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अगर आपको भी आती है दिन में बहुत ज्यादा नींद तो सतर्क हो जाइए, हो सकती है यह बीमारी

हमारे शरीर के स्वस्थ रहने के लिए हमें 7 से 8 घंटे की नींद की आवश्यकता होती है। यदि आप अपनी 8 घंटे की नींद से ज्यादा सो रहे हैं तो यह आपके लिए खतरे की घंटी हो सकती है।

अगर आपको 8 घंटे सोने के बाद भी नींद लगती रहती है तो आपको ‘हाइपरसोम्निया’ नामक बीमारी हो सकती है। ‘हाइपरसोम्निया’ एक प्रकार का स्लीप डिसऑर्डर है। इस डिसऑर्डर से पीड़ित व्यक्ति को पर्याप्त नींद लेने के बावजूद दिनभर नींद आती रहती है। रात में पर्याप्त नींद लेने के बावजूद उसे बार-बार झपकी लेने की आदत हो जाती है।

‘हाइपरसोम्निया’ के लक्षण में दिन के समय अत्यधिक नींद आना शामिल है। यह समस्या एक प्राइमरी या सेकेंडरी स्थिति हो सकती है। प्राथमिक हाइपरसोम्निया तंत्रिका संबंधी कारणों से हो सकता है। वहीं, सेकेंडरी हाइपरसोम्निया किसी अन्य मेडिकल स्थिति के कारण हो सकता है, जैसे कि स्लीप एप्निया।

स्लीप एप्निया में रात में सांस लेने में कठिनाई होती है, जिससे व्यक्ति बार-बार जाग जाता है और उसकी नींद पूरी नहीं हो पाती। इसके अतिरिक्त, कुछ विशेष दवाओं के सेवन से भी यह बीमारी हो सकती है। बार-बार शराब या ड्रग्स का सेवन भी दिन में नींद का कारण बन सकता है। अन्य संभावित कारणों में थायराइड के फंक्शन में कमी या सिर में चोट लगना शामिल हैं।

उत्तर प्रदेश के हरदोई में ‘शतायु आयुर्वेदा एवं पंचकर्म केंद्र’ के मुखिया डॉक्टर अमित कुमार बताते हैं कि जो लोग दिन में बहुत अधिक सोते रहते हैं, उनमें हाइपरसोम्निया होने का खतरा सबसे अधिक होता है।

इसमें स्लीप एप्निया, किडनी, हृदय, मस्तिष्क की स्थिति, डिप्रेशन और थायराइड कम होना जैसी चीजें शामिल हैं। यह बीमारी पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में होने की अधिक संभावना होती है। साथ ही जिन लोगों में अल्कोहल और स्मोकिंग के सेवन की लत होती है, उन्हें भी हाइपरसोम्निया होने का जोखिम रहता है।

डॉक्टर अमित आगे कहते हैं कि हाइपरसोम्निया से ग्रस्त व्यक्ति दिन में कभी भी झपकी ले सकता है। कई बार उसे लंबी नींद से जागने में भी कठिनाई का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा उस व्यक्ति को हर समय थकान महसूस होती है, जिसकी वजह से उस व्यक्ति की एकाग्रता और ऊर्जा में भी काफी कमी आती है। इससे बचने के लिए लोगों को उचित चिकित्सा सलाह लेना बहुत जरूरी है।

इसके इलाज के बारे में बात करते हुए डॉक्टर अमित कहते हैं, “इसका इलाज डॉक्टरों को ही करने दें, तो ज्यादा बेहतर है। कई बार लोग खुद डॉक्टर बनकर ऑनलाइन पढ़ कर इलाज करने की कोशिश करते हैं, जो लोगों की सबसे बड़ी गलती होती है। इससे ऐसे व्यक्ति की बीमारी कम होने की बजाए और बढ़ती रहती है और विकराल रूप ले लेती है।”

वह आगे कहते हैं कि इस बीमारी का इलाज करते हुए डॉक्टर ऐसे मरीज की सबसे पहले नींद की डायरी मेंटेन करते हैं। डॉक्टर इस बात का रिकॉर्ड रखते हैं कि व्यक्ति 24 घंटे में कितने घंटे की नींद ले रहा है। इसके अलावा कितने बजे सोता है और कितने बजे जागता है। इसके अलावा कई और टेस्ट के जरिए इस बीमारी का पता लगाकर इलाज किया जाता है।

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