TS Singhdeo के बयान का मर्म समझना जरूरी..प्रशासन को लेना होगा सख्त फैसला..जनता गंभीर नहीं

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—रायपुर में सख्त लाकडॉउन के बाद न्यायधानी और अन्य जिलों में लाकडॉउन की सुगबुगाहट तेज हो गयी है। प्रतिदिन बढ़ रहे संक्रमण पर स्वास्थ्य मंत्री टी एस बाबा के बयान में छिपी चिन्ता को समझा जा सकता है। उन्होने भी स्पष्ट किया है कि समय रहते सम्भलना जरूरी है। वर्ना बुहत देर हो जाएगी।कोरोना के बढ़ते मामलों को देख कर दुर्ग और रायपुर के बाद बिलासपुर समेत अन्य जिलों में भी सख्त लाकडॉउन लगाने की तत्काल आवश्यकता जन समुदाय के बीच में चर्चा में है।
लोगों का कहना है कि राज्य सरकार को प्रदेशव्यापी  निर्णय लेना चाहिए। लेकिन कलेक्टरों के पाले में गेंद डाल दी गयी है। इससे अनावश्यक दबाव की स्थिति बनेगी। जबकि समय त्वरित निर्णय लेने का है। जिससे  तेजी से बढ़ रहे कोरोना की चैन टूट सके। और लोग जल्द से जल्द राहत महसूस कर सकें।
 
          शहर के एक व्यवसायी रौनक साव ने बताया कि कोरोना संक्रमण की गंभीरता को देखते हुए सबसे पहले दुर्ग कलेक्टर नरेंद्र सर्वेश्वर भूरे ने जनहित में  पिछले दिनों सख्त  निर्णय लिया।  मुख्यमंत्री के गृह जिले में सख्त लाकडॉउन का एलान कर सबको चौंका दिया। कलेक्टर ने एलान किया कि दुर्ग में लाकडाउन 6 अप्रैल से 14 अप्रैल तक रहेगा। कलेक्टर दुर्ग के फैसले के बाद जिला कलेक्टरों के व्हाट्सएप ग्रुप में हलचल मच गयी। आखिर कैसे पांच पांच मंत्रियों के गृह जिले में राजनीति को किनारे रखकर कलेक्टर ने ब़ड़ा और निर्णायक फैसला लिया। फिर  बेमेतरा जिले में भी लाकडॉउन का एलान किया गया।रौनक ने बताया कि प्रदेश सरकार की कोरोना महामारी को लेकर आपात समीक्षा  बैठक तो हुई। लेकिन प्रदेशव्यापी लॉकडाउन के संबंध में एकीकृत फैसला नही लिया जा सका। लाकडाउन जैसे सख्त कदम उठाने का फैसला जिला कलेक्टरों पर छोड़ दिया गया। ऐसे में प्रदेश स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिहदेव के बयान में  छिपी गंभीरता को समझना जरूरी हो जाता है कि कही देर न हो जाये।
 
                  एक दिन पहले जिला कलेक्टर रायपुर ने 9 दिनों सख्त लाकडॉउन का एलान कैबिनेट बैठक के 1 घंटे में ही कर दिया। बावजूद इसके राजनांदगांव , बिलासपुर, रायगढ़, अंबिकापुर,  महासमुंद, बलोदाबाजार ,जांजगीर कोरबा, रायगढ़  जिलों के जिला कलेक्टर प्रतिदिन तेजी से बढ़ रहे मामलो के बाद भी उन्हे अभी भी उम्मीद है कि जनता देर सबेर गंभीरता को समझेगी। सच्चाई तो यह है कि फिलहाल जनता मेे कोरोना संक्रमण से बचाव को लेकर किसी प्रकार की गंभीरता नजर नहीं आती नजर आ रही है।प्रदेश में कोरोना प्रतिदिन 9 से 10 हजार की संख्या में रिकॉर्ड किए जा रहे हैं। आने वाले समय में देखने वाली बात होगी कि न्यायधानी बिलासपुर और अन्य जिलों में बढ़ते मामलों के बावजूद बिना लॉक डाउन के कैसे जिला प्रशासन  संक्रमण पर लगाम लगाने के साथ टीकाकरण अभियान को प्रभावी तरीके से लागू करता है या फिर सख्त लाकडॉउन का फार्मूला इस्तेमाल कर सब समय सभी गतिविधियों पर फूलस्टाफ करता है।
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