मुंगेली(आकाश दत्त मिश्रा) । नए जिले के रूप में नक्शे में उभरे मुंगेली जिले में विकास की गति भले धीमी है। लेकिन पुलिस से सम्बंधित कानूनों के पालन को लेकर अब भयँकर सजगता देखने को मिल रही है । ये बात अलग है कि ये सजगता व्यक्ति विशेष या ग्रामीण क्षेत्रो से आने वाले ग्रामीणों के लिए ज्यादा रहती है ।
मुंगेली नगर में समस्याओं का अंबार हर क्षेत्र में है चाहे मसला सफाई का हो , पार्किंग का हो शिक्षा का हो या फिर स्वास्थ्य का । इनमे सबसे विकराल समस्या पार्किंग की भी है। किसी भी संस्थान में पर्याप्त पार्किंग के लिए जगह छोड़ी ही नही गयी है । फिर जगह चाहे सरकारी हो या निजी ,अच्छा किराया प्राप्त करने के लालच में आकर अपने भवनों को किराए से देने वाले नागरिकों ने आमजनता के लिए पार्किंग के लिए इतनी जगह भी नही छोड़ी है कि एक 4 पहिया वाहन आराम से खड़ी हो सके। ऐसी स्थिति में यातायात विभाग् अपने कानूनी चाबुक का भरपूर इस्तेमाल कर रहा है। असल समस्या को समझे बगैर गाड़ियों के पहिये लॉक किये जा रहे ।जो कि चालान के रूप में बड़ी रकम अदा करने के बाद अपने मनमाने समय पर खोले जाते है।
ऐसे में यातायात अधिकारियों और आमजन के बीच तनातनी की स्थिति बनना आम बात होने लगी है। जो कि चिंता का विषय है। लेकिन पुलिस महकमा इसे चिंता के तौर पर ना लेकर स्वयं की पीठ थपथपाने पर क्यो तुला है समझ से परे है। पार्किंग की व्यवस्था नही होने की स्थिति में वाहन चालक अपने वाहन कहां खड़ा करे ?ये सवाल मुंगेली का हर शख्स कर रहा क्योकि उसे डर है कि कब यातायात का कानूनी डंडा उसकी गाड़ी की पहियों पर पड़ेगा और जेबें ढीली हो जाएगी। जिला प्रशासन , पुलिस प्रशासन , और नगर पालिका प्रशासन को कई मर्तबे जनप्रतिनिधियों , स्थानीय पत्रकारों , आम जनता के द्वारा पार्किंग की समस्याओं से अवगत कराया गया है लेकिन मुंगेली प्रशासन गांधी जी के तीन बंदरो की भूमिका में बैठा हुआ ही नज़र आ रहा है। इससे पहले की मुंगेली में यातायात विभाग की कार्यवाहियों के मनमाने रवैये के कारण स्थिति और भी तनावपूर्ण हो जिला प्रशासन को पार्किंग की व्यवस्था के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए । ऐसी आवश्यकता अब महसूस की जाने लगी है।