बिलासपुर—राज्यपाल अनसुईया उइके ने शिवनाथ नदी के तट स्थित मदकू द्वीप में पर्यावरण तीर्थ का शुभारम्भ किया। राज्य की प्रथम नागरिक ने कहा कि मदकू द्विप मांडूक ऋषि की धरोहर है। प्रदेश का दर्शनीय स्थल भी है। पर्यावरण तीर्थ मदकूद्वीप में आयोजित कार्यक्रम में शामिल होकर उन्हें बहुत ही खुशी मिली है। इस दौरान राज्यपाल ने हरिहर आश्रम में महा त्यागी रामरूप दास से राज्य की खुशहाली के लिए आशीर्वाद मांगा। साथ ही अंचल के विकास को लेकर हर संभव सहयोग का वादा भी किया।
राज्यपाल अनुसुईया उइके ने एक दिन पहले मदकू द्विप पहुंचकर पर्यावरण तीर्थ का शुभारम्भ किया। राज्यपाल ने कहा कि हम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वच्छ पर्यावरण, स्वच्छ भारत के सपने को साकार करने की दिशा में बढ़ रहे हैं। मदकू द्विप में आयोजित कार्यक्रम अभियान की तरफ समर्पित पहला कदम है। राज्यपाल ने बताया कि मैं पूजनीय गुरु रविदास को को भी नमन करती हूं। बाबा रविदास ने रचनाओं और अपनी आध्यामिक शैली से समाज के लोगों में नई चेतना जगाई है। सामाजिक समानता और मानवता की उन्नति के लिए दी गई उनकी शाश्वत शिक्षाएं लोगों को जीवन जीने का मार्ग दिखाती हैं।
राज्यपाल ने बताया कि जिस प्रकार तीर्थ जाकर हम और अधिक पवित्र इंसान बनने का संकल्प लेते हैं। ऐसे ही हमें पर्यावरण तीर्थ में पर्यावरण को शुद्ध करने का संकल्प लेना होगा। कार्यक्रम में भारत को प्लास्टिक मुक्त करने के लिए जनसंकल्प लेना होगा। साथ ही नदियों के तटों पर पीपल, बरगद और नीम जैसे पौधों का रोपण करना होगा। इस दौारन गंगा आरती और तुलसी के पौधों का निःशुल्क वितरण भी किया गया।
राज्यपाल सुश्री उइके ने कहा कि प्रकृति की रचना वायु, जल, अग्नि, मृदा और आकाश इन पाँच तत्वों से हुई है। जिस वातावरण में निवास करते हैं, उसे शुद्ध और पवित्र बनाकर रखना हमारी जिम्मेदारी है। आज हम विकास के नाम पर उस अंधी दौड़ में शामिल हैं। जाने,अनजाने प्रकृति को नुकसान पहुंचा रहे हैं। पहले न एयर कंडीशन की जरूरत पड़ती थी । न ही ठण्ड में हीटर की। लेकिन अब ऐसा नहीं है।
उन्होने बताया कि हर तरफ साफ पानी और मिट्टी में उर्वरता थी। रासायनिक उर्वरक की जरूरत भी नहीं पड़ती थी। मौसम चक्र भी नियमित था। परन्तु आधुनिकीकरण ने सब बदल कर रख दिया है। हमने सुख,सुविधा के लालच में मौसम को ही नियंत्रित करना शुरू कर दिया। उपकरणों के बेतहाशा उपयोग से पर्यावरण असंतुलित हुआ है। नदियां प्रदूषित हुई हैं। जिसके चलते नई-नई प्रकार की बीमारियों का जन्म हुआ है। पर्यावरण तीर्थ के शुरू होने के साथ ही सारी समस्याओं पर हम जीत हासिल करेंगे। लेकिन इसके लिए हमें सामूहिक भागीदारी का निर्वहन करना होगा।
प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई में केंद्र सरकार नदियों की सफाई और बेतहतर जलस्तर के के लिए काम कर रही है। नमामि गंगे योजना के तहत क्लीनेथॉन परियोजना् को विस्तार देने का काम किया जा रहा है। गंगा के अलावा देश की अन्य बड़ी नदियों को क्लीनेथॉन परियोजना में जोड़ा जा रहा है। नदी बेसिन प्रबंधन के माध्यम से नदी के कटाव को नियंत्रित करने का भी प्रयास जारी है। हम सभी का समन्वित प्रयास होना चाहिए कि अपने परिवेश के साथ साथ जल स्रोतोंकी साफ-सफाई ध्यान दें।
राज्यपाल ने इस दौरान लोगों से बरगद, पीपल, नीम और तुलसी के पौधों को रोपने का आह्वान किया। उन्होने बताया कि इन पौधों का हमारे जीवन में धार्मिक मह्तव है। इसके अलावा प्राकृतिक महत्व भी है। यही कारण हैं इन पौधों को धर्म कर्म में विशेष स्थान दिया गया है। कोरोना काल में तुलसी के कफनाशक गुणों के कारण आमजनों को काफी लाभ हुआ है। । प्रकृति के लिए प्लास्टिक अत्यंत हानिकारक तत्व है। हजारों सालों में भी नष्ट नहीं होता औहै। कई प्रकार को भी प्लास्टिक जन्म देता है। हमारी कोशिश हो कि प्लास्टिक का न्यूनतम उपयोग करें।
राज्यपाल ने इस अवसर पर श्री हरिहर क्षेत्र केदार दिवप मदकु हरिहर आश्रम से तपस्वी संत राम रूप दास महा त्यागी सीताराम, मुंगेली के विधायक पूर्व मंत्री पून्नूलाल मोहले, पूर्व सांसद लखनलाल साहू, भाजपा नेता और पूर्व आईएएस गणेश शंकर मिश्रा, समेत गणमान्य लोग और जनप्रतिनिधि मौजूद थे।