पत्रकार रमेश नैयर पंचतत्व में विलीन, उनेक नाम पर शोधपीठ बनाने पर भी हुई चर्चा

Chief Editor
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रायपुर। छत्तीसगढ़ पत्रकारिता के विश्वविद्यालय के रूप में अपनी पहचान रखने वाले प्रख्यात पत्रकार रमेश नैयर आज पंचतत्व में विलीन हो गए। राजधानी के मारवाड़ी शमशान घाट में उनका अंतिम संस्कार संपन्न हुआ। चिता को मुखाग्नि उनके ज्येष्ठ पुत्र संजय नैय्यर ने दी। इस मौके पर बड़ी संख्या में पत्रकार तथा गणमान्य लोग मौजूद रहे।

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स्वर्गीय नैय्यर जी को श्रद्धांजलि देने के लिए श्मशान घाट में हुई शोकसभा में छत्तीसगढ़ समाचार पत्र के संपादक सुनील कुमार, बिलासपुर से श्री सूर्यकांत चतुर्वेदी, गोपाल वोरा, सुभाष मिश्रा ,दैनिक भास्कर के संपादक श्री शिव दुबे, एजाज ढेबर कौशल शर्मा, सुनील त्रिवेदी, समीर दीवान, डॉ. राजकुमार सचदेव और संजय दीक्षित समेत बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे। ज्ञात हो कि स्वर्गीय श्री रमेश नैय्यर बिलासपुर से प्रकाशित प्रथम प्रभात दैनिक लोकस्वर के पहले संपादक रहे हैं। श्रद्धांजलि सभा में सभी वरिष्ठ पत्रकारों और गणमान्य लोगों ने स्वर्गीय रमेश नैय्यर से अपने संबंधों और उनके व्यक्तित्व को लेकर अनोखी बातें कहीं।

श्री सूर्यकांत चतुर्वेदी ने रायपुर के महापौर श्री एजाज ढेबर से आग्रह किया कि वे रमेश नैय्यर के नाम से शोध पीठ की स्थापना कराने की दिशा में पहल करें। मारवाड़ी शमशान घाट में पहुंचे सभी लोगों की आंखें गमगीन थी। और सभी लोग अपने साथ श्री रमेश नैय्यर के संबंधों तथा उनके स्वभाव को याद कर शोक में डूबे हुए थे। वरिष्ठ पत्रकार श्री सुनील कुमार ने बताया कि अलग-अलग अखबारों में काम करने के बावजूद स्वर्गीय श्री रमेश नैयर जी और वह स्वयं तथा कुछ अन्य पत्रकार रोज काम के बाद मिला करते थे। किसी दिन जब नैयर जी नहीं पहुंचते थे तो बकौल सुनील कुमार…वहां से स्वर्गीय श्री नैयर जी को फोन कर मजाक में यह बताया जाता था कि आप जल्दी आकर हमें छुडाईये। हमारे पास होटल वाले को देने के लिए पैसे नहीं हैं। भास्कर के संपादक श्री शिव दुबे ने उनका स्मरण करते हुए कहा कि वे अपनी सशक्त लेखनी से जिनका भी रि्व्यू करते थे। उसमें ऐसी विनोदी लेखनी रहती थी कि सामने वाले के मन को चोट न पहुंचे। और जो कहना है वो कह भी दिया जाए।

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