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“जोलम बाजी चोलबे न” बंगाल की पहचान – ममता दीदी… पीछे मुड़कर देखिए… आप भी तो आए हो जन आंदोलन से..!
“”जो कल थे वह आज नहीं है
जो आज हैं वह कल नहीं होंगे
होने ना होने का क्रम इसी तरह चलता रहेगा पर हम हैं
हम रहेंगे यह भ्रम भी सदा पलता रहेगा”””—
—————— वहां पर बंगाल की लोकप्रिय मुख्यमंत्री महोदया द्वारा यह धमकी दी गई है, बंगाल जलेगा तो असम भी जलेगा उत्तर प्रदेश भी जलेगा, यह धमकी देश के सबसे सबसे शक्तिशाली नेता जो राजनीति के शिखर पर जन आंदोलन से ही पहुंची है , जन-जन के बीच जिसकी लोकप्रियता का ग्राफ से किसी क्षेत्रीय नेता से तुलना नहीं की जा सकती ! 2006 में हुगली जिले के सिंगूर में टाटा का नैनो का प्लांट तत्कालीन मुख्यमंत्री स्वर्गीय वासुदेव भट्टाचार्य मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के सरकार के द्वारा लोकार्पण किया गया , (जिसमें लगभग प्रारंभिक स्थिति में 100 करोड़ रूपया खर्च भी किया जा चुका था )।भूमि अधिग्रहण पर राज्य में तत्कालीन मुख्यमंत्री स्वर्गीय वासुदेव भट्टाचार्य जी का Dream project था बंगाल मे औद्योगीकरण करने की दिशा में एक सार्थक कदम था परंतु तात्कालीन विपक्ष की सर्वमान्य नेता ममता बनर्जी ने 3 दिसंबर 2006 को उद्योग लगाने के विरोध में आमरण अनशन किया । सिंगूर आंदोलन पूरे बंगाल में फैल गया , सिंगूर में लाठी चार्ज अश्रु गैस गोली चलने की घटना हो गई ।आंदोलन समाप्त होने का कोई रास्ता न मिलने पर अक्टूबर 2008 में टाटा ग्रुप ने नैनो car का निर्माण बंगाल में रद्द कर गुजरात ले गए ।
इस आंदोलन से ही ममता बनर्जी 2011 में सरकार में आई ,मुख्यमंत्री बनी । तब से दीदी पीछे मुड़कर नही देखी , टीएमसी की सरकार तब से अब तक राज्य में दो तिहाई बहुमत के साथ से चल रही है । जिस दल का जन्म ही जन आंदोलन से हुआ , वह दल आज अपने विरुद्ध आवाम की आवाज को दबाना चाहता है । बहुत पहले जब दिल्ली में किसान आंदोलन अपने शिखर पर था तो बंगाल की मुख्यमंत्री माननीय ममता बनर्जी ने कहा था – लोकतंत्र में अपनी मांग के लिए आंदोलन रत रहने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार किसी को छीनने का हक नहीं है ! पर यह सब बातें दूसरों के लिए हैं अपने लिए नहीं ! आज बंगाल में अराजकता का माहौल है मंत्रियों के यहाँ 30000 करोड़ नक़द मिलते हैं , मंत्री जेल में है , माननीय उच्च न्यायालय बंगाल के द्वारा 24000 हजार नियुक्तियाँ रद्द कर दी जाती है , नियुक्ति में भेदभाव ,पक्षपात और रिश्वत के दम पर किया जाना पाया जाता है साथ ही माननीय उच्च न्यायालय बंगाल के द्वारा अपने Landmark judgment पदस्थ किए गए अभ्यर्थियों से उन्हें देय वेतन की रकम 6 महीने में वापसी का भी आदेश किया जाता है …
आजादी के समय बंगाल में औद्योगीकरण के हालात बहुत अच्छे थे । देश का सबसे बड़ा “केशवराम कॉटन मिल” बिरला जी का बंगाल में स्थापित था । कालांतर में वहां उत्पादन कार्य प्रभावित होने और मजदूर आंदोलन के चलते बंद हो गया । बंगाल में 100 जूट मिल थे , क्योंकि पटसन की खेती बंगाल के आसपास ही होती थी ।सिर्फ बंगाल से बाहर एक जूट मिल तत्कालीन मध्य प्रदेश के रायगढ़ में स्थित था । आज बंगाल के सारे जूट मिल के साथ रायगढ़ का जूट मिल भी भी बंद है । पटसन के बोरे का स्थान प्लास्टिक के बोरे ने ले लिया , सारे पटसन मजदूर बेकार हो गए । बेरोजगारी उच्च स्तर पर पहुँच गई है । आपको देश में बाल्टी में केतली साथ चाय बेचते बंगाल के बेरोजगार निवासी नजर आएंगे तथा कहीं भी चौक में अंडा आमलेट का ठेला लगाकर जीवन निर्वाह करते हुए आप बंगाल के निवासियों को पा जाएंगे …भ्रष्टाचार चरम पर होने के कारण प्रतिभा का पलायन पूरे देश में हो रहा है ।मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार स्वर्गीय ज्योति बसु जो 25 साल मुख्यमंत्री रहे तत्पश्चात 10 साल स्वर्गीय बुद्धदेव भट्टाचार्य मुख्यमंत्री रहे कभी ₹1 का भी भ्रष्टाचार का आरोप उन पर नहीं लगा । तत्कालीन मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार में भूमि सुधार कानून और सार्वजनिक वितरण प्रणाली में पारदर्शिता और ईमानदारी पूरे देश में एक उदाहरण बन गया था । इतने लंबे समय तक उनकी सरकार रहने की वजह से उनके कैडर के साथ जनहित कार्य जो उनके द्वारा किए गए थे उसकी भूमिका भी बहुत महत्वपूर्ण थी …
ममता बनर्जी की सरकार जब आई तो उसका झुकाव भी वामपंथी नीति, शोषित और मेहनतकश आवाम के हित मे ही था । पर सत्ता में नियंत्रण, सत्ताधीश का चरित्र है जो बहुत दिनों तक नहीं रह पाता और भ्रष्टाचार तानाशाही भाई भतीजा वाद कुर्सी के साथ आ जाती है । कमोबेश आज के बंगाल में यह दिख रहा है ।मौजूदा आंदोलन निर्दोष प्रशिक्षु डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के कारण है । इसी वजह से पूरे बंगाल में आग की तरह जन आंदोलन फैल गया। जिसमें पूरा देश जल रहा है । यह एक गंभीर प्रश्न है – गंभीर और ख़तरनाक सामाजिक समस्या है .. ममता दीदी की आवाज पर बंगाल आंख मूंद कर भरोसा करता रहा । उसे इस घटना के बाद ऐसा क्यों लगता है कि- सरकार clean hands और पारदर्शिता ईमानदारी के साथ नहीं आई है !
कुछ तो कारण होंगे जिसकी समीक्षा कर दीदी को जनता से रूबरू होकर शालीनता पूर्वक अपनी बात पहुंचानी चाहिए । जैसे आप आंदोलन कर रहे थे ।जिस आंदोलन से आप सत्ता में आए ।विरोधी दल तो आंदोलन को हवा देगा ही । क्या यह आंदोलन बंगाल में बीजेपी और आरएसएस के द्वारा ही किया जा रहा है ? क्या इसमें लेफ्ट का इकोसिस्टम काम नहीं कर रहा है । जन-जन तक यह आंदोलन जो पहुंचा है । यकीनन उसमें लेफ्ट का इकोसिस्टम पूरा लगा हुआ है ।आज बंगाल में वामपंथ शून्य हो गया । जिसे खून पसीने से सींचा था । देश मे कांग्रेस के छत्रछाया में वह सांस ले रहा है ।कहने को तो विरोधी दलों का गठबंधन है । जिसमें टीएमसी भी है पर ममता बनर्जी ने वामपंथ और कांग्रेस को बंगाल में शून्य कर दिया । लेफ्ट का केडर और कांग्रेस के कार्यकर्ता जानते हैं भाजपा से कोई सामंजस्य नही हो सकता ।पर भाजपा का समर्थन मजबूरी है और उनके आका को भी पता है पर सब खामोश है ।क्योंकि वामपंथ और कांग्रेस यह बात जानती है कि- बंगाल का जनमानस का mindset भाजपा के विचारधारा का नहीं है ।पर वर्तमान स्थिति में भाजपा के साथ रहकर टीएमसी को समाप्त करना है ।फिर भविष्य में बहुत जल्द बंगाल में कमरेड काम लाल सलाम आएगा ! यह सपना सच होगा या सपना ही रहेगा ???? भविष्य बतायेगा … या बंगाल भी त्रिपुरा बन जायेगा ??——‐-
दीपक पांडेय,
राजनीतिक विश्लेषक( गैर पेशेवर)
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