बिलासपुर।लोकसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा हो गई है. इसके साथ ही चुनावी रण का बिगुल भी बज गया है. लोकसभा चुनाव 7 चरणों में होने हैं और 11 अप्रैल को पहले चरण का चुनाव है. वहीं 23 मई को लोकसभा चुवान के परिणाम घोषित होंगे. लोकसभा चुनाव के साथ ही आंध्र प्रगदे लोकसभा चुनाव की तारीख आने के साथ ही बीजेपी, कांग्रेस समेत सभी पार्टियां जोर-शोर से चुनाव प्रचार में लग जाएगी. जहां बीजेपी फिर से कोशिश करेगी कि पिछले 5 साल के दौरान किए गए कामों के बारे में जनता को बताकर वह फिर से केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार बनाए, वहीं कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दल इस कोशिश को अंजाम तक पहुंचाने की कोशिश में लग जाएंगे कि 5 साल के बाद वे फिर से दिल्ली की सत्ता पर आसीन हो.CGWALL.COM के WhatsApp GROUP से जुडने के लिए यहाँ क्लिक करे
मालूम हो कि चुनाव आयोग द्वारा लोकसभा या विधानसभा चुनाव की तारीख की घोषणा के साथ ही आचार संहिया या चुनावी आचार संहिता लागू हो जाती है. इसके साथ ही राजनीतिक पार्टियां, उनके उम्मीदवार, नेताओं और यहां तक कि जनता पर भी कुछ जरूरी प्रतिबंध लग जाते हैं, जिनका पालन करना जरूरी होता है. अब सवाल ये उठता है कि कि आचार संहिता का मतलब क्या है?
आचार संहिता का मतलब है चुनाव आयोग के वे निर्देश, जिनका पालन हर पार्टी और उसके उम्मीदवार को करना होता है. अगर कोई उम्मीदवार या पार्टी चुनाव आयोग की नियमों का उल्लंघन करता है तो चुनाव आयोग कार्रवाई कर सकता है. उम्मीदवार को चुनाव लड़ने से रोका जा सकता है और यहां तक कि उसके खिलाफ एफआईआर हो सकती है और जेल की सजा भी मिल सकती है.
चुनाव आयोग के निर्देशानुसार कोई भी राजनीतिक दल और उसके उम्मीदवार आचार संहिता लागू होने के बाद अपने भाषणों में वैसी बातें नहीं बोल सकते, जिससे जातिगत, धार्मिक और भाषायी स्तर पर उन्माद बढ़ने की आशंका हो. साथ ही धार्मिक स्थलों पर चुनाव प्रचार करने की इजाजत नहीं होती. आचार संहिता लागू होने के बाद कोई सरकारी भर्ती नहीं की जाती है.
मालूम हो कि आचार संहिता लागू होने के बाद सत्ताधारी पार्टी या सरकार कोई लोक लुभावन घोषणाएं नही कर सकती. चुनाव के दौरान सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग न करने की सख्त हिदायत दी जाती है. सरकार को नए कल्याण कार्यक्रम या योजनाएं लॉन्च करने की अनुमति नहीं होती.