Kartik Purnima 2023: कब है इस साल की कार्तिक पूर्णिमा

Sawan Purnima 2023 Date

हिंदू पंचांग के अनुसार, हर महीने के हिसाब से पूरे साल में 24 पूर्णिमाएं पड़ती हैं. वैसे तो सनातन धर्म में हर महीने पड़ने वाली पूर्णिमा का महत्व होता है, लेकिन कार्तिक मास की पूर्णिमा विशेष मानी जाती है, क्योंकि भगवान विष्णु की उपासना करने के लिए कार्तिक मास को उत्तम बताया गया है.

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मान्यता है कि इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने से बड़े-बड़े यज्ञों को करने के बराबर फल की प्राप्ति होती है. साथ ही इस दिन दान करने का भी काफी महत्व माना जाता है. इस साल कार्तिक पूर्णिमा 27 नवंबर 2023 दिन सोमवार को पड़ रही है.

मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन धर्म-कर्म के कार्य करने पर विशेष फल की प्राप्ति होती है और दान-पुण्य करने से सुख-सौभाग्य बढ़ता है. फिलहाल जान लेते हैं इस दिन का शुभ मुहूर्त और व्रत पूजा विधि.

कार्तिक पूर्णिमा को क्यों कहते हैं त्रिपुरारी पूर्णिमा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान कार्तिकेय ने तारकासुर नाम के दैत्य का वध कर दिया था, जिसके बाद उसके तीन पुत्रों तारकाक्ष, कमलाक्ष और विद्युन्माली ने भगवान ब्रह्मा से वरदान मांगा कि उनके नाम का एक नगर बसाया जाए और तीनों की मृत्यु एक ही तीर से हो. इस वरदान को प्राप्त करने के बाद उन दैत्यों ने तीनों लोकों पर कब्जा कर लिया.

तब भगवान शिव ने तीनों राक्षसों का एक ही तीर से संहार कर दिया. जिसके बाद भगवान शिव त्रिपुरारी कहलाए. यह कार्तिक पूर्णिमा का दिन था. इसलिए इस दिन को त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहा जाता है और देव दिवाली भी मनाई जाती है.

कार्तिक पूर्णिमा 2023 शुभ मुहूर्त

कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि 26 नवंबर, 2023 दिन रविवार को शाम 03 बजकर 53 मिनट पर आरंभ होगी और 27 नवंबर, 2023 दिन सोमवार को दोपहर 02 बजकर 45 मिनट पर पूर्णिमा का समापन होगा. उदया तिथि के अनुसार पूर्णिमा व्रत और स्नान 27 नवंबर 2023 दिन सोमवार को किया जाएगा.

कार्तिक पूर्णिमा व्रत पूजा विधि

इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर किसी पवित्र नदी में स्नान करें या फिर घर पर ही गंगाजल मिले पानी से स्नान कर सकते हैं. इसके बाद माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु के समक्ष देसी घी का दीपक प्रज्वलित करें और फल-फूल, नैवेद्य व धूप-दीप से विधिवत पूजन और आरती करें. रात को चंद्रोदय होने के बाद जल में कच्चा दूध मिलाकर चंद्रमा को अर्घ्य दें और पुन: विष्णु जी की पूजा करने के बाद कसार व पंचामृत का प्रसाद अर्पित करें और इसके बाद व्रत का पारण करें.

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