छत्तीसगढ़ में विधानसभा के उपचुनावों का इतिहास दिलचस्प रहा है। अविभाज़ित मध्यप्रदेश के समय से लेकर छत्तीसगढ़ बनने के बाद भी छत्तीसगढ़ की विधानसभा सीटों पर कई ऐसे उपचुनाव हुए हैं, जिनमें मुख्यमंत्रियों की किस्मत का फैसला भी हुआ है। कई ऐसे चुनाव हैं, जिसमें सत्तापक्ष के उम्मीदवार को भी हार का सामना करना पड़ा था । इस सीरीज़ में हम छत्तीसगढ़ के चुनावी इतिहास को खंगालते हुए ऐसे कुछ ख़ास – दिलचस्प उपचुनावों की चर्चा कर रहे हैं…।
उपचुनाव में ही पहली बार विधायक बने थे बलराम सिंह..
अविभाज़ित मध्यप्रदेश के दौर में 1996 में छत्तीसगढ़ के इलाके में चार विधानसभा सीटों पर उपचुनाव कराए गए थे । जिनमें उस समय अविभाज़ित बिलासपुर जिले की तीन सीटों – तखतपुर , जरहागांव-पथरिया और तानाख़ार के साथ ही दुर्ग जिले की गुंडरदेही विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुए थे । दरअसल 1996 के लोकसभा चुनाव में जांजगीर लोकसभा सीट से मनहरण लाल पाण्डेय और बिलासपुर लोकसभा सीट से पुन्नूलाल मोहले सांसद चुने गए थे । 1993 के विधानसभा चुनाव में मनहरण लाल पाण्डेय तख़तपुर और पुन्नूलाल मोहले जरहागाँव- पथरिया विधानसभा सीट से बीज़ेपी की टिकट़ पर विधायक चुने गए थे । अपने दोनों विधायकों को बीज़ेपी ने उस समय लोकसभा चुनाव के मैदान में उतारा था ।. जिसमें दोनों ने ही जीत हासिल की थी । लिहाजा तखतपुर और जरहागांव विधानसभा सीट पर 1996 में उपचुनाव कराए गए।
तख़तपुर के दिलचस्प मुक़ाबले में कांग्रेस ने बिलासपुर जिले के कद्दावर कांग्रेस नेता ठाकुर बलराम सिंह को मैदान में उतारा। लम्बे अरसे के बाद बीजेपी के लिए यह ऐसा चुनाव था , जिसमें मनहरण लाल पाण्डेय के बिना वह मैदान में उतर रही थी । बीजेपी ने इस बार ठाकुर छेदी सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया । जबकि शंकर माली बसपा उम्मीदवार के रूप में मैदान में थे । चुनाव मुक़ाबला काफ़ी दिलचस्प रहा और कांग्रेस के टाकुर बलराम सिंह ने 31 फ़ीसदी से अधिक वोट लेकर यह चुनाव ज़ीत लिया था । बीजेपी करीब़ 22 फ़ीसदी वोट के साथ तीसरे नंबर पर रही । जबकि बसपा उम्मीदवार शंकर माली करीब 29 फ़ीसदी वोट के साथ दूसरे नंबर पर रहे। ठाकुर बलराम सिंह इस उपचुनाव में ही पहली बार विधायक चुने गए थे। इसके बाद भी उन्होने तख़तपुर विधानसभा क्षेत्र से नुमाइंदगी की थी । 1996 में जरहागाँव के उपचुनाव में भी कांग्रेस के ही चुरावन मंगेशकर विधायक चुने गए थे । हालांकि जीत का अंतर काफ़ी कम रहा। इस चुनाव में कांग्रेस के चुरावन मंगेशकर को 40.33 फ़ीसदी और बीजेपी के चोवादास खांडेकर को 40.20 फ़ीसदी वोट मिले थे ।
तानाखार विधानसभा सीट के उपचुनाव में गोंड़वाना गंणतंत्र पार्टी के नेता हीरा सिंह मरकाम ने 46 फ़ीसदी वोट लेकर ज़ीत हासिल की थी । कांग्रेस के बलेश्वरशरण सिंह दूसरे और बीजेपी की श्याम कँवर तीसरे स्थान पर रहे। उस समय हुए उपचुनाव में दुर्ग ज़िले की गुंडरदेही सीट से भाजपा के डॉ. दयाराम साहू ने ज़ीत हासिल की थी ।
1995 में भी हुआ था ख़ैरागढ़ में उपचुनाव..
छत्तीसगढ़ में हुए दिलचस्प उपचुनावों की चर्चा इस समय हो रहे खैरागढ़ उपचुनाव के संदर्भ मे हो रही है। इस सिलसिले में दिलचस्प जानकारी यह भी है कि 1995 में भी खैरागढ़ विधानसभा सीट के लिए उपचुनाव हुए थे । ज़िसमें कांग्रेस की टिकट पर देवव्रत सिंह को ज़ीत हासिल हुई थी । साथ ही उस समय ही कराए गए सरायपाली के उपचुनाव में कांग्रेस के देवेन्द्र बहादुर सिंह ज़ीतकर आए थे।।