2 लाख 80 हजार पेड़ों को उतारा जाएगा मौत के घाट,विरोध में उतरा आजाद मंच

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—छत्तीसगढ़  आदिवासियों की भूमि है। छत्तीसगढ़ की मूल विरासत, मिलों तक फैले हसदेव अरण्य को बचाने हरिहरपुर, फतेहपुर, परसा, तारा जैसे लगभग 70 गांवों में जारी आंदोलन को देश के कोने कोने से समर्थन मिलना शुरू हो गया है। इसी कड़ी में आंदोलनरकारी  आदिवासियों के समर्थन में आज़ाद मंच भी सरगुजा के घने जंगलों में उतर गया है। अंबिकापुर से 60 किलोमीटर दूर हरिहरपुर पहुंच कर हसदेव अरण्य बचाओ आंदोलन का आजाद मंच के प्रमुख विक्रांत तिवारी समर्थन जाहिर किया है। विक्रांत तिवारी आंदोलनरत आदिवासियों को क्रांतिकारी बताया। 
 
                 सोमवार को आज़ाद मंच प्रमुख विक्रांत आज़ाद तिवारी मंच के कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों के साथ सरगुजा पहुंच जंगल काटे जाने का विरोध कर रहे आदिवासी समाज का समर्थन किया है। हरिहरपुर स्थित आंदोलन स्थल पहुंच विक्रांत तिवारी ने विषयों को गंभीरता से समझने का प्रयास किया।
 
जंगल काटने का फरमान
 
                स्थानीय आदिवासी रामलाल करीआम ने बताया कि वो आसपास के गाँववासी पिछले 10 सालों से जल जंगल ज़मीन और जनजाति को बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। 2015 में भारतीय जनता पार्टी की सरकार के समय 17 कोल ब्लॉक  के लिए पूरे जंगल को काटने का फरमान जारी किया गया। विरोध में कांग्रेस के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने मौके पर पहुंचकर आंदोलन का समर्थन किया। उन्होने कहा कि आदिवासियों की संस्कृति के साथ खिलवाड़ नहीं होने देंगे। सरकार बनते ही जंगल को बचाया जाएगा। लेकिन हुआ उल्टा…सरकार ने अडानी के समर्थन में आदिवासियों को उजाड़ने आदेश दिया है। 
 
जंगल कटने का मतलब तबाही को न्योता
 
           आज़ाद मंच प्रमुख विक्रांत आज़ाद ने आंदोलनरत आदिवासियों को क्रांतिकारी संबोधित किया। उन्होने  कहा कि हसदेव अरण्य बचाओ आंदोलन अब “हसदेव क्रांति” का रूप ले लिया है। कोयला पाने के जिद्द में हसदेव के जंगलों को काटा जा रहा है। इससे ना केवल आदिवासियों पर ही प्रभाव पड़ेगा। बल्कि सरगुजा से बिलासपुर, कोरबा, रायगढ़, जांजगीर तक लोगों का जीवन तबाह हो जाएगा। 
 
पीढ़ी के लिए अभिषाप
 
    विक्रांत आज़ाद ने कहा विध्वंस से जल स्तर में भारी कमी आएगी।, पर्यावरण बुरी तरह से प्रभावित होगा। बिजली बनाने वाले डैम के कैचमेंट एरिया तक खुदाई होने से बिजली उत्पादन में भी कमी आएगी।  जंगल काटने से हजारों आदिवासी बेघर हो जाएंगे। और सेंकड़ों जीवों की हत्या भी हो जाएगी। हमारी आने वाली पीढ़ी के लिए एक अभिशाप साबित होगा ।
 
आदिवासियों के साथ राजनीति
 
                  विक्रांत ने राजनितिक दलों को खासकर सरकार और कांग्रेस नेता पर सीधा हमला किया। उन्होने बताया कि सरगुजा के आदिवासी राजनीति का शिकार हो गए है। सभी राजनीतिक दल अडानी के हांथों आदिवासियों का सौदा कर चुके हैं ।  धन की वन और जनजीवन की से लड़ाई है। इस लड़ाई में जिसमें सभी सत्तासीन और विपक्षी अडानी के तरफ दिखाई दे रहे हैं। आदिवासियों  के साथ बहुत बड़ा धोखाहुआ है ।
 
देर रात 300 पेड़ों को मौत की सजा
 
            धरना स्थल पर आंदोलनरत आदिवासियों और आजाद मंच के क्रांतिकारियों ने साथ बैठकर आगे की रणनीति को लेकर विचार विमर्श किया। साथ ही उस स्थान का भ्रमण किया जहां तीन सौ से अधिक पेड़ों को देर रात मौत के घाट उतारा गया है।
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