प्रमोशन/ट्रांसफर में सीनियर से जूनियर कैसे हो गए टीचर ..? एक और विसंगति के बाद नए संगठन का जन्म, 18 फरवरी को रायपुर में धरना रैली

Shri Mi
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बिलासपुर(मनीष जायसवाल )शिक्षकों के लिए राहत वाली योजना में एक और नया विवाद स्थानांतरित शिक्षकों का जुड़ गया है। पदोन्नति में वन टाइम रिलैक्सेशन के तहत स्थानांतरित शिक्षक पदोन्नति की सूची में वरिष्ठ की जगह कनिष्ठ हो रहें है। संविलियन के दौरान बनी वरिष्ठता सूची पर शिक्षकों ने ध्यान नहीं दिया। तबादला लेते समय या तबादला नीति जब बनी थी उस वक्त इस मामले को संयुक्त रूप से न्यायालय और शासन के समक्ष नहीं रखा इसका नतीजा आज एक और विसंगति के रूप में सामने आया है।जिसने एक और संघ को जन्म दिया है और मामला जाकेश साहू के नेतृत्व में 18 फरवरी को रायपुर में धरना रैली, मुख्यमंत्री के बंगले के घेराव तक पहुँच गया है।

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वर्तमान में वरिष्ठ और कनिष्ठ के फेर में पड़े मामले की कहानी की शिक्षाकर्मी.. शिक्षक पंचायत के रूप में मामूली तनखा और संविदा कर्मी में शुरू हुआ सफर से शुरू होती है । यह शिक्षक संवर्ग संविलियन के बाद राज्य का नियमित सरकारी कर्मचारी पर पहुँच गया है। इस शिक्षक संवर्ग के शिक्षको ने तेईस चौबीस साल के सफर में किसी ने बस्तर में तो कोई सरगुजा में तो किसी ने रायगढ़ में तो कोई राजनांदगांव में जहाँ जिस जिला पंचायत जनपद में जगह मिली नॉकरी के लिए हाथ आजमाया और कामयाब रहे ।

शिक्षक सालों साल अपने घरों से दूर रहे हैं। जिसमे महिला शिक्षको को सबसे अधिक कठिनाईयो का सामना करना पड़ा । शासन की तबादला नीति के दौरान ले दे कर कई पापड़ बेलने पर स्थानांतरित शिक्षको का स्वैच्छिक तबादला कुछ सुविधाओं क्षेत्रो में बड़ी मुश्किल से हुआ।अब वही स्वैच्छिक तबादले पदनोंन्ति में वरिष्ठता में बाधक बन रहे है। ऐसा नही है कि यह नियम आज का है । पहले का ही है सभी को मालूम था यह नियम प्रशासनिक तबादले पर मान्य नहीं होता है। स्वैच्छिक तबादले से वरिष्ठता प्रभावित होगी।

स्थानांतरित शिक्षको का मानना है कि उनकी वरिष्ठता इस वजह से प्रभावित हो रही है कि उन्होंने शासन की स्वैच्छिक स्थानांतरण नीति का लाभ ले लिया है। जिसकी वजह से पुरानी सेवा पदोन्नति में नही गिनी जा रही है। जिसकी वजह से वे पदोन्नति से वंचित हो रहे है। इस मुद्दे पर शिक्षक संगठन भी खुल कर नही बोल रहे है। क्योकि जितनी संख्या स्थानांतरित शिक्षकों की है उससे कहीं अधिक ऐसे शिक्षक है जिन्होंने स्थानांतरण का लाभ नहीं लिया है।

शिक्षाकर्मी से विधायक बने चंद्र देव राय , बिलासपुर के विधायक शैलेश पांडे और बेमेतरा के विधायक आशीष छाबड़ा ने स्थानांतरित शिक्षको का पक्ष रख स्कूल शिक्षा मंत्री से अनुरोध किया है कि पदोन्नति में प्रथम नियुक्ति तिथि से गणना नहीं करने पर स्थानांतरित शिक्षको की वरिष्ठता प्रभावित हो रही है। इसलिए स्थानांतरित शिक्षकों को प्रथम नियुक्ति तिथि से सेवा की गणना का लाभ दिया जाना चाहिए। समर्थन में खड़े विधायको ने एक लकीर खीच कर बात दिया है कि हम किसकी टीम है।या फिर मामला सांत्वना से जुड़ा हुआ है । जो भी हो इस समर्थन ने स्थानांतरित शिक्षक को बहुत मनोबल दिया है। जिसका आभार वरिष्ठता पीड़ितों ने सोशल मीडिया में किया है। जो सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर दिखाई भी देता है। ये वर्ग उनके बड़े समर्थक बनके उभर भी सकते है।जो ऐसे वक्त में उनके हितों पर साथ दिया है।

स्थानांतरण का लाभ नहीं ले पाए अधिकांश शिक्षक सरकार के बनाये नीति नियमो पर विधयकों के हस्तक्षेप से खुश नही है। सरकार के महत्वपूर्ण विधायकों को ऐसे संवेदनशील मुद्दे पर सिर्फ एक पक्षीय नजरिया रखना उन्हें खटक रहा है …. और जो स्थानांतरित शिक्षको की जगह ले रहे है। आंचलिक क्षेत्रो में पदस्थ है और अब तक अपने पूरे सेवाकाल के दौरान स्थानांतरण का लाभ नहीं ले पाए … है।

पदोन्नति की प्रक्रिया में वरिष्ठता में प्रभावित हो रहे हैं स्थानांतरित शिक्षक संघ बना कर अपने मुद्दे पर मुख्यमंत्री, शिक्षामंत्री सहित अन्य बड़े मंत्रियों व शिक्षा संचालक सहित आला अफसरों को ज्ञापन दे चुके है । लेकिन अब तक कोई ठोस नतीजे नही निकलें है।

सोशल मीडिया में स्थानांतरित शिक्षक की ओर से यह तर्क दिया जा रहा है कि सरकार जानबूझकर इस मुद्दे पर हाथ नहीं डालना चाह रही है क्योंकि जितनी संख्या स्थानांतरित शिक्षकों की है उससे ज्यादा उन जूनियर शिक्षकों की है जिनको हमारी पदोन्नति नहीं होने से लाभ है, चूंकि स्थानांतरित शिक्षकों की वरिष्ठता खत्म होने से हमसे निचले क्रम के जूनियर शिक्षकों को प्रमोशन मिल रहा है और यही लोग हमारी वरिष्ठता व पदोन्नति का विरोध खुलकर कर रहे, इसलिए सरकार हमारी मांगो पर ध्यान नहीं दे रही है …! इस मामले में अब इधर सरकार से कोई उम्मीद रखना मतलब अपने आप को धोखा देना है….अब सरकार जानबूझकर इसमे कुछ नहीं करेगी क्योकि इसी मुद्दे पर जूनियर शिक्षक विरोध कर रहे । अब यदि कंही कोई उम्मीद दिख रही है तो वह है कोर्ट …!

स्थानांतरित शिक्षको में वरिष्ठता से प्रभावित ऐसे शिक्षक भी है जो दिव्यांग है इसके अलावा महिला शिक्षक भी इस नीति से पीड़ित है । इनका तबादला एक बहुत बड़ी मजबूरी था क्योंकि अधिकांश महिला शिक्षक अविवाहित रहते शिक्षाकर्मी बने थे विवाह के बाद तबादला उनके लिए बहुत महत्वपूर्ण हो गया था इस तबादले की वजह से उनकी वरिष्ठता आज प्रभावित हो रही है। हालांकि इसका दूसरा पक्ष यह भी है कि प्रदेश में आज भी बहुत से दिव्यांग दूरस्थ क्षेत्रों में सेवा दे रहे हैं और ऐसी कई महिला शिक्षक हैं जो अपने परिवार से आज भी दूर है। शिक्षक के रूप में सेवा देते हुए तबादले में अपनी बारी का इंतजार कर रही हैं। उन्हें स्कूल शिक्षा विभाग की नई नीति जो स्थानांतरण को लेकर बनाई गई वेबसाईट से उम्मीद की किरण नजर आ रही है।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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