शिक्षा विभाग का नया कारनामा…नियम को ताक पर रखकर भृत्यों को दिया प्रमोशन…अधिकारी ने कहा..नहीं मिल रही फाईल

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर —जिला शिक्षा विभाग में भृत्य भर्ती में नया घोटाला सामने आया है। विभाग ने जांन बूझकर या फिर रणनीति के तहत तीन भृत्यों को नियम विरूध पदोन्नति कर बाबू बना दिया है। मामला सामने आने के बाद विभाग के अधिकारी ने बताया कि रिपोर्ट मिलने के बाद सभी को नोटिस भेजा गया है। मामले में पदोन्नति पाने वाले बाबूओं ने आपत्ति जाहिर किया है। जिन तीन बाबुओं  की पदोन्नति हुई है। उनकी फाइल नहीं मिल रही है।  जिसके चलते जांच अधूरी है। 
जिला शिक्षा विभाग में अब प्रमोशन घोटाला का मामला सामने आया है। जानकारी के अनुसार शिकायत को डीईओ ने गंभीरता से लिया। प्रमोशन दिए गए बाबुओं को लेकर तीन सदस्यीय जांच टीम का गठन किया। रिपोर्ट मिलने के बाद अधिकारी ने तीनों को नोटिस थमाया। लेकिन अभी तक किसी ने जवाब पेश नहीं किया है। जानकारी मिल रही है कि मामले को पुरजोर तरीके से दबाने का प्रयास किया जा रहा है।
जिला शिक्षा विभाग में शासन के निर्देश और गाइडलाइन के अनुसार 25 प्रतिशत पदों पर विभागीय पदोन्नति किया जाता है। इसी क्रम में साल 2008, 2009 और 2010 में पदोन्नति की कार्यवायी को अंजाम दिया गया। तात्कालीन समय महिला भृत्य रामेंश्वरी क्षत्री ने भी प्रमोशन के लिए आवेदन किया। लेकिन उनकी पदोन्नति पर विचार नहीं किया गया। बाद में तात्कालीन जिला शिक्षा अधिकारी ने विभाग के तीन भृत्यों को सहायक ग्रेड-3 के पद पर पदोन्नत किया। इसमें से एक महिला भृत्य रामेश्वरी क्षत्री वर्तमान समय में जिला शिक्षा विभाग में बाबू के रूप में काम कर रही है। जबकि कमल कुमार देवांगन तारबहार स्थित उन्नत शिक्षा अध्ययन कॉलेज में प्राचार्य कार्यालय में पदस्थ हैं। जबकि एक बाबू संयुक्त संचालक शिक्षा विभाग में कार्यरत है।  
जानकारी के अऩुसार रामेश्वरी को जब भृत्य से बाबू बनाया गया। तात्कालीन समय 12वीं पास भी नहीं थी। बावजूद इसके उन्हें सहायक ग्रेड-3 पर पदोन्नत किया गया। रामेश्वरी को नियम विरूद्ध प्रमोशन दिए जाने को लेकर विभाग के कुछ लोगों ने डीईओ से लिखित शिकायत दर्ज कराया। बताया गया कि विभाग में रामेश्वरी से भी सीनियर  भृत्य हैं। बावजूद इसके उन्हें पदोन्नति नही दिया गया। पदोन्नति की पूरी प्रक्रिया नियम विरूद्ध है।
मामले को गंभीरता से लेते हुए वर्तमान जिला शिक्षा अधिकारी डीके कौशिक ने तीन सदस्यीय जांच कमेटी का गठन कर जांच का आदेश दिया। तीन सदस्यीय टीम ने प्रचार्य़ आईपी सोनवानी समेत और तीन लोगों ने जांच पड़ताल के बाद रिपोर्ट पेश किया। लेकिन अभी तक मामले में कार्रवाई नहीं हुई है।
 जांच में पाया नियम विरुद्ध पदोन्नति
तीन सदस्यीय कमेटी ने 24 नवम्बर को जांच प्रतिवेदन डीईओ को दिया। रिपोर्ट में बताया गया कि भृत्य पद से सहायक ग्रेड-03 के पद पर पदोन्नति प्रक्रिया नियम विरुद्ध हैं। जबकि वरिष्ठ कर्मचारी भृत्य के पद पर आज तक जिले में कार्यरत हैं। रिपोर्ट को गंभीरता लेते हुए डीईओ कौशिक ने रामेश्वरी समेत तीनो पदोन्नति बाबुओं को नोटिस जारी किया। साथ ही तीन दिनों के भीतर स्पष्टीकरण देने को कहा। लेकिन किसी ने आज तक स्पष्टीकरण नहीं दिया है। हां…राजेश्वरी ने आपत्ति जरूर जाहिर किया है। जबकि डीईओ के पत्र में स्पष्ट है कि स्पष्टीकरण नहीं पेश किए जाने पर एकतरफा कार्रवाई होगी। लेकिन अभी तक रामेश्वरी तो दूर किसी ने भी पदोन्नत प्राप्त बाबुओ पर विभाग ने एक्शन नहीं लिया है।
गलत पाए जाने पर होगा डिमोशन
जांच में  पदोन्नत प्रक्रिया को नियम विरुद्ध बताए जाने के बाद भी अभी तक किसी पर वैधानिक कार्रवाई नहीं हुई है। सूत्र ने बताया कि विभाग किसी के खिलाफ एक्शन लेने से बचना चाहता है। यद्यपि भर्ती में घोटाला सिद्ध हो चुका है। कार्रवाई होने की सूरत में रामेश्वरी समेत तीनों को भृत्य के पद पर डिमोशन किया जा सकता है। हालांकि नोटिस तीन महीने पहले दिया गया है। लेकिन किसी के खिलाफ अब तक कार्रवाई नहीं हुई है। 
जांच रिपोर्ट जिला शिक्षा अधिकारी के हवाले
मामले में प्राचार्य आईपी तिवारी ने बताया कि जांच रिपोर्ट तैयार कर बहुत पहले जिला शिक्षा अधिकारी के हवाले कर दिया गया है। रिपोर्ट के आधार पर डीईओ को ही कार्रवाई करना है।
जांच अधूरी..फाइल गायब
जिला शिक्षा अधिकारी ने बताया कि मामला सामने आने के बाद कमेटी बनाकर जांच कराई हुई है। रिपोर्ट के अऩुसार सभी को नोटिस भी भेजा गया है। पदोन्नत हुए कर्मचारियों ने आपत्ति पेश किया है। इसके पहले 3 बार पदोन्नति हुई हैं। सभी के रिकार्ड को देखा जाएगा। फिलहाल फाइल नहीं मिल रही है। इसलिए जांच अधूरी है।
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