महीनों से नहीं मिला अतिथि शिक्षकों को वेतन..बाबूशाही ने फाइल को बनाया फुटबाल..रोज बना रहे नया बहाना

BHASKAR MISHRA
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रामानुजगंज(पृथ्वीलाल केशरी)–बलरामपुर रामानुजगंज में अतिथि शिक्षकों को विगत 2 माह से आवंटन के अभाव में अभी तक वेतन नहीं मिला है। वहीं आवंटन आने के बाद भी जिला शिक्षा अधिकारी की लापरवाही से अभी तक वेतन नहीं बन पाया है। जिसके कारण अतिथि शिक्षकों के सामने कई संकट खड़े हो चुके हैं। आए दिन शासन-प्रशासन की बदनामी भी हो रही है।
 
               जानकारी के अनुसार बलरामपुर रामानुजगंज जिले में अतिथि शिक्षकों की संख्या लगभग 250 की है।  जिनको हमेशा वेतन के लाले पड़े रहते हैं। कभी आवंटन के अभाव में तो कभी विभागीय लापरवाही के अभाव में कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। नियमित शिक्षकों के अभाव में  शासकीय स्कूल जिनके भरोसे चल रहे हैं। जिम्मेदारी निभाने वाले अतिथि शिक्षकों को कभी भी समय पर वेतन नहीं मिलता है। 
 
          वेतन नहीं मिलने की वजह से अतिथि शिक्षकों को आर्थिक तंगी का सामना कर रहा है।  आर्थिक तंगी के कारण पूर्व में कई बार विभाग को शिकायत भी की जा चुकी है।  लेकिन कोई कार्रवाई ही नहीं होने से शिक्षकों में आक्रोश है। अब वेतन नहीं मिलने का रोना विभाग के सामने ना रोकर अतिथि शिक्षक एक दूसरे से चर्चा कर अपने दिल का बोझ को हल्का कर लेते हैं।
 
                 सूत्रों के अनुसार रामानुजगंज में पूर्व से ही जिला शिक्षा अधिकारी का कार्यालय आवंटित हैं। लेकिन राजनीति हस्तक्षेप के चलते बहुत दिनों तक अंबिकापुर से संचालित होता रहा। बलरामपुर जिला बनने के बाद रामानुजगंज शिफ्ट कराया गया । लेकिन आज भी व्यवस्था ढाक के तीन पात है । आधा कार्यालय रामानुजगंज में तो आधा बलरामपुर में है। जिसके कारण जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय का सारा काम-काज अस्त-व्यस्त होकर रह गया है।
 
             लापरवाह बाबु फाइल को कभी कभी रामानुजगंज तो कभी बलरामपुर में होना बताते हैं। कभी साहब के नहीं होने का बहाना बनाते है। तो कभी कहते हैं साहब आकर चले गए है। पीड़ित व्यक्ति की माने तो कभी बलरामपुर काम के लिए बुलाते हैं तो कभी रामानुजगंज । बेहतर  होता कि सारा कार्यालय बलरामपुर शिफ्ट हो जाता। कार्यालय संबंधित कार्य कराने वाले व्यक्तियों को मानसिक प्रताड़ना और आर्थिक क्षति से मुक्ति मिल जाती। रा
 
           सूत्र ने बताया कि मानुजगंज कार्यालय में कुछ रसूखदार कर्मचारियों की तूती बोलती है। बिना रसूखदार कर्मचारियं के फाइल टस से मस नहीं होगी। यह जानते हुए भी कि कार्यालय में कई भ्रष्टाचार के आरोप पूर्व में लग चुके हैं। बावजूद इसके व्यवस्था सुधारने की कोई पहल नहीं की जा रही है । जिसके चलते शासन-पशासन की आए दिन बदनामी हो रही है।
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