पैसा बनाने की भूख में गयी जान..4 दिन सड़ती रही लाश..बीबी को बताया..सफाई के कारण कपड़े से आ रही दुर्गंध..पढ़ें..दुकान से कार में कैसे पहुंची प्रियंका की लाश

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—कत्ल की ऐसी कहानी जिसमें अमीर बनने और पैसा बनाने की चाहत ने पूरे प्रदेश में सनसनी फैला कर रख दिया। जांच पड़ताल के दौरान लाश पूरे समय सबके सामने पड़ी रही..लेकिन आरोपी की चालाकी और सहजता के चलते पुलिस भटकती रही…मजेदार बात है कि आरोपी भी पुलिस के साथ गुम लड़की को तलाशता रहा। इस दौरान पुलिस पूछताछ करती रही..सीसीटीवी भी खंगालती रही..लेकिन लाश को चौथे दिन कार की पिछली सीट से बरामद किया गया। क्या है पूरा माजरा..पढते हैं इस कहानी में….

             
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                            15 नवम्बर को भिलाई से एक युवक अपनी बहन को तलाशने बिलासपुर पहुंचता है। युवक का नाम हिमांशु सिंह है। हिमांशु के पिता भिलाई प्रायवेट कम्पनी में काम करते है। पिता का नाम बृजेश सिंह है। हिमांशु की मां अन्जू सिंह गृहस्थ महिला है। हिमांशु के दोनो मामा विजय और अजय सिंह पुलिस विभाग में आरक्षक हैं।

गुम इंसान की रिपोर्ट

                     हिमांशु सिंह ने 16 नवम्बर को गुमशुदगी की रिपोर्ट सिटी कोतवाली थाना में दर्ज कराता है। हिमांशु ने पुलिस को बताया कि उसकी बड़ी बहन प्रियंका सिंह पीएससी तैयार करने दो साल बिलासपुर में है। टिकरापारा मन्नू चौक में रहती है।  पिछले 24 घंटे से गायब है। फोन भी नहीं लग रहा है। गुमशुदगी रिपोर्ट दर्ज होने के बाद पुलिस जांच पड़ताल करती है। संभावित ठिकानों तक पहुंचकर गायब युवती का पता लगाती है। इस दौरान युवती का मामा भी पहुंच जाता है। लेकिन युवती का कहीं पता नहीं चलता है।

पुलिस हुई गुमराह

                                  हिमांशु की निशानदेही पर पुलिस दयालबन्द स्थित सिटी फार्मेसी भी जाति है। लेकिन दुकान बन्द होता है। पुलिस आस पास की सीसीटीवी को खंगालती है। बावजूद इसके प्रियंका की जानकारी नहीं मिलती है। सीसीटीवी खंगालने के दौरान गुम युवती का भाई हिमांशु ने बताया कि शायद गाड़ी में बैठ रही लड़की उसकी बहन है। पुलिस ने तलाशी अभियान चलाया लेकिन नहीं कुछ नहीं निकला।

पुलिस को बताया चूहा मरने की दुर्गन्ध

       इसके बाद पुलिस 17 नवम्बर को कोतवाली थानेदार सिटी फार्मेसी दुकान पहुंचती है। थानेदार ने दुकान में घुसते ही दुर्गन्ध का अनुभव किया। थानेदार प्रदीप आर्य ने दुकान संचालक आशीष साहू से जरूरी पूछताछ किया। साथ ही दुर्गन्ध का कारण भी पूछा। बड़ी ही सहजता से संचालक आशीष साहू ने बताया कि दुकान में चूहा मरा है। उसकी सफाई किया हू। शायद उसी की गंध आ रही है। इसके बाद थानेदार प्रदीप आर्य चले गए।

दुकान संचालक से पूछताछ

                                   18 नवम्बर को खोजबीन के दौरान एक बार फिर थानेदार गुम लड़की के मामा और भाई के साथ सिटी फार्मेसी पहुंचते हैं। फिर से दुकान संचालक से बातचीत होती है। इस बार आशीष साहू भी पुलिस के साथ गुम लड़की की तलाश में सहयोग करता है। पुलिस को जानकारी भी देता है कि प्रियंका सिंह उसके दुकान हमेंशा आती थी। वाई फाई का उपयोग करने के अलावा स्कूटी छोड़कर भी जाती थी। प्रियंका के अलावा उसके दोस्तो का भी दुकान आना जाना होता है।

लाखों रूपयों का ट्राजेक्शन

                    खोजबीन के दौरान पुलिस एक बार दुकान संचालक से विधिवत पूछताछ करती है। साथ ही रूपयों पैसों को लेकर बातचीत करती है। अकाउन्ट खंगालने के दौरान पुलिस पुख्ता हो जाती है कि लड़की के गायब होने में दुकान संचालक आशीष साहू की भूमका संदिग्ध है। पूछताछ के बाद पुलिस आशीष साहू पर नजर रखती है।

दुकान में जाती है निकलती नहीं

                      एक बार फिर पुलिस सीसीटीवी को खंगालती है। फुटेज में गुम लड़की को करीब चार बार दुकान में आते और जाते देखा जाता है। लेकिन अन्तिम बार दुकान में लड़की जाती तो है..लेकिन निकलती नहीं। इस दौरान पुलिस भी पुख्ता हो जाती है कि मामला वित्तीय लेन देन को लेकर है। आशीष के खाते से पिछले आठ महीने में 19 लाख का ट्रांजेक्शन हुआ है।

शेयर मार्केट में लाखों का दांव

                  कड़ाई से पूछताछ करने पर आरोपी आशीष टूट जाता है। पुलिस भी आशीष के मुंह से हत्या की स्टोरी सुनकर दंग हो जाती है। आशीष ने बताया कि प्रियंका ग्रोअप कम्पनी के शेयर में रूपया लगाती थी। वह भी अपस्टाक में पैसा लगाता है। वह लगातार घाटे में थी..उसके सुझाव पर प्रियंका ने भी अपस्टाक में पैसा लगाना शुरू किया। और लगातार फायदे में रही।

                      आरोपी ने बताया कि प्रियंका का भाई हिमांशु का परिचय भी इसी दौरान हुआ। हिमांशु भी अपनी बहन के साथ शेयर मार्केट में रूपया लगाता है। प्रियंका ने कुल 11 लाख रूपये शेयर में लगाए। और उसे इस दौरान जमकर फायदा भी हुआ। पिछले एक महीने से शेयर का भाव गिरा…जिसके चलते प्रियंका के साथ उसे भी लांखों को घाटा हुआ। प्रियंका ने 11 लाख रूपये के लिए दबाव बनाया। घटना  के दिन यानि 15 नवम्बर को वह चार पांच बार दुकान आयी। और रूपयों के लिए लगातार दबाव बनाया। उसने बताया कि लोगों को लाखों रूपये उधार देना है। जिसके चलते वह परेशान है। और दिसम्बर में घर भी जाना है। वह चिल्लाने लगी..बचने के लिए उसने गला पकड़ लिया। आवाज ना निकले इसके लिए मुंह को रूई से बन्द कर दिया। और कुछ देर बाद प्रियंका की सांसे रूक गयी। लाश को फ्रीज और फोटो कापी मशीन के बीच खाली स्थान में बैठा दिया।

 पुलिस से बचने दुकान से किया लाश गायब

               पुलिस के लगातार दबाव से बचने लाश को 18 की सुबह कार में बन्द कर कस्तूरबानगर स्थित घर लाया। पुलिस ने पूछताछ के बाद तत्काल लाश को घर में  खड़ी बन्द कार से लाश को बरामद किया। 20 नवम्बर को आरोपी के निशानदेही पर दुकान की छानबीन हुई। क्राइम सीन क्रिएशन के बाद पंचनामा कार्रवाई के बाद आरोपी को विधिवत गिरफ्तार किया गया। 

मृतिका का मामा ने कहा..लाड़ली थी

               मरचुरी में पीएम कार्रवाई के दौरान प्रियंका का मामा विजय सिंह ने बताया कि उसकी बच्ची पढ़ने लिखने में होशियार थी। प्रशासनिक अधिकारी बनने की चाह में बिलासपुर में कोचिंग कर रही थी। यद्यपि घर की स्थिति बहुत मजबूत तो नहीं…लेकिन उसकी सभी मांग को हम दोनो भाई और उसके पिता पूरा करते थे। दो मामा और पिता के बीच कुल पांच भाई बहन है। प्रियंका एकलौती लड़की है। उसे सभी लोग प्यार करते थे। जाहिर सी बात है कि रूपयों से लेकर सामान्य जरूरतों को आसानी से पूरा किया जाता था।

उतारा मौत के घाट

                           प्रियंका को दिसम्बर में घर लौटना था। उसे पीएससी रिजल्ट का भी इंतजार था। छानबीन के दौरानर पता चला कि उसने शेयर में 19 लाख रूपए दांव पर लगाया है। साढ़े तीन लाख रूपये ही आशीष पर बकाया था। लेकिन दबाव बनाने पर उसने प्रियंका को मौत के घाट उतार दिया।

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