पढ़िए मरवाही उपचुनाव पर दिलचस्प रपट..किस एक नेता ने कांग्रेस,BJP और निर्दलीय उम्मीदवार की हैसियत से चुनाव लड़ा….?

Chief Editor
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(गिरिज़ेय)मरवाही विधानसभा सीट के उपचुनाव के लिए सरगर्मी शुरू हो गई है ।  अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित इस विधानसभा सीट में 2001 के चुनाव को मिलाकर अब तक 13 चुनावी मुक़ाबले  हो चुके हैं  । जिसमें से सबसे अधिक 10 बार कांग्रेस को जीत हासिल हुई है ।  दो बार भाजपा ने जीत का परचम लहराया और 2018 के पिछले चुनाव में छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस के सुप्रीमो अजीत जोगी चुनाव जीते थे  । इन आंकड़ों से साफ है कि मरवाही सीट अब तक कांग्रेस के गढ़ के रूप में पहचानी जाती रही है  । ताजा उपचुनाव में किस तरह के समीकरण होंगे यह देखना दिलचस्प होगा….।सीजीवाल न्यूज के व्हाट्सएप ग्रुप से जुडने के लिए यहाँ क्लिक कीजिये

             
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इतिहास के पन्नों को पीछे पलटने से यह साफ नजर आता है कि मरवाही सीट से अब तक कांग्रेस को ही अधिक कामयाबी मिली है । मरवाही सीट 1967 में सबसे पहले अस्तित्व में आई ।  उस समय कांग्रेस की टिकट पर चंद्रशेखर सिंह पहले विधायक चुने गए । उन्होंने जनसंघ के पूरन सिंह को पराजित किया । 1972 के विधानसभा चुनाव में डॉ. भंवर सिंह पोर्ते पहली बार कांग्रेस की टिकट पर मैदान में उतरे और अपने निकटतम प्रतिद्वंदी निर्दलीय राम प्रसाद को पराजित कर यह सीट जीत ली  । उसके बाद 1977 में जनता लहर के बावजूद कांग्रेस की टिकट पर भंवर सिंह पोर्ते ने चुनाव मैदान में जीत हासिल की । उन्होंने इस बार जनता पार्टी के बंसीलाल को हराया । 1980 में कांग्रेस के डॉक्टर भंवर सिंह पोर्ते ने भाजपा के भगत सिंह को परास्त किया । 1985 के चुनाव के समय आखिरी दौर में डॉक्टर भंवर सिंह पोर्ते की टिकट कट गई । उनकी जगह कांग्रेस की ओर से मैदान में उतरे दीनदयाल पोर्ते ने जीत हासिल की ।  उन्होंने भाजपा के अमर सिंह को हराया ।

1990 के विधानसभा चुनाव में तस्वीर बदल गई । तब तक डॉक्टर भंवर सिंह पोर्ते भाजपा में शामिल हो चुके थे । इस बार भाजपा की टिकट पर मैदान में उतरे डॉक्टर भंवर सिंह पोर्ते ने कांग्रेस के फत्ते सिंह को पराजित किया  । 1993 के विधानसभा चुनाव में तस्वीर फिर बदली । इस बार कांग्रेस की टिकट पर पहलवान सिंह चुनाव जीते । उन्होंने भाजपा के अमर सिंह को चुनाव में हराया । इस चुनाव में के ठीक पहले डॉक्टर भंवर सिंह पोर्ते बीजेपी से नाता तोड़ चुके थे और निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में थे।  चुनाव के दौरान ही उनका आकस्मिक निधन हो गया । इस तरह डॉ भंवर सिंह पोर्ते मरवाही के ऐसे जनप्रतिनिधि रहे ,जिन्होंने कांग्रेस ,भाजपा और निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में भी चुनाव मैदान में हिस्सा लिया ।  1998 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की टिकट पर रामदयाल उइके ने यह सीट जीती और उन्होंने कांग्रेस के पहलवान सिंह को पराजित किया ।

1998 के चुनाव के कुछ समय बाद 2000 में छत्तीसगढ़ राज्य बना और अजीत जोगी पहले मुख्यमंत्री बने  । रामदयाल उइके ने अजीत जोगी के लिए मरवाही सीट से इस्तीफा दे दिया । जिसके बाद फरवरी 2001 में मरवाही विधानसभा सीट के उपचुनाव कराए गए  । इस उपचुनाव में अजीत जोगी ने कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल की । उन्होंने भाजपा के अमर खुसरो को हराया । 2003 में अजीत जोगी ने मरवाही से भाजपा के कद्दावर नेता नंदकुमार साय को पराजित किया और दूसरी बार विधायक चुने गए ।  इसी तरह 2003 के विधानसभा चुनाव के बाद लोकसभा के चुनाव हुए । जिसमें अजीत जोगी महासमुंद लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुनकर गए और मरवाही विधायक का पद उन्हें छोड़ना पड़ा  । लेकिन इस सीट पर उप चुनाव नहीं हुआ । भाजपा के नंद कुमार साय की याद चुनावी याचिका के बाद यह सीट 2008 तक खाली रही । 2008 के विधानसभा चुनाव में अजीत जोगी फिर कांग्रेस की टिकट पर मैदान में उतरे और भाजपा के ध्यान सिंह पोर्ते को पराजित कर मरवाही सीट जीत ली ।  2013 के चुनाव में कांग्रेस की टिकट पर अमित जोगी चुनाव लड़े और भाजपा की समीरा पैकरा को हराकर चुनाव जीत लिया ।

2018 के पिछले चुनाव के ठीक पहले तस्वीर फिर बदल गई  । अजीत जोगी ने  कांग्रेस से अलग होकर अपनी अलग पार्टी छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस बना ली । अपनी नई पार्टी के उम्मीदवार के रूप में उन्होंने 2018 का चुनाव जीत लिया । इस बार उन्होंने बीजेपी उम्मीदवार अर्चना पोर्ते  को पराजित किया । अजीत जोगी के निधन के बाद मरवाही सीट खाली हुई है।  जिसमें उपचुनाव कराया जा रहा है । मरवाही सीट का यह 14 वा चुनाव होगा ।  जिसमें चुनावी मुकाबले को लेकर सरगर्मी बढ़ गई है। इस बार किस तरह के समीकरण बनेंगे , यह आने वाला समय ही बताएगा। वैसे अब तक मरवाही विधानसभा सीट के लिए हुए तेरह चुनावी मुक़ाबले में सर्वाधिक दस बार कांग्रेस के ही उम्मीदवार जीतकर आए हैं। दो बार बीजेपी को ज़ीत हासिल हुई है औऱ एक चुनाव में छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस को कामयाबी मिली है। दिलचस्प यह भी है कि डॉ. भंवर सिंह पोर्ते और अजीत जोगी दोनों ने ही एक बराबर चार-चाऱ बार मरवाही में ज़ीत हासिल की । डॉ. पोर्ते ऐसे जनप्रतिनिधि रहे , जिन्होने कांग्रेस – भाजपा के साथ ही निर्दलीय उम्मीदवार की हैसियत से भी चुनाव लड़ा। जबकि अज़ीत ज़ोगी कांग्रेस और छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस से उम्मीदवार रहे।

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