Kader Khan-अफगानिस्तान में जन्म,भारत में करियर और कनाडा में निधन,संघर्ष से भरा ऐसा था कादर खान का जीवन

Shri Mi
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रायपुर-बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता कादर खान नहीं रहे, उन्होंने 31 दिसंबर की शाम करीब 6 बजे आखिरी सांसें ली.उन्होंने 81 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया. वे लंबे समय से बीमारी से ग्रस्त थे. पूरी दुनिया को हंसाने वाले कादर खान ने कनाडा के टोरंटो के एक अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था, जहां उन्होंने दम तोड़ दिया. प्राप्त जानकारी के अनुसार कादर खान का पार्थिव शरीर टोरंटो में ही दफनाया जाएगा.बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता कादर खान नहीं रहे, उन्होंने 31 दिसंबर की शाम करीब 6 बजे आखिरी सांसें ली. पीटीआई की खबर के मुताबिक उन्होंने 81 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया.

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वे लंबे समय से बीमारी से ग्रस्त थे. पूरी दुनिया को हंसाने वाले कादर खान ने कनाडा के टोरंटो के एक अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था, जहां उन्होंने दम तोड़ दिया. प्राप्त जानकारी के अनुसार कादर खान का पार्थिव शरीर टोरंटो में ही दफनाया जाएगा.

कादर खान ने अपने फिल्मी सफर की शुरूआत साल 1973 में आई फिल्म दाग से की थी. उन्होंने अपने करियर में 300 से भी ज्यादा फिल्मों में काम किया. जिनमें से करीब 250 फिल्मों में उन्होंने डायलॉग भी दिए. कादर खान ने धर्म वीर, गंगा जमुना सरस्वती, कुली, देश प्रेमी, सुहाग, अमर अकबर एंथनी, ज्वालामुखी, शराबी, लावारिस, मुकद्दर का सिकंदर जैसी कई फिल्मों की कहानियां लिखीं. इसके अलावा उन्होंने कुली नंबर 1, मैं खिलाड़ी तू अनाड़ी, कर्मा, सल्तनत जैसी अनेकों फिल्मों के डायलॉग भी लिखे.

कादर खान को 3 Filmfare Award भी मिले थे. उन्हें पहला फिल्मफेयर अवॉर्ड फिल्म ‘मेरी आवाज सुनो’ में बेस्ट डायलॉग के लिए मिला. फिल्म ‘बाप नंबरी, बेटा दस नंबरी’ में जबरदस्त कॉमेडी के लिए उन्हें दूसरा अवॉर्ड मिला. जबकि आखिरी फिल्मफेयर अवॉर्ड उन्हें फिल्म ‘अंगार’ के बेस्ट डायलॉग के लिए दिया गया था.

अभिनेता, निर्देशक, स्क्रीनराइटर कादर खान का जीवन संघर्ष से भरा रहा. अफगानिस्तान में जन्म लेने वाले कॉमेडियन ने भारत में काम किया और कनाडा में आखिरी सांस ली. कादर खान के पास कनाडा की ही नागरिकता भी थी.

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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