डीमोशन के खिलाफ याचिका पर सुनवाई..हाईकोर्ट से अभियंताओं को राहत..प्रमोशन को क्लीन चिट

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—हाईकोर्ट ने पदोन्नति के 3 साल बाद याचिकाकर्ताओं को पदअवनति के आदेश को निरस्त कर दिया है। हाईकोर्ट ने पुलिस हाउसिंग कारपोरेशन के आदेश पर लगाई रोक लगाते हुए फैसला दिया है कि छत्तीसगढ़ पुलिस हाउसिंग कारपोरेशन का पदोन्नति के तीन साल बाद पदावनति का आदेश गलत है। याचिकाकर्ता पदोन्नति पद पर ही काम करेंगे।
 
         जानकारी देते चलें कि याचिकाकर्ता गणेशराम और होमकांत साहू पुलिस हाउसिंग कारपोरेशन में उपअभियंता के परद साल  2013-14 से कार्यरत हैं। याचिकाकर्ताओं ने शासन के आदेश पर अनुसूचित क्षेत्रों में लगातार सेवाएं भी दी। साल  2015 में राज्य शासन ने अनुसूचित क्षेत्रों में कार्य करने पर पदोन्नति में छूट को लेकर आदेश पारित किया। आदेश के परिपालन में साल  2018 में विभागीय पदोन्नति समिति की अनुशंसा पर दोनो यायिकाकर्ताओं को पुलिस हाउसिंग कारपोरेशन के प्रबंधसंचालक ने सहायक अभियंता के पद पर पदोन्नति किया। 
 
              साल 2021 के अन्त में अचानक प्रबंध संचालक ने याचिकाकर्ताओं की पदोन्नति को नियम विरुद्ध बताया। दोनों की पदोन्नति को निरस्त कर नोटिस जारी किया। इस दौरान दोनों याचिकाकर्ताओं को उचित दस्तावेज भी उपलब्ध नहीं कराया गया। 
 
             आदेश जारी होने के बाद याचिकाकर्ता बचाव का  अवसर नहीं दिए जाने के साथ ही पदावनति आदेश के खिलाफ अधिवक्ता वरुण शर्मा और अमन केशरवानी के माध्यम से याचिका पेश किया। 
     
              हाईकोर्ट के सामने अधिवक्ता वरूण शर्मा ने वस्तुस्थिति को पेश किया। याचिका की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति संजय के अग्रवाल की एकलपीठ ने राज्यशासन, पुलिस हाउसिंग कारपोरेशन समेत अन्य को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने को कहा।  साथ ही पदोन्नति निरस्तीकरण आदेश और निचले पद पर कार्य करने संबंधी दोनों आदेशों के क्रियान्वयन आदेश जारी किया है।
 
          हाईकोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता सहायक अभियंता के पदोन्नत पद पर कार्य करते रहेंगे।

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