भारत इकलौता देश..यहां विक्रेता को देना होता है कर..किसान नेता दुबे ने लगाया..शोषण का आरोप ..कहा..गांव घर पहुंच करेंगे किसानों को जागरूक

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—-भारतीय किसान संघ ने केंद्र  और राज्य सरकार से किसानों को लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य दिए जाने की मांग की है। भारतीय किसान संघ जिला अध्यक्ष धीरेन्द्र दुबे ने बताया कि पत्र के माध्यम से स्पष्ट किया है कि हम स्वस्थ, प्रतिस्पर्धात्मक बाजार के पक्षधर हैं। इसके लिए दोनों सरकारों को किसानों के पैदावार का उचित मूल्यांकन करना जरूरी होगा। 
 
              भारतीय किसान संघ के जिला अध्यक्ष धीरेन्द्र दुबे ने बताया कि राजस्थान, महाराष्ट्र, तेलंगाना में किसानों को फसल का उचित मूल्य की मांग को लेकर भारतीय किसान संघ ने जब तब आंदोलन किया है। इसी क्रम में भारतीय किसान संघ ने फैसला किया है कि देश के किसानों की तरह छत्तीसगढ़ के किसानों को भी अधिकार हासिल हो। इस बात को लेकर भारतीय किसान संघ ने गांव गांव किसानों के बीच पहुंचकर जनजागरण का एलान किया है।
 
 धीरेन्द्र ने बताया कि 1 से 10 जनवरी तक किसानों के मध्य जाएंगे। 011 जनवरी को पूरे भारत में एक ही दिन सभी विकासखंड/तहसील स्तर पर धरना प्रदर्शन आंदोलन करेंगे।  राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन भी देंगे। 
 
             किसान नेता ने कहा कि देश में किसानों को पूरी तरह से बाजार के हवाले कर दिया गया है। न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसलों की खरीदी 0मात्र 8-9 प्रतिशत होती है। अधिकांश किसान छोटे या मझोले है। उन्हें अपने फसल को समर्थन मूल्य के नीचे बेचने को मजबूर होना पड़ता हैय़  व्यापारी किसानों की मजबूरी का फायदा उठाते हुए शोषण करते है।
 
              विडंबना है कि केंद्र सरकार के घोषित समर्थन का कोई मायने नही है। इसे संवैधनिक मान्यता भी नहीं है। सरकार ने केवल सरकारी खरीद की कीमत निर्धारित कर पल्ला झाड़ लिया है। धीरेन्द्र ने बताया कि अनेक कृषि उपज को मंडी कानूनों में न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे खरीदने का नियम है। बावजूद इसके पैदावार को नहीं खरीदा जाता है। इसके लिए एक तरफ सरकार तो दूसरी तरफ कुछ बड़े किसान जिम्मेदार हैं। 
 
                      धीरेन्द्र ने चिंता और दुख जाहिर करते हुए कहा कि दुनिया के किसी देश में विक्रेता पर “कर”लागू नही है। केवल क्रेता से ही कर की वसूली होती है । लेकिन भारत में किसानों को अपना माल बेचने के लिए कर और कमीशन देना पड़ता है । किसान इस राशि को किसी से वसूल भी नही कर सकता है। किसान खेती में उपयोग आदानों को अधिकतम खुदरा मूल्य पर खरीदता है। अपना माल न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बेचने को मजबूर होता है।
 
                इस प्रकार की असमानता से गरीब किसानों की आर्थिक स्थित खराब होती जाती है। और एक दिन किसान खेती छोड़ने या फिर आत्महत्या को  मजबूर हो जाता है। जब तक किसान को लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य की कानूनन व्यवस्था नही होती है। तब तक उसका भला संभव नही है। इन्ही सभी विषयों को लेकर भारतीय किसान संघ के पदाधिकारी और कार्यकर्ता गाँव गाँव जाकर किसानों को अधिकार के लिए जागरूक किया जाएगा।
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