सीएम डा. रमन सिंह ने नक्सल पीड़ित जिले से शुरू किया तेन्दूपत्ता बोनस तिहार

E9E6F58E0B1D2B7786A500DA4F1AA49Bमुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने  कहा है किराज्य सरकार तेन्दूपत्ता संग्राहकों के जीवन स्तर को सुधारने के लिए वचनबद्ध है। डॉ. सिंह ने राज्य के नक्सल हिंसा पीडि़त जिला मुख्यालय बीजापुर के मिनी स्टेडियम में प्रदेश व्यापी दस दिवसीय तेन्दूपत्ता बोनस तिहार  का शुभारंभ करते हुए इस आशय के विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा – तेन्दूपत्ता बोनस तिहार प्रदेश के मेहनतकश लाखों वनवासियों का त्यौहार है। डॉ. सिंह ने कार्यक्रम में बीजापुर जिले के लिए लगभग 212 करोड़ रूपए के निर्माण कार्यों का लोकार्पण, भूमिपूजन और शिलान्यास भी किया।उन्होंने प्राथमिक वनोपज सहकारी समितियों के सम्मेलनों के रूप में आयोजित इस कार्यक्रम में नक्सल पीडि़त बीजापुर और दंतेवाड़ा जिलों की वनोपज समितियों के 64 हजार 798 संग्राहकों को वर्ष 2016 के संग्रहण कार्य के लिए लगभग 17 करोड़ रूपए का प्रोत्साहन पारिश्रमिक (बोनस) आन लाइन वितरित किया। उन्होंने बीजापुर के कार्यक्रम के बाद कोण्डागांव जिले के धनोरा (केशकाल) में आयोजित बोनस तिहार में दो नक्सल पीडि़त जिलों- कोण्डागांव और नारायणपुर के तीन वन मंडलों से संबंधित 74 हजार 791 संग्राहकों के लिए छह करोड़ रूपए से ज्यादा तेन्दूपत्ता बोनस का वितरण किया। इस प्रकार मुख्यमंत्री के हाथों प्रदेश व्यापी तेन्दूपत्ता बोनस तिहार के प्रथम दिवस पर आज चार नक्सल पीडि़त जिलों के कुल एक लाख 39 हजार 589 संग्राहकों को लगभग 23 करोड़ रूपए का तेन्दूपत्ता बोनस मिला।बोनस तिहार के साथ बीजापुर में जिला स्थापना का उत्सव भी मनाया गया। बीजापुर जिले का गठन वर्ष 2007 में हुआ था।
मुख्यमंत्री के हस्ताक्षर से बोनस प्रमाण पत्र:
वनोपज उत्पादकता में संग्राहकों के योगदान की सराहना

    डॉ. सिंह ने बोनस तिहार सम्मेलनों में प्रतीक स्वरूप कई संग्राहकों को अपने हस्ताक्षर से बोनस वितरण प्रमाण पत्र सौंपकर बधाई और शुभकामना दी। मुख्यमंत्री ने प्रमाण पत्र में लिखा है – आपको बोनस वितरण प्रमाण पत्र सौंपते हुए मुझे अत्यधिक प्रसन्नता हो रही है। मैं छत्तीसगढ़ की वनोपज उत्पादकता में हुई वृद्धि में आपके योगदान की सराहना करते बधाई और शुभकामनाएं देता हॅू। बोनस की राशि आपके बैंक खाते में हस्तांतरित हो जाएगी। मुख्यमंत्री ने बीजापुर और धनोरा के बोनस तिहारों में हजारों की संख्या में आए ग्रामीणों को सम्बोधित करते हुए कहा – हर साल गर्मियों की तेज धूप में जंगलों में तेन्दूपत्ता तोड़कर मौसमी रोजगार हासिल करने वाले लाखों वनवासी परिवारों की सामाजिक आर्थिक बेहतरी के लिए सरकार पूरी संवेदनशीलता और सजगता से काम कर रही है। साल-दर साल उनका पारिश्रमिक 450 रूपए से बढ़ाकर इस वर्ष 1800 रूपए और आगामी सीजन के लिए ढाई हजार रूपए प्रति मानक बोरा कर दिया गया है। इसके अलावा उन्हें प्राथमिक वनोपज सहकारी समितियों की शुद्ध आमदनी में से बोनस भी दिया जा रहा है। यह हमारे मेहनतकश तेन्दूपत्ता संग्राहक के परिश्रम का पैसा है, जिसका एक-एक रूपया उनके खाते में ऑन लाइन जमा हो जाएगा।
जिला बनने के 10 वर्ष में काफी बदल गई तस्वीर
    डॉ. सिंह ने बीजापुर के बोनस तिहार सम्मेलन में कहा – राज्य सरकार ने वर्ष 2007 में बीजापुर जिले का गठन किया था, ताकि विकास योजनाओं का त्वरित और समुचित लाभ इस सुदूरवर्ती आदिवासी इलाके की जनता तक आसानी से पहुंच सके। विगत दस वर्ष में इस जिले की तस्वीर काफी बदल गई है। ढोल और मृदंग की स्वर लहरियां इस जिले में फिर से गूंजने लगी हैं।  इससे ही जिला निर्माण का औचित्य स्वयं साबित हो जाता है। जिले सड़क, पुल-पुलिया सहित अधोसंरचना विकास के बहुत से  कार्य हुए हैं। जिला अस्पताल को अत्याधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित किया गया है। बेरोजगार युवाओं के रोजगार प्रशिक्षण के लिए लाइवलीहुड कॉलेज खोला  गया है।   
धान बोनस तिहार के बाद तेन्दूपत्ता बोनस तिहार
    मुख्यमंत्री ने कहा प्रदेश सरकार ने लगभग एक महीने पहले अक्टूबर में धान बोनस तिहार आयोजित कर 13 लाख से ज्यादा किसानों को वर्ष 2016 के उपार्जित धान पर 2100 करोड़ रूपए का बोनस दिया और अपना एक बड़ संकल्प पूरा किया। इसी कड़ी में आज दो दिसम्बर से प्रदेश की 896 प्राथमिक वनोपज सहकारी समितियों के लगभग 11 लाख संग्राहक सदस्यों के लिए दस दिवसीय तेन्दूपत्ता बोनस तिहार की शुरूआत कर दी है। डॉ. सिंह ने कहा – गांव, गरीब और किसानों की बेहतरी राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में है।
जनता के सहयोग से नक्सल समस्या का मुकाबला जारी
     नक्सल समस्या  का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री ने  कहा – यह एक बड़ी चुनौती तो है, लेकिन जनता के सहयोग और समर्थन से सरकार इस समस्या का बखूबी मुकाबला कर रही है।    उन्होंने कहा – विकास विरोधी तत्वों द्वारा सड़क, स्कूल और पुल-पुलियों को तोड़कर जनता को तकलीफ पहुंचायी जाती है और विकास में व्यवधान भी डाला जाता है, लेकिन इसके बावजूद राज्य सरकार ने यह संकल्प लिया है कि नक्सल प्रभावित इलाकों की जनता तक हर प्रकार की बुनियादी सुविधा पहुंचायी जाए। इसमें हमें सफलता भी मिल रही है। नक्सल समस्या धीरे-धीरे समाप्त हो रही है।

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