पटरी पर जीवन… बिश्रामपुर में लाइफलाइन एक्सप्रेस से हो रहा गरीबों को इलाज, प्रशासन के इंतज़ाम में समर्पण की झलक

Chief Editor
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सूरजपुर ( मनीष जायसवाल ) । इंपैक्ट इंडिया फाउंडेशन की 1991 में बिहार के कलहारी से पटरी के रास्ते जन स्वास्थ्य सेवा करने आई चलती फिरती जीवन रेखा एक्सप्रेस जो अब एक आधुनिक अस्पताल का रूप ले चुकी है यह बिलासपुर रेल्वे जोन के बिश्रामपुर रेल्वे स्टेशन के रेल ट्रैक पर आई है। यह ट्रेन इससे पहले 1999, 2006, 2011 में आ चुकी है और अब ये 2021 में चौथी बार आई है। और बिश्रामपुर इसका 215 वॉ जन कल्याण सेवा प्रोजेक्ट है। 26 सितंबर को सुरजपुर जिले में आई यह दुनिया की ऐसी पहली हास्पिटल ट्रेन है जो देश के ग्रामीण एवं दूर-दराज के इलाकों के लोगों को चिकित्सा सेवा उपलब्ध कराती है।

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बिश्रामपुर रेल्वे स्टेशन पर सात वातानुकूलित डिब्बो वाली जीवन रेखा एक्सप्रेस जिसे जपानी इंजीनियरिंग फर्म टाकी सा ने बिश्रामपुर के कार्यक्रम के लिये स्पॉन्सर किया है। जो रेल मंत्रालय , भारत सरकार , छत्तीसगढ़ शासन और जिला प्रशासन के सहयोग से जिले में 26 नम्बर से 13 अक्टूबर तक स्वास्थ्य शिविर का लगा रही है।

यह लाइफ लाइन एक्सप्रेस सूरजपुर जिले के लिए और भी महत्वपूर्ण इसलिए हो जाती है कि यहां का ज्यादातर इलाका ग्रामीण और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गो का निवास क्षेत्र है यहां आदिवासी व जनजाति समुदाय के बहुत से लोग निवास करते हैं। जो इस जीवन रेखा एक्सप्रेस से अपने जीवन मे आई बीमारियों की रेखा को दूर कर सकते है।

जीवन रेखा में इलाज

इस जीवन रेखा ट्रेन में आंखों का इलाज, कान, नाक गले का इलाज,दांत का इलाज, कटे फटे होंठों का इलाज , मुख ,स्तन, सर्वाइकल कैंसर की जांच, इलाज व ऑपरेशन की व्यवस्था देश के जाने माने विशेषज्ञ डॉक्टरों के द्वारा ट्रेन में मौजूद ओपीडी व ऑपरेशन थियेटर में किया जा रहा है। जिला प्रशासन के कुशल प्रबंधन के चलते 4 अक्टूबर तक लगभग चार हजार आंखों की जांच की गई है। मोतियाबिंद व सर्जरी से जुड़े 825 मरीजो को चिन्हांकन किया गया जबकि 600 से अधिक का ऑपरेशन किया जा चुका है।

इस रेल अस्पताल में डाइबिटीज के लगभग 582 मरीजो की पहचान हुई है वही ईएनटी नाक कान गले के 695 मरीजो की पहचान कर इलाज शुरू कर दिया गया है। कई मरीजो को कान की मशीन आखों का चश्मा निःशुल्क दिया गया है। यहाँ की ओपीडी में दवाइयां भी निशुल्क दी जा रही है। इस शिविर में हाइपरटेंशन के 585 से अधिक मरीजो का परीक्षण किया गया है। यहां पर इलाज के लिए उमड़ रही भीड़ को देख कर लगता है कि मरीजो की सँख्या और भी बढ़ सकती है। पंजीयन और इलाज के अंतिम आंकड़े आना अभी बाकी है।

समय की मांग को समझा जिला प्रशासन

सबसे गौर करने वाली बात यह है कि
इस जीवन रेखा एक्सप्रेस के इंपैक्ट इंडिया फाउंडेशन पैनल के आँख के विशेषज्ञ डॉक्टर अपने निर्धारित कार्यक्रम के बाद चले गए है। मरीजों की बड़ी हुई संख्या को देखते हुए जिला प्रशासन स्वास्थ्य विभाग की पहल पर इस ट्रेन में अब भी मोतियाबिंद का ऑपरेशन जारी है। इस बात में दो मत नही होना चाहिए कि कोरोना काल के इस दौर में आंखों की जांच या ऑपरेशन के लिए सरकारी कैम्प के आयोजन प्रदेश में नही के बराबर हुआ है ..! समय की मांग को भांपते हुए जिला प्रशासन व राज्य सरकार , रेल्वे ने इंपैक्ट इंडिया फाउंडेशन की जीवन रेखा एक्सप्रेस से सहयोग लेने के लिये व्यवस्थाओ को कमांड मोड़ में लेते हुए निर्णय लिया । और इस ट्रेन को बिश्रामपुर आने की हरी झंडी दिखाई । जिसका परिणाम यह रहा कि गरीब और मध्यम वर्ग के तबके ने इसका भरपूर लाभ उठाया है।

ऑपरेशन और पोस्ट ट्रीटमेंट

व्यवस्था से जुड़े एक अधिकारी का कहना है इंपैक्ट इंडिया फाउंडेशन मरीजों को ऑपरेशन के दो घंटे के बाद घर जाने को कह रहे थे …..! लेकिन जिला कलेक्टर ने आंखों को लेकर अब तक की घटनाओं को ध्यान में रखते हुए एक दिन मरीजों को यहां पर रोक कर रखने का फैसला किया ….! मरीजो को विशेष प्रोटोकॉल देते हुए घर पहुंचने के बाद जिला कॉल सेंटर के माध्यम से फॉलोअप लिया जा रहा है ।

ऑपरेशन के बाद जो पोस्ट ट्रीटमेंट से जुड़ी हिदायतें है उनका अनुसरण करने के लिए भी कॉल सेंटर से मरीजों को फोन पर अपडेट लेते रहने की व्यवस्था भी की गई है।

गोदाम को बदला अस्पताल में बनाई व्यवस्था

इंपैक्ट इंडिया फाउंडेशन की जीवन रेखा एक्सप्रेस की वजह से बिश्रामपुर रेल्वे स्टेशन से लगे हुए रेल्वे गुड्स पॉइंट पर जब से आई है यहाँ बहारे आ गई है यहां के नजारे और चहल पहल को देखकर लगता नहीं है की यह क्षेत्र खाद्य निगम का गोदाम है। और यह अंदाज भी नहीं लगाया जा सकता कि यहां पर कभी रेल्वे की माल गाड़ियां अपना सामान उतारती चढ़ाती होंगी।

यहाँ पर कभी ट्रकों की लंबी लंबी लाइन लगी होती होंगी … जिला प्रशासन ने बड़ी मेहनत के साथ इस जगह की काया पलट दी है ….. । यहां के गोदाम को हॉस्पिटल के वार्ड में बदला दिया गया है। इस गोदाम में मच्छरदानी सहित बहुत से बेड लगाए गए है। इस अस्थाई अस्पताल में पंखा, टेबल लाइट की सुविधा दी गई है जबकि फ्लोर में कारपेट मैट बिछाया गया है। हाल के प्रवेश द्वार में मास्क और सेनेटाइजर की व्यवस्था कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए की गई है।

जिला स्वास्थ विभाग के डॉक्टरों , प्रशिक्षित नर्सों व जिले में संचालित होने वाले मेडिकल नर्सिंग कॉलेजों के छात्र-छात्राएं सहित अन्य मेडिकल स्टॉफ़
पैरा स्टाफ गोदाम में बने अस्थाई अस्पताल और इस शिविर की व्यवस्थाओं संभालने में लगे।
इसके अलावा पास ही वीएम नर्सिंग कालेज में 200 से अधिक के बिस्तरों की व्यवस्था की गई है। और यहाँ भी मरीजो का आना जाना लगा हुआ है।

जिला प्रशासन ने यहां मरीजों के लिए एंबुलेंस की व्यवस्था की है वही जांच कराने के लिए आने वालों के लिए आसपास के संस्थानों से बस व चार पहिया वाहनों की भी व्यवस्था बनाई है ।

एक गौर करने वाली बात यह भी है कि
इस 20 से 25 एकड़ से अधिक के कमर्शियल रेलवे ट्रैक परिसर में गुड्स ट्रेन
ट्रक ट्राला, ड्राइवर क्लीनर, मजदूर हमाल न जाने कितने लोग आए गए होंगे जो यहां कभी शौचालय भी नहीं देखे होंगे । लाइफ लाइन एक्सप्रेस के शिविर के लिए जिला प्रशासन पीएचई ने बहुत ही बढ़िया अस्थाई शौचालय बनाया हुआ है इसकी झलक यहाँ दिखाई देती है ..!

सहयोग देकर नायक बने

VM नर्सिंग कॉलेज, पार्वती नर्सिंग कालेज सहित आसपास के अन्य नर्सिंग कॉलेजों के छात्र प्रबंधन समिति सहित पूरा स्टाफ इस आयोजन के लिए जी जान से सेवा देने का कार्य कर रहा हैं।
इन कालेजो में प्रशिक्षिण लेने वाले मेडिकल नर्सिंग के विद्यार्थी भी यहां की व्यवस्था से सीख रहे हैं कि ऐसी विषम परिस्थितियों में जहां अस्पताल की चारदीवारी नहीं है वहाँ कैसे काम किया जाता है ।ऐसा लगता है कि यह शिविर मेडिकल नर्सिंग के विद्यार्थियों के लिए बहुत ही अच्छा अध्ययन का हिस्सा साबित होने वाला है।

एनसीसी, एनएसएस, स्काउट गाइड के छात्र-छात्राएं यहां की व्यवस्था हो बहुत ही जिम्मेदारी के साथ संभालते हुए इन संस्थाओं के मूल मंत्र जनसेवा को सार्थक बनाते हुए एक बेहतर उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं …! स्थानीय सोशल मीडिया में लाइफ लाइन एक्सप्रेस छाई हुई है इस शिविर में कॉलेज के विद्यार्थी बढ़-चढ़कर सेवा कार्य में लगे हुए हैं …! जो यहाँ की फ़ोटो को वायरल कर रहे है।

स्वच्छ भारत अभियान की झलक

स्वास्थ शिविर की एक और खासियत है यहां भारी भीड़ होने के बाद भी स्वच्छ भारत अभियान की झलक देखने को मिलती है । साफ सफाई को यहां प्राथमिकता दी गई है। शौचालय से लेकर पूरा परिसर साफ सुथरा है। बिश्रामपुर लाइफ लाइन एक्सप्रेस शिविर में व्यवस्थाओं के संचालन में लगे हुए
जिला प्रशासन के अधिकारी कर्मचारी इनके नाम और पदों की फेरसित बहुत लंबी है। ये प्रबंधन की दक्षता दिखाते हुए
इस शिविर को सफल बनाने में लगे हुए है।

पुलिस प्रशासन

पुलिस प्रशासन यहां 26 तारीख के पहले से व्यवस्थाएं बनाए हुए हैं। तस्वीरे बयाँ करती है कि पुलिस के अफसर व सिपाही लाइफ लाइन एक्सप्रेस के पास मरीजो की लाठी बने हुए दिखाई देते है। यहां अब तक किसी भी प्रकार के विवाद की स्थिति नहीं उत्पन्न हुई। हर कोने में पुलिस बल तैनात था । जिले से कई थानों से पुलिस अधिकारी व सिपाही सेवा भावना के साथ ड्यूटी में लगे रहे क्षेत्र में लायन ऑर्डर कायम है बीते दिनों यहां की व्यवस्थाओं को देखने आए सरगुजा रेंज के आईजी अजय यादव ने व्यवस्थाओं को सराहा है।

शिक्षक और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता

स्कूल शिक्षा विभाग के शिक्षक और बीएड कॉलेज के विद्यार्थी भी आयोजन में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हुए अधिकारियों ने जो दायित्व सौंपा गया है उसे पूरा करते हुए दिखाई दे रहे हैं ..! यहां बस ट्रेन और अन्य साधनों से आए लोगों से चर्चा करने पर मालूम होता है की आंगनबाड़ी और स्वास्थ्य मितानीनो ने इस आयोजन के लिए मरीजों का चिन्हांकित करके यहां तक भेजने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है ।

मिला आपात काल से मुकाबले का अनुभव

इस लाइफ लाइन शिविर का हिस्सा बने
अधिकांश कर्मचारियों का मानना है कि उनके लिए यह स्वास्थ्य शिविर जीवन का पहला बड़ा अनुभव है । जिसका भविष्य में कही न कही लाभ मिलने की बात वे कह रहे है। कोरोना के साये में वृहद आयोजन काबिले तारीफ भी …है ! यह संकेत भी देता है कि आपात परिस्थितियों से निपटने के लिए जिला कलेक्टर जिला प्रशासन के अधिकारी , कर्मचारी और जिले का स्वास्थ विभाग तैयार है।

जिला प्रशासन की रसोई

इस शिविर की एक खास बात जिला प्रशासन की रसोई है। प्रशासन को इसमे अब तक कोई आर्थिक सहयोग करने का अवसर नही मिल पाया है जिला प्रशासन की इस रसोई की सारी की सारी व्यवस्थाएं समाजसेवी संगठनों दान दाताओं ने संभाल रखी है । जिला कलेक्टर ने भी अपने स्वयं के खर्च से एक दिन के सुबह के नाश्ते की व्यवस्था की है कुछ अधिकारियों ने भी अपने बच्चों के जन्मदिन के अवसर पर आर्थिक सेवा स्वरूप यहां रसद दान किया है।

इस रसोई में सुबह 8 बजे नाश्ता 10 बजे मरीजों के लिए खिचड़ी 12 बजे यह सभी लोगों के लिए खाना बन रहा है। जो शाम 4 बजे तक चलता है इसके अलावा रात का खाना शाम 7 बजे से शुरू हो जाता है जो बीते 26 अक्टूबर से जारी है ।

इस शिविर में चाय पीने के लिए भी किसी को पैसे खर्च नहीं करने पड़ रहे हैं दानदाताओं ने इस मोर्चे को अलग से संभाला हुआ है स्थानीय पत्रकारो ने भी चाय ब्रेड बिस्कुट यहां बांटे हैं ।

मिली जानकारी के मुताबिक यहां खाने की अच्छी क्वालिटी की 50,000 से अधिक पत्तले 12 दिन में उपयोग हो चुकी है यहां दिन में रोजाना 2000 से अधिक लोगों का खाना बन रहा है वही रात में 1200 के आसपास लोगों का खाना बनाया जा रहा है।

मरीजो की रसोई और डाइट चार्ट

जिला प्रशासन की इस रसोई एक और खासियत यह भी है कि मरीजों के लिए अलग से रसोई की व्यवस्था की गई है खाने की क्राकरी तक अलग की गई है डाइटिशियन की सेवा लेते हुए मरीजो के लिए यहां डाइट चार्ट भी मेंटेन करने की कोशिश कर रहे हैं ।

जनप्रतिनिधियों के सुझाव

कोविड-19 का प्रोटोकॉल का पालन राजनीतिक सामाजिक धार्मिक आयोजनों में जिस प्रकार हो रहा है वैसे ही यहां पर नजारे दिखाई देते हैं लेकिन अस्पताल के अंदर इलाज के दौरान इस प्रोटोकॉल का पालन हो रहा है। जीवन रेखा एक्सप्रेस शिविर में जिले के जनप्रतिनिधियों ने भी आकर यहां व्यवस्थाओं का जायजा लिया है व्यवस्थाओं पर महत्वपूर्ण सुझाव देकर कार्य की प्रशंसा भी की है।

लाइफ लाइन एक्सप्रेस की खासियत

इंपैक्ट इंडिया फाउंडेशन की लाइफ लाइन एक्सप्रेस की सुविधाओं की बात करें तो यह ऐसी है कि बड़े-बड़े प्राइवेट एवं सरकारी अस्पतालों की अत्याधुनिक सुविधाओ को टक्कर दे रही है विश्रामपुर शिविर में दिल्ली के डॉक्टर राम मनोहर लोहिया अस्पताल के ईएनटी विशेषज्ञ अपनी सेवाएं दे रहे फाउंडेशन देश के नामी-गिरामी अस्पतालों और वहां के डॉक्टरों की सेवाएं ले रहा है ।इस ट्रेन में इलाज के लिए अल्ट्रा मॉर्डन सुविधा से लैस है यह हास्पिटल पिछले कई सालों से लोगों की सेवा कर रहा है।

जब इसकी शुरूआत हुई थी तब इसमें केवल तीन कोच हुआ करती थे। कुछ समय बाद बढ़कर यह पाँच कोच हुआ और आज इसमें कुल सात कोच हैं। जिसका पहला कोच पावर कोच है, जिसमें डीजल जनरेटर व किचन बना हुआ है। यह पावर कोच बिजली बैकअप के लिए तैयार किया गया है व किचन में हास्पिटल स्टाफ के लिए भोजन तैयार किया जाता है। दूसरे कोच में आफिस और डायनिंग के लिए उपयोग किया जाता है। तीसरा कोच ऑपेरशन थियेटर जिसे फस्ट ओटी भी कहा जाता है, इसमें स्टेलाइज एरिया है जिसमें सर्जरी में उपयोग होने उपकरणों की साफ-सफाई की जाती है। चौथा कोच का उपयोग स्त्री रोग इलाज एवं सेकेण्ड ओटी के लिए किया जाता है। पांचवा कोच मरीजों के रिकवरी बेडकम कांफ्रेस हॉल के लिए उपयोग किया जाता है। छठवा कोच डेन्टल उपचार एवं मेडिकल स्टोर के लिए बनाया गया है। सातवा कोच स्टाप रूम के लिए आरक्षित रखा गया है।

अंचल को मिला लाभ

पहाड़ों और जंगलों से घिरे विश्रामपुर के इस इलाके के लोगों के लिए यह लाइफ लाइन एक्सप्रेस एक वरदान की तरह है। उम्मीद की जा रही है कि आसपास इलाके के लोग अधिक से अधिक इसका लाभ उठाकर अपना इलाज करा सकेंगे।

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