यह कैसा विकास..भवन की लिफ्ट खराब..घिसटते सीढ़ियां नाप रहे दिव्यांग..कूड़े में शासन का निर्देश

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—निगम की कार्यप्रणाी पर बहुत कुछ लिखा और सुना जा चुका है। यद्यपि लिखने और पढ़ने का कोई अर्थ नहीं है। क्योंकि निगम अधिकारियों पर लिखने पढ़ने का कोई असर तो होना नहीं है। मतलब निगम व्यवस्था के जिम्मेदार अधिकारी जो करे..सो निहाल…। शासन का दिशा निर्देश उनके ठेंगे से…। रैम्प नहीं है उनकी बला से…लिफ्ट खराब है तो भी उनकी बला से। चाहे कोई परेशान हो तो हो…। इस बात से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता है। 

             
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                 शहर की धड़कन  विकास भवन का लिफ्ट इन दिनों बीमार है। लेकिन कर्मचारी पूरी तरह स्वस्थ्य हैं। पहले  और दूसरे माले पर सरकारी काम काज निबटाते हैं। पैर वालों को तो किसी प्रकार की चिन्ता नहीं है। लेकिन दिव्यांगों की हालत बहुत खराब है। बावजूद इसके निगम हाथ पर हाथ धरकर बैठा है। चूंकि निगम का सारा काम काज पहले और दूसरे माले पर होता है..जाहिर सी बात है कि अधिकारी भी दूसरे माले पर ही बैठते हैं। जिसके चलते दिव्यांगों को अपने काम के लिए अधिकारियों तक पहुचने में भारी परेशानियों का करना पडता है।

                 जानकारी हो कि केन्द्र और राज्य सरकार ने दिव्यांगों की समस्या को ध्यान रखते हुए शासकीय कार्यालयों में विशेष सुविधा का निर्देश दिया है। किसी भी दिव्यांग को परेशानी का सामना नहीं करना पड़े..रैम्प,रेलिंग से लेकर लिफ्ट की व्यवस्था को लेकर शासन ने गाइड लाइन भी जारी किया है। बावजूद इसके किसी भी कार्यालय ने निर्देशों को बहुत गंभीरता से नहीं लिया। शुरूआत में जरूर प्रयास किए गए। लेकिन अब निर्देशों का पालन कहीं होता दिखाई नहीं दे रहा है।

                   शहर का सारा कामकाज…विकास भवन…मतलब निगम कार्यालय दो मंजिला इमारत में लगता है। सारे अधिकारी पहले और दूसरे माले पर बैठते हैं। जहां इन दिनों दिव्यांगों का पहुचना दिवा स्वप्न जैसा है। लिफ्ट खराब होने के कारण दिव्यांगों को भारी परेशानी से आए दिन दो चार होना प़ड़ रहा है।ऐसा ही एक मंजर गुरूवार की दोपहर विकास भवन में देखने को मिला। दोनों  पैर से लाचार महिला को लोगों ने हाथों से इंच इंच सीढ़ियों को नापते देखा। 

                       सीढ़ियों को घिसटकर इंच इंच नापती दिव्याग महिला ने अपना नाम तो नहीं बताया। लेकिन पीड़ा जाहिर करते हुए कहा कि साहब दूसरी मंजिल पर बैठते हैं। उनसे फऱियाद करने जा रही हूं। लिफ्ट खराब है कोई सहारा भी नहीं..इसलिए धीरे धीरे दूसरी मंजिल तक पहुंच ही जाएगी। यदि काम हो गया तो उसकी सारी तकलीफ दूर हो जाएगी।

                              दिव्यांग महिला ने बताया कि जब वह काम से विकास भवन आयी। लोगों ने बताया कि लिफ्ट बिगड़ा है। यहां कोई किसी का सहयोग नहीं करता है। इसलिए हाथ के सहारे घिसटते हुए सीढियां नाप रही है। महिला ने यह भी बताया कि रैम्प, लिफ्ट,रेलिंग की सुविधा दिए जाने की बात सब बेकार है। जब अधिकारियों का लिफ्ट खराब है.. तो गरीब दिव्यांगों का यहां कौन  सुनने वाला।

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