बिलासपुर—-पूर्व नगरीय प्रशासन और वाणिज्य कर मंत्री अमर अग्रवाल ने छत्तीसगढ़ सरकार में सब कुछ उल्टा पुल्टा होने की बात कही है। भाजपा के शासनकाल में उच्च शिक्षा ने नए मापदण्ड स्थापित किए। लेकिन कांग्रेस सरकार के तीन तीन साल के शासन काल में उच्च शिक्षा संस्थानों की दुर्दशा हो गई है। छत्तीसगढ़ में कोरोना नियत्रण के बाद भी छोटे बच्चों की परीक्षा महामारी की दृष्टि से अधिक संवेदनाग्राही है,। बच्चों की परीक्षाएं ऑफलाइन करवाई जा रही हैं। लेकिन वोट के लालच में महाविद्यालयों के लिए अलग नीति अपानायी जा रही है।
हास्यास्पद फैसला
अमर ने कहा कि महाविद्यालय के बच्चो का जो पूरी सतर्कता के साथ ऑफलाइन परीक्षा दे सकते थे। लेकिन सिर्फ वोट बैंक की लालच में ऑनलाइन एग्जाम कराया जा रहा है । यह फैसला न सिर्फ हास्यास्पद है बल्कि युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ भी है।
सरकार को बताया फिसड्डी
पूर्व मंत्री अमर ने छत्तीसगढ़ में गिरते शिक्षा के स्तर पर चिंता जाहिर की है। उन्होने कहा कि आंकड़े बाजी में खुद को अव्वल साबित करने वाली छत्तीसगढ़ सरकार उच्च शिक्षा के क्षेत्र में फिसड्डी साबित हुई है। राज्य सरकार के अव्यवहारिक नीतिगत फैसले और लच्चर कार्यप्रबंधन से शिक्षा में गुणवत्ता का दिनों दिन ह्रास हो रहा है।
रोजगार परक,बाजार आधारित, अनुसंधान परक और नवाचारी शिक्षा के अवसर से राज्य के युवा वंचित हो रहे हो रहे हैं।अमर ने नई शिक्षा नीति को देश की राष्ट्रीय आकांक्षाओं को पूरा करने वाला बताया। उन्होने कहा कि यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता और मूलभूत सुविधाओं की जाँच यूजीसी के माध्यम से वित्त पोषित स्वायत्त संस्था नैक से प्रत्येक पांच साल में किया जाता है।
रेटिंग में भारी गिरावट
नैक मूल्यांकन के तहत ग्रेडिंग सिस्टम में छत्तीसगढ़ के विश्वविद्यालय और कालेजों महाविद्यालयों की रेटिंग दिनों दिन गिरती जा रही है। रायपुर में 1938 में स्थापित छत्तीसगढ़ योगानंदम कॉलेज नैक की बी प्लस रेटिंग में है। 2012 में बिलासपुर में अटल विश्वविद्यालय के गौरेला -पेंड्रा -मरवाही, मुंगेली जांजगीर, बिलासपुर जिले में 97 संबद्ध महाविद्यालयों में अधिकांश की रेटिंग बी और सी कोटि की है। शहर में विज्ञान महाविद्यालय एवं बिलासा गर्ल्स महाविद्यालय की रेटिंग ए प्लस श्रेणी की थी । लेकिन पिछले दिनों नेट मूल्यांकन में सभी कालेज गुणवत्ता मूल्यांकन के मानदंडों पर खरे नहीं उतरे। ,जिससे उनकी ऑटोनॉमी का दर्जा भी संकट में है।
ना शिक्षक और ना ही सुविधा
उन्होंने कहा कि अटल यूनिवर्सिटी से संबद्ध अधिकांश कॉलेजों की स्थिति ये है कि यहां न शिक्षक है, न ही प्राचार्य, लैब, लाइब्रेरी तक अपडेट नहीं है। सीएमडी और जेपी वर्मा कॉलेज में मूल्यांकन कार्य प्रक्रियारत है। आशा अनुरूप सफलता मिल जाय इसे लेकर शिक्षाविद संशकित है। इसी प्रकार अग्रसेन गर्ल्स कॉलेज को सी ग्रेड, जेएमपी कॉलेज तखतपुर को बी ग्रेड मिला हुआ है। यूनिवर्सिटी से संबंध महाविद्यालयों में केवल 25 के द्वारा ही नेक का मूल्यांकन कार्य कराया गया है । जो दर्शाता है कि गुणवत्ता को लेकर उच्च शिक्षा के केंद्र आखिर कितने गंभीर हैं।
मूल्यांकन कम..खरीदी पर ज्यादा ध्यान
उच्च शिक्षा के अनेक फर्जी संस्थानों पर व्यवसायिकता हावी हो चुकी है।कहने को तो राज्य सरकार ने गुणवत्ता प्रकोष्ठ बनाया है। लेकिन प्रकोष्ठ की भूमिका दफ्तरों की चमक बढ़ाने तक ही है। अनेक महाविद्यालयों में प्रभारी प्राचार्य नैक मूल्यांकन का कार्य करा रहे हैं। जिन्हें इस संबंध में कोई अनुभव ही नहीं है। स्टूडेंट्स और प्रोफेसर का अनुपात निर्धारित मानकों से कोसों दूर है। कई जगह नैक को दिखाने के लिए कॉलेज लाखो रुपयो से अधिक की अनुपयोगी सामग्री की खरीदी में लगे रहते है।
परफार्मेन्स खराब
अग्रवाल ने बताया कि आवश्यकता इस बात की है कि उच्च शिक्षण संस्थानों की परफारमेंस को उसके सोशल सर्विस परिदृश्य से जोड़ा जाय। ग्रेडिंग बेहतर होने से उच्च शिक्षण संस्थाओं को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग तथा भारत सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ मिल पाएगा,अन्यथा दिनोदिन गुणवत्ता के गिरते स्तर से उच्च शिक्षा के लक्ष्य कंक्रीट की फौज तैयार करने से ज्यादा कुछ नही होगा,जिसके लिए पूरी तरह राज्य सरकार जिम्मेवार होगी।