डीएमएफ फण्ड में बड़ा घोटाला..करोड़ों सामान का शिक्षकों ने किया बंदरबांट..जड़ा बच्चों के भविष्य पर ताला..कलेक्टर ने बताया..परीक्षण कराऊंगा..

BHASKAR MISHRA
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बलौदाबाजार—-गरीब प्रतिभावान बच्चों के भविष्य को देखते हुए तत्कालीन बलौलदाबाजार कलेक्टर ने नई दिशाएं अभियान चलाया। अभियान के तहत जिले के सभी 6 ब्लाक में नई दिशाएं कार्यक्रम का शुभारम्भ धूम धाम के साथ किया गया। योजना के तहत निशुल्क और पूर्णतःआवासीय प्रतियोगी परीक्षा तैयारी को लेकर डीएमएफ फण्ड से करोंड़ो रूपए खर्च कर सेटअप बनाया गया। सूत्रों की मानें तो प्रतियोगी परीक्षा तैयारी के नाम प्रत्येक ब्लाक में 50-50 लाख रूपए खर्च कर कोचिंग संस्थान चालू किया गया। ताकि प्रतिभावान बच्चों को किसी प्रकार की आर्थिक दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़े। लेकिन आज ना तो संस्था है..और ना ही संस्था मेंं करोड़ों रूपए खर्च कर खरीदा गया सामान ही है। सभी सामान का शिक्षा विभाग के होनहार शिक्षकों ने बंदरबांट कर निजी सम्पत्ति घोषित कर दिया है। इसी के साथ नई दिशा देने वाले शिक्षकों ने ही बच्चों के भविष्य पर ताला जड़ अंधेरी दिशा में झोंक दिया है।
 
बेहतर आगाज..बुरा अंजाम
 
            प्रतियोगी परीक्षा के नाम पर पीएससी व्यापम, बैंकिंग ,रेलवे, एमबीए,नीट, इंजीनियरिंग सीए,सीएस, सिविल जज,सेना समेत अन्य क्षेत्रों में भर्ती के लिए कुछ वर्षों पहले जिला प्रशासन बलौदा बाजार भाटापारा ने नई पहल की। होनहार गरीब प्रतिभावान बच्चों के लिए जिला खनिज न्यास निधि से प्रतियोगी परीक्षा की निशुल्क तैयारी को लेकर जिला प्रशासन ने  विभिन्न ब्लॉकों में नई दिशाएं आवासीय कोचिंग क्लासेज का आगाज किया। 
 
6 ब्लाक में डीएमएफ से करोड़ों खर्च
 
              तात्कालीन कलेक्टर राजेश सिंह राणा ने विशेष रुची दिखाते हुए पलारी बिलाईगढ़, बलौदा बाजार, भाटापारा और कसडोल विकासखंड में खनिज न्यास निधि से लाखों रूपये खर्च किया। निशुल्क और  पूर्णतः आवासीय प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के लिए कोचिंग संचालन करवाया। सूत्रों और दस्तावेजों पर विश्वास करें तो प्रत्येक ब्लॉक में 50-50 लाख रुपए खर्च कर  आवासीय कोचिंग संस्थानों को शुरू किया गया।
 
योजना अफसरशाही की शिकार
 
           राजेश राणा के हटते ही जिला मुख्यालय बलोदा बाजार को छोड़कर कमोबेश जिले के सभी सभी ब्लॉकों में नई दिशाओं के भविष्य पर  ताला जड़ दिया गया है।  कोचिंग संस्थानों में तात्कालीन कलेक्टर के हटते ही कुछ ही दिनों में बन्द हो गया। इसी के साथ ही डीएमएफ के फंड से खर्च की गई राशि… बच्चों को अफसर बनाने के पहले ही जिले के अफसरों ने ऐसा डकारा कि किसी तक  आवाज भी नहीं पहुंची। मतलब योजना अफसरशाही का शिकार हो गयी। बच्चे अफसर तो नहीं बने लेकिन अफसरों के बच्चे जरूर मालामाल हो गए।
 
लाखों रूपयों की सामान सामान का बंदरबांट
 
                 जानकारी देते चलें कि डीएमएफ फंड से प्रत्येक  विकासखंड में आवासीय प्रतियोगी परीक्षा केंद्र खोले गए। भव्य पुस्तकालय भी खोला गया। प्रत्येक विकासखंड में करोड़ो रुपयो की सामाग्रियां खरीदी गयीं। पुस्तके, कुर्सी टेबल,फर्नीचर, टीवी, फ्रीज, खेल सामग्री, बर्तन सभी कुछ डीएमएफ से खरीदा गया। यद्यपि खरीदी के समय भी जमकर भ्रष्टाचार हुआ। इसके बाद  दिखाने के लिए कुछ दिनों तक जोश खरोश के साथ कक्षां भी संचालित हुई। लेकिन बाद वहीं हुआ जैसा की अन्य योजनाओं का होता है। क्लासेस तो बन्द हुई ही..करोड़ों का सामान भी पार हो गया।
 
 अंधेरे में गुम हुई नई दिशाएं
 
                    बताना जरूरी है कि तत्कालीन कलेक्टर के अनुसार नई दिशाएं कार्यक्रम के तहत  नि:शुल्क प्रतियोगी परीक्षा प्रशिक्षण केन्द्र में करियर मार्गदर्शन के साथ साथ सभी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराने का आदेश था। साथ ही प्रशिक्षण लेने वाले सभी छात्रों को केन्द्र में सारी सुविधाओं की भी व्यवस्था थी। जिले के महाविद्यालय में अध्ययनरत विद्यार्थियों, स्नातक, स्नातकोत्तर एवं अन्य सभी इच्छुक विद्यार्थियों को प्राथमिकता के आधार पर प्रवेश के लिए आवेदन भी मंगाया गया था। आवेदकों को निःशुल्क पंजीयन  एसडीएम प्रशासन के साथ जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय ने दिया। नई दिशाएं योजना का मंत्र आओ चलें नई दिशा की ओर..जहां हो सुनहरा भविष्य दिया गया।  
 
मंत्र बताने वालों ने लूटा
 
             मजेदार बात है कि मंत्र बताने वाली संस्था खुद ही कुछ दिनों में ही अंधेरे में गुम हो गयी। प्रत्येक ब्लाक में लाखों के हिसाब से करोड़ों की खरीदी हुई।  सामग्री यकायक अनुपयोगी हो गयी। जिसका आज तक कोई हिसाब नहीं है। कब्जाधारियों के साथ सामाग्रियों का मनमानी उपयोग किया जा रहा है।
 
कहीं नहीं करोंड़ो का रिकार्ड
 
           मजेदार बात है कि आज करोडो  के सामान का कोई रिकार्ड भी नही है। जबकि योजना का  संचालक एजेंसी स्थानीय एसडीएम और स्कूल शिक्षा विभाग को बनाया गया था। दोनों एंजेसियों के  सामने ही लाखो करोड़ों के समानों का आज कोई अता पता नहीं है। कई ब्लॉक में फर्नीचर, फ्रीज ,कूलर ,टीवी ,कंप्यूटर निजी उपयोग में लाया जा रहा है। कई सामान को कबाड़ के भाव बेचा गया।
 
         मामले की जांच कर जनता की कमाई से खरीदे गए माल की सत्यापन की जरूरत है।  क्रय की गई सामाग्रियां इस समय कहां है पता लगाए जाने की जरूरत है। बताते चलें कि तत्कालीन कलेक्टर राजेश सिंह राणा वर्तमान में स्कूल शिक्षा विभाग संयुक्त सचिव और एससीईआरटी के डायरेक्टर भी हैं। 
 
 राजेश सिंह राणा..डीएम बेहतर जानकारी देंगे
 
           एससीईआरटी डायरेक्टर और तत्कालीन कलेक्टर बलोदा बाजार में बताया कि प्रतियोगी परीक्षा में जिले के विद्यार्थियों के अधिकारी चयन के लिए डीएमएफ फंड से जिले मुख्यालय समेत सभी 6 ब्लॉक में नई दिशाएं अभियान शुरू किया गया। हमने पूर्णत: निशुल्क आवासीय कोचिंग संस्थान आरंभ किया गया था। जिला शिक्षा अधिकारी और सभी ब्लाक के बीईओ को क्रियान्वयन एजेंसी और संबंधित एसडीएम को नोडल एजेंसी बनाया गया था। सारे संसाधन उपलब्ध  कराया गया। मा्मले में बेहतर जानकारी डीएम ही दे सकेंगे कि आज  योजना की क्या स्थिति है।
 
मा्मले में परीक्षण और जांच कराऊंगा..कलेक्टर डोमन सिंह
 
           कलेक्टर डोमन सिंह ने कहा कि मामले की जानकारी हमें नहीं है कि योजना की इस समय क्या स्थिति है। इसलिए जांच कराऊंगा…रिपोर्ट भी मंगाऊंगा..। यदि लगाए गए आरोप सही पाए गए तो उचित कार्रवाई होगी।
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