पढ़िए पड़ताल…छत्तीसगढ़ के कितने ब्लॉकों में प्रशासनिक पद संभाल रहे लेक्चरर…?ABEO को कहीं नहीं दी गई जिम्मेदारी

Chief Editor
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(सीजीवाल पड़ताल)हमने आपको पिछले अंक में ने यह बताया था छ. ग. स्कूल शिक्षा विभाग में प्रशासनिक पदों पर आकादमिक व्यक्तियों की नियुक्ति करके प्रभारवाद का कैसे खुला खेल जारी है? एक तरफ तो शालाओ में व्याख्याताओं की विषय वार कमी है तो दूसरी हो धड़ल्ले से प्रसाशनिक पदो पर जोर- जुगाड़ का सहारा लेकर अनेक लेक्चरर प्रशासनिक पदों पर काबिज है।ज्ञात हो कि प्रदेश की शालाओं में भी विषय शिक्षकों की कमी है।जिस वजह सेे परीक्षा परिणाम कही न कही प्रभावित होता है। जिसे लेकर डीपीआई और मंत्रालय द्वारा समय-समय पर जारी पत्रों में यह कहा गया है कि अकादमी पदों के लिए चयनित लोगों को प्रशासनिक कार्यों के लिए किसी भी आधार पर प्रभार या अटैचमेंट में नहीं दिया जाएगा।

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छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा सेवा नियम 2019 राजपत्र के उल्लेखित प्रावधानों के अनुसार भी जिनकी भर्ती अध्यापन कार्य के लिए की गई है उनसे अन्य कार्य नहीं लिया जाना चाहिए बावजूद इसके धड़ल्ले से सांठगांठ करके अपात्र लोगो को प्रशासनिक पदों पर पोस्टिंग दी जा रही है।

सीजीवाल ने संभाग और जिले वार अपनी पड़ताल में पाया कि प्रदेश के 168 विकासखंड मुख्यालयों में अनेक पदों पर व्याख्याताओ को प्रशासनिक दायित्व सौंप दिया गया है।व्याख्याताओं की प्राचार्य के पद पर पदोन्नती शासन के द्वारा की जाती है फिर उन्हें विकास खंड शिक्षा अधिकारी, सहायक संचालक और डीएमसी जैसे महत्वपूर्ण प्रशासनिक पदों का प्रभार दिया जाना राजपत्र के विरुद्ध कृत है।

“दर्जन भर व्याख्याता बन गए जिला मिशन समन्वयक”

स्कूलों में पढ़ाई के लिए विषय विशेषज्ञों के रूप में है व्याख्याताओं की भर्ती की जाती है। प्रदेश के स्कूलों में व् विषय विशेषज्ञों की कमी का टोंटा पड़ा हुआ है लेकिन धन .. बल .. दल … के चलते मुट्ठी भर व्याख्याता यहां भी आम शिक्षको को सपने दिखा कर अपनी पहुँच से जोड़-तोड़ .. प्रसाद बाँटो की नीति के बल पर जिला मिशन समन्वयक जैसे महत्वपूर्ण पदों पर जमे वर्षों से जमे बैठे हैं। राजेश मिश्रा कोंडागांव, विनोद पैकरा जशपुर, शशिकांत सिंह सूरजपुर, आर सोमेश्वर राव बलोदा बाजार भाटापारा, भूपेश साहू राजनांदगांव संजय सिंह सरगुजा, श्याम चंद्राकर गरियाबंद महेंद्र पांडे कोंडागांव, अशोक पांडे बस्तर विजेंद्र राठौर बीजापुर में डीएमसी बने हुवे है। इनकी सूची लंबी है।

मालूम हो कि पिछले दिनों जानकारी आई कि कोरोना कॉल में स्कूलों में सीएससी मध्य मद से फर्नीचर की खरीदी का विषय हो या खेलगढिया योजना में स्कुलो में दिखावटी खेल सामग्री खरीदी का मामला हो या अन्य कोई निर्माण कार्य,शिक्षक प्रशिक्षण कार्य, डीएमएफ मद से स्वीकृत कार्यों में बंदरबांट आदि विभिन्न प्रकार के कार्य ऐसे भागीरथियो द्वारा अंजाम दिया जाता है जिन्हें अति महत्वपूर्ण योजनाओं के क्रियान्वयन का ककहरा भी मालूम नहीं होता।

सीजीवाल ने पड़ताल में पाया कि प्रदेश में .. चार दर्जन से ज्यादा व्याख्याता बने बी ई ओ के प्रभार में है। जबकि इस पद के लिये अनुभवी प्रचार्यो सहित राज्य में विकास खंड शिक्षा अधिकारी के कैडर में 185 पद है।नियमो के अनुसार कहा जाए तो एबीओ का यह पद यह शत प्रतिशत पदोन्नति से भरा जाने वाला पद है। शासन के भर्ती नियमों/पदोन्नति नियमो के अनुसार सहायक विकास खंड शिक्षा अधिकारी संवर्ग एव द्वितीय श्रेणी प्राचार्य जिन्हें 5 वर्ष का अनुभव हो, उनकी नियुक्ति बीईओ के पद पर की जानी है।

“एबीईओ कैडर विसंगति का शिकार- सुधार न होने से न्यायलय में लेंगे शरण”

आपको जानकर आश्चर्य होगा छत्तीसगढ़ में किसी भी एबीईओ को आज तक बीईओ नहीं बनाया गया है। एबीईओ संघ के पदाधिकारियों से मिली जानकारी के मुताबिक एबीईओ संवर्ग वेतन विसंगति का शिकार है। द्वितीय श्रेणी राजपत्रित अधिकारी एबीईओ कैडर को 15600-39100 ग्रेड पे 5400 (लेवल 12 वेतन पुनरीक्षण नियम 2017) पदोन्नत वेतनमान /प्रथम समय वेतनमान सहित अधिकतम पदोन्नति अनुपातिक स्तर पर दी जानी चाहिए। इस हेतु समय-समय पर विभाग को अभ्यावेदन भी दिए गए किंतु इस पर ध्यान नहीं दिया जाने से एबीईओ कैडर में निराशा भी है,विसंगतियों में सुधार न होने पर निकट भविष्य में न्यायालय में अधिकारों की सुरक्षा के लिए वाद भी दायर कराया जाएगा।

प्रधान पाठकों को दी जा रही है व्याख्याताओं के ऊपर पदोन्नति में तरजीह राज्य में प्राचार्य वर्ग 2 श्रेणी के ई व टी संवर्ग के 4600 पदों पर पदोन्नति होनी है। शिक्षक मामलो के जानकारों का कहना है किज्यादातर पुराने शिक्षक हेड मास्टर हैं या प्रभार में है। नए अधिनियम के अनुसार हेड मास्टरों को व्याख्याताओं के ऊपर रखा जा रहा है। 15 ℅ की हेड मास्टरो को 85 % लेक्चरर के ऊपर पदोन्नति में महत्व दिया जाना सर्वथा अनुचित है

आम व्याख्याता शिक्षको का कहना है कि आलम यह हो गया है कि व्याख्याता जिला एवं संभागीय कार्यालयों में सहायक संचालक के पद पर भी प्रभार में पोस्टिंग करा कर लाभ उठा रहे हैं। पर प्रदेश में हजारों आम व्याख्याता शिक्षको को इससे क्या लाभ .. ? इस प्रभार वाद में आरक्षण खो गया है। सामंतवादी विचार धारा सर्वहार वर्ग को दबाने का काम कर रही है। अटैचमेंट के खेल में आम शिक्षको के हक अधिकार समान रूप से नही मिल सकते है।

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