हाईकोर्ट ने ब्लैकलिस्टेड आफसेटों को फौरी राहत देने से किया इंकार..पाठ्य पुस्तक निगम से मांगा जवाब..अब अप्रैल में सुनवाई..गड़बड़ी का मामला

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—हाईकोर्ट ने बुधवार को सुनवाई के दौरान पाठ्य पुस्तक निगम से ब्लैक लिस्टेड किए गए पांच कम्पनियों को फिलहाल फौरी तौर पर राहत देने से इंकार किया है। कोर्ट ने मामले में सुनवाई को लेकर अप्रैल महीने का समय दिया है।
 
                 जानकारी देते चलें कि किताब छपाने को लेकर छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम ने शिक्षण सत्र 2020-21 के लिए टेण्डर जारी किया। कुल 19 फर्मो ने प्रक्रिया में हिस्सा लिया।  कमोबेश सभी निविदाकर्ताओं ने समय सीमा के अंदर काम को पूरा करने का आश्वासन दिया। बावजूद इसके सभी ने समय पर काम नहीं  किया। साथ ही सामने कई प्रकार की गड़बड़ियां भी देखने को मिली।
 
               इसके बाद छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम ने पांच कम्पनियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया। साथ ही 5 फर्मो शारदा ऑफसेट, टेक्नो प्रिंट्स, रामराज प्रिंटर्स, प्रगति प्रिंट्स और राम प्रिंट्स को 3 साल के लिये ब्लैकलिस्ट कर दिया। ब्लैकलिस्ट किए जाने के खिलाफ सभी आफ़सेटों ने अपने वकील एवी श्रीधर और हर्षवर्धन के माध्यम से हाइकोर्ट में चुनौती। याचिकाकर्ता की तरफ से बताया गया कि ब्लैकलिस्ट का फैसला संविधान के मूल सिद्धांत के खिलाफ है।
 
                     बुधवार को न्यायमूर्ति गौतम भादुरी के  कोर्ट ने याचिकाकर्ता को वर्तमान परिस्थितियों में ब्लैकलिस्ट  किए गए आफसेटों को फौरी तौर पर अन्तरिम राहत देने से इंकार किया है। कोर्ट ने इसके अलावा पाठ्यपुस्तक निगम को जवाब पेश करने को कहा है।
 
                    हाईकोर्ट में पाठ्यपुस्तक निगम की तरफ से वरिष्ठ वकील डॉ निर्मल शुक्लास  अर्जित तिवारी, आशीष श्रीवास्तव और सुदीप श्रीवास्तव ने पक्ष को रखा।  रायपुर निवासी राजकुमार दुबे ने मामले में हस्तक्षेप किया है। मामले की अगली सुनवाई अब अप्रैल में होगी।
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