखन लाल साहू ,भूपेंद्र सवन्नी, शशि अमर अग्रवाल, आदित्य अग्रवाल, गुलशन ऋषि, गोपाल शर्मा   महेश अग्रवाल,बेनी गुप्ता,अनिल खंडेलवाल, सुधीर खंडेलवाल,कमल छाबड़ा, गिरीश वाजपेई देवेश सोनी, चंद्र प्रकाश मिश्रा श्रीमती संध्या चौधरी ,विभा गौराहा, अर्चना मल्लेवार,श्रीमती सीमा दुआ, अनुराधा भंडारी, मनीष अग्रवाल ,पंकज तिवारी दुर्गेश पांडे, डॉ राकेश सहगल केतन सुतारिया हर्षद भाई, श्याम जी पटेल जम्मन भाई कक्कड़, अनुज त्रेहान,शरद गुप्ता, कमल छाबड़ा, राजेश दुआ, जगदीश दुआ, प्रभात साहू नेसंत विजय कौशल महाराज की आरती कर आशीर्वाद लिया।
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