दिल्ली।कोरोना वायरस के नए वेरिएंट ओमीक्रॉन को लेकर दुनियाभर में एक बार फिर से माहौल गंभीर हो गया है. भारत में भी ओमीक्रॉन संक्रमण के मामले सामने आ रहे हैं. केंद्र सरकार और राज्यों की सरकारें भी अपने स्तर से तैयारियों में लगी हैं. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, बीबीनगर के कार्यकारी निदेशक डॉ विकास भाटिया ने कहा है कि ‘ओमीक्रॉन’ घातक नहीं है, लेकिन कोरोना की तीसरी लहर के लिए भारत को तैयार रहना चाहिए.
उनका कहना है कि संभावित लहर में हाइब्रिड इम्युनिटी से मदद मिल सकती है, लेकिन अभी इस बारे में भविष्यवाणी करना बहुत मुश्किल है. कारण कि इस समय 30 से अधिक देशों ने एक या अधिक संक्रमण के मामलों की सूचना दी है, लेकिन हम अभी भी कुछ और जानकारी का वेट कर रहे हैं.
भारत के लिए कितना चिंताजनक?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, ओमीक्रॉन संक्रमण के मामले उन लोगों में भी पाए गए हैं जो पूरी तरह वैक्सीनेटेड थे. ऐसे में यह भारत जैसे बड़ी आबादी वाले देश के लिए चिंता की बात हो सकती है. देश में अब तक 125 करोड़ से अधिक डोज लगाई जा चुकी है, लेकिन इनमें 46 करोड़ लोगों ने ही वैक्सीन की दोनों डोज ली है. 79 करोड़ से अधिक लोगों ने अब तक केवल सिंगल डोज ही लिया है.
देश की करीब 33 फीसदी आबादी ही पूरी तरह वैक्सीनेटेड है, जो चिंता की बात है. देश में करीब 12 करोड़ ऐसे लोग भी हैं, जिन्होंने पहली डोज ले ली है और दूसरी डोज के लिए उनकी समयसीमा पूरी हो जाने के बावजूद वे टीका नहीं लगवा रहे. विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी लापरवाही लोगों को खतरे में डाल सकती है. खासकर किसी नए वेरिएंट से संक्रमण फैलने के मामले में यह खतरनाक हो सकता है.
किस तरह के लोगों को है अधिक खतरा?
स्पष्ट है कि जिन्होंने वैक्सीन नहीं लगवाई है, उन्हें खतरा ज्यादा है. एक्सपर्ट्स बताते हैं कि कोरोना के अन्य वेरिएंट की तरह ही ओमीक्रॉन से भी सबसे अधिक संक्रमण का खतरा उन्हीं लोगों को हैं, जिन्होंने अब तक वैक्सीन की एक भी डोज नहीं लगवाई है. यहां याद रखना चाहिए कि फुल्ली वैक्सीनेटेड लोगों में भी संक्रमण के मामले सामने आए हैं. जब पूरी तरह वैक्सीनेटेड लोगों को ओमीक्रॉन से संक्रमण हो सकता है तो जिन्होंने सिंगल डोज ली है या एक भी डोज नहीं ली है, उन्हें तो कई गुना अधिक खतरा होगा.
बूस्टर डोज के लिए अभी और स्टडी की जरूरत
40 साल से अधिक उम्र के लोगों के लिए कोविड रोधी टीके की बूस्टर खुराक का समर्थन करने के कुछ ही दिन बाद शनिवार को भारतीय सार्स-कोव-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम ने कहा कि उसकी सिफारिश राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम के लिए नहीं थी क्योंकि इसके प्रभाव का आकलन करने के लिए अभी कई और वैज्ञानिक प्रयोगों की जरूरत है.
भारतीय सार्स-कोव-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (इंसाकॉग) ने कहा कि उसके पिछले बुलेटिन में बूस्टर खुराक का उल्लेख ‘उच्च जोखिम वाली आबादी में कोविड-19 रोधी टीकों की अतिरिक्त खुराक की संभावित भूमिका के बारे में केवल एक चर्चा थी. बूस्टर डोज के प्रभावों का आकलन करने के लिए कई और वैज्ञानिक प्रयोगों की आवश्यकता है, जिन पर टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह (NTAGI) और Covid-19 के लिए टीका प्रशासन पर राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह द्वारा नजर रखी जा रही है.