बिलासपुर।लेखक,कवि,पत्रकार और प्रगतिशील लेखक संघ छत्तीसगढ़ के महासचिव नथमल शर्मा ने ‘जनसुलभ पुस्तकालय’ के ‘रचना-प्रक्रिया और रचना-पाठ’ स्तंभ के डिजिटल मंच से अपनी बात शुरु करते हुए कहा कि व्यक्ति के भीतर जो विस्तार है,वही अक्सर कुछ शब्दों में अभिव्यक्त होकर बाहर आता है और इस तरह कविता बनती है।उन्होंने अपने पत्रकारीय जीवन कर्म पर कहा कि वे भटकते हुए इस क्षेत्र में आकर पत्रकार नहीं बने । बल्कि सोच समझकर पत्रकारिता को अपनाया।
कवि-गद्यकार अर्पण कुमार उनसे बातचीत कर रहे थे। श्री शर्मा के कवि की विशेषताओं को रेखांकित करते हुए कुमार ने बताया कि वे प्रकृति और संबंधों की खूबसूरती के बीच जिजीविषा और जीवन के सरोकार और उसकी प्रतिबद्धता को तलाशते हैं। तभी सही मायनों में कविता रच पाते हैं । अर्पण कुमार ने बताया कि नथमल शर्मा का कवि स्थानिकता और वैश्विकता को एक साथ जीता है। वे अपने देश और समय में रहते हैं और उसके सरोकारों एवं उसकी समस्याओं को भलीभाँति समझते हैं । वे भारत की बात करते हुए छत्तीसगढ़ की बात करना नहीं भूलते।वे बिलासपुर को ख़ूब प्यार करते हुए हर ठौर को प्यार करते हैं। शर्मा की कविताएँ सहज ही अपनी ओर ध्यान खींचती हैं। जीवन से गहरे जुड़ाव और मनुष्यता के पक्ष में खड़ी उनकी कविताओं को दर्शकों-श्रोताओं ने ख़ूब पसंद किया। वे ‘जनसुलभ पुस्तकालय’ के ‘रचना-प्रक्रिया और रचना-पाठ’ स्तंभ के अंतर्गत अपनी कविताओं का पाठ कर रहे थे। इस अवसर पर नथमल शर्मा ने अपने रचानायात्रा से जुड़ी कई घटनाओं को साझा किया। इन कविताओं के माध्यम से नथमल शर्मा के कवि-पक्ष से काफ़ी कुछ स्पष्ट रूप में अवगत हुआ जा सका। वे अपनी रचना-प्रक्रिया पर बात कर रहे थे। उन्होंने अपने रचनाकार और ख़ासकर कवि की यात्रा पर बातचीत की। जनसुलभ के पेज पर उनसे चर्चा के दौरान लगातार टिप्पणियां आ रही थी।पेज पर यह बातचीत उपलब्ध है जिसे लोग देख,सुन रहे हैं और अपने विचार व्यक्त कर रहे हैं।