स्कूल शिक्षा विभाग में अपने तरह का दिलचस्प मामला,अरुणाचल प्रदेश की शिक्षिका की डेपुटेशन पर छत्तीसगढ़ पोस्टिंग

Shri Mi
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बिलासपुर।स्कूल शिक्षा विभाग में आईएएस ऑफिसर की तर्ज पर अरुणाचल प्रदेश की शिक्षिका को प्रतिनियुक्ति पर छत्तीसगढ़ में पोस्टिंग दिए जाने का सनसनीखेज मामला सामने आया है, प्राप्त जानकारी के अनुसार अरुणाचल प्रदेश में भर्ती हुई महिला शिक्षिका सुनीता आनंद ने प्रतिनियुक्ति पर छत्तीसगढ़ में सेवा देने का आवेदन किया और कहा जाता है कि शासन के आदेश पर दिसम्बर 2002 में 1 साल के लिए उसे प्रतिनियुक्ति दे दी, अवधि खत्म हो जाने के बाद भी 17 वर्षों से अपने पद पर वह बनी रहे और आंख मूंद कर उन्हें प्रमोशन भी दे दिया गया,पिछले दिनों तोरवा मिडिल स्कूल में पदस्थ शिक्षिका द्वारा संविलियन के लिए आवेदन किया गया तब अधिकारियों के कान खड़े हुए और आनन-फानन में मैडम को रिलीव कर अरुणाचल प्रदेश ज्वाइन करने के लिए आदेश किया गया।

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बिलासपुर संभाग के ज्वाइंट डायरेक्टर आर एस चौहान ने सीजी वाल से बातचीत में बताया कि उक्त मामले में शासन स्तर से निर्देश मिलने पर जांच होगी, संबंधित महिला को कार्य मुक्त कर दिया गया है। नियम विरुद्ध तरीके से उक्त कृत्य के संबंध में जांच के बाद दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने बताया डीपीआई के आदेश से ही जांच शुरू होगी।

मालूम हो कि सहायक शिक्षक की भर्ती/ पदोन्नति एव नियंत्रण हेतु जिला शिक्षा अधिकारी नियोक्ता होते हैं। शासन के द्वारा उन्हें शक्तिया दी गई है किंतु लचर मॉनिटरिंग तंत्र और ढुलमुल प्रशासनिक व्यवस्था के कारण ऐसे ही कारनामे सामने आते रहते हैं।अनुमान लगा सकते हैं कि स्कूल शिक्षा विभाग के कर्ता-धर्ता की किस प्रकार से विभाग का संचालन कर रहे हैं।विभाग बड़ा होने से अनेको शिक्षक महीनों गायब रहते हैं उनका भी वेतन निकल जाता है।

स्कूलों में मास्टर की जगह अन्य व्यक्तियों के भी किराए पर पढ़ाने के मामले सुनाई पड़ते है । लंबी अवधि से गायब शिक्षकों के विरुद्ध के कोई जानकारी कार्यालयो में नहीं है। फर्जी सर्टिफिकेट के आधार पर नौकरी करने वालों की सबसे ज्यादा संख्या स्कूल शिक्षा विभाग में ही है।नियमो को ताक रखकर अकादमिक कार्य कर रहे हैं बहुत से शिक्षक व्याख्याता, प्रधान पाठक ,ब्लॉक, जिला पंचायत, तहसील और एसडीएम कार्यालय में अटैच होकर या प्रतिनियुक्ति के पद पर मलाई मार रहे है और स्कूलों में शिक्षकों की कमी की समस्या जस की तस है।

आपको बताते चले कि मॉनिटरिंग के लिए प्रशासनिक अमला नहीं होने से डीईओ, बीईओ, बीआरसीसी, संकुल समन्वयक संकुल प्रभारी का कार्य प्राचार्य, शिक्षक व्याख्याता द्वारा ही कराया जा रहा है। अनेक जिलों में विकास खंड शिक्षा अधिकारी के पद पर प्रधान पाठक और व्याख्याता काम कर रहे हैं, साक्षरता मिशन और परियोजना कार्यालय में भी शिक्षको ने जुगाड़ से व्यवस्था करा अधिकारी वाली कुर्सी पाली है। विभागीय अधिकारी जानबूझकर अनदेखा करते रहे हैं।दरअसल स्कूल शिक्षा विभाग में प्रशासकीय भर्ती नहीं होने से अकादमिक संवर्ग द्वारा प्रशासनिक तत्वों का संचालन किया जा रहा है और आप से मिलीभगत सेसारे मामले पर धूल की परत चढ़ा दी जाती है, इन्ही कारणों से ऐसे ही सनसनीखेज मामले सामने आते रहते हैं।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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