पढ़िए मरवाही चुनाव पर दिलचस्प रपट– स्कूल में साथ पढ़े डॉ. पोर्ते और जोगी का मुक़ाबला इस मामले में बराबरी पर रहा..

Chief Editor
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(गिरिज़ेय)मरवाही विधानसभा का उपचुनाव दिलचस्प होता जा रहा है ।अनुसूचित जनजाति के लिए रिजर्व इस विधानसभा सीट का चुनावी इतिहास भी दिलचस्प रहा है ।जहां अब तक हुए 13 चुनाव में दो ऐसे भी उम्मीदवार थे , ज़िन्होने चार चार बार जीत हासिल की ।पहले डॉ. भंवर सिंह पोर्ते चार बार मरवाही से विधायक चुने गए । वहीं पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने भी चार बार मरवाही से जीत दर्ज की । दिलचस्प संयोग यह है कि डॉ. भंवर सिंह पोर्ते तीन बार कांग्रेस और एक बार भाजपा से विधायक चुने गए थे।वही अजीत जोगी भी तीन बार कांग्रेस और एक बार छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस से विधायक चुनकर गए।इस तरह मरवाही से प्रतिनिधित्व के मामले में डॉ. पोर्ते और अजीत जोगी का मुकाबला बराबरी पर रहा.1967 से मरवाही विधानसभा क्षेत्र अस्तित्व में आया । तब से अब तक यह क्षेत्र अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है । इस सीट पर अब तक 2001 के उपचुनाव को मिलाकर कुल 13 चुनाव हो चुके हैं ।सीजीवाल न्यूज के व्हाट्सएप ग्रुप से जुडने के लिए यहाँ क्लिक कीजिये

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जिनमें से 10 बार कांग्रेस दो बार भाजपा और एक बार छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस को जीत हासिल हुई है । जहां मरवाही से प्रतिनिधित्व करने वाले विधायकों का सवाल है पहले डॉ. भंवर सिंह पोर्ते और फिर अजीत जोगी ने मरवाही का चार – चार बार प्रतिनिधित्व किया । 1972 में डॉ. भंवर सिंह पोर्ते पहली बार चुनाव मैदान में उतरे और उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी निर्दलीय रामप्रसाद को पराजित किया । 1977 की जनता लहर में भी डॉ. भंवर सिंह पोर्ते ने जीत हासिल की थी और जनता पार्टी उम्मीदवार बंसीलाल को हराया था । 1980 में डॉ. भंवर सिंह पोर्ते लगातार तीसरी बार कांग्रेस की टिकट पर चुनाव जीते । इस बार उन्होंने भाजपा उम्मीदवार भगत सिंह को हराया था । इसके बाद 1985 के चुनाव में आखरी समय में डॉक्टर भंवर सिंह पोर्ते की टिकट कट गई । जिससे वे चुनाव मैदान में नहीं उतर सके ।

1990 का चुनाव आते-आते हालात बदल गए थे और तब तक डॉ. भंवर सिंह पोर्ते भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो चुके थे । भाजपा ने 1990 के चुनाव में डॉ. पोर्ते को मरवाही से अपना उम्मीदवार बनाया और उन्होंने कांग्रेस के फ़त्ते सिंह को पराजित कर यह चुनाव जीत लिया । इस तरह वे चौथी बार मरवाही सीट से चुनाव जीते थे। हालांकि डॉ. भंवर सिंह पोर्ते और मरवाही के साथ जुड़ी एक विडंबना यह भी है कि 1993 का चुनाव आते- आते डॉ. पोर्ते भाजपा छोड़ चुके थे और 1993 में वे निर्दलीय उम्मीदवार की हैसियत से चुनाव मैदान में थे । चुनाव प्रचार अभियान के बीच उनका आकस्मिक निधन हो गया और क्योंकि डॉ. पोर्ते निर्दलीय उम्मीदवार थे । लिहाजा चुनाव बिना किसी रुकावट के तयशुदा कार्यक्रम के मुताबिक संपन्न हुआ और इस बार कांग्रेस की टिकट पर पहलवान सिंह मरवाही के विधायक चुने गए थे ।

मरवाही विधानसभा सीट की सियासत में अजीत जोगी की एंट्री 2001 में हुई । जब छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद वे सूबे के पहले मुख्यमंत्री बने । उस समय भाजपा के रामदयाल उइके मरवाही के विधायक थे । रामदयाल उइके ने अजीत जोगी के लिए अपनी सीट से इस्तीफा दिया और 2001 में उपचुनाव कराया गया । जिसमें मुख्यमंत्री रहते हुए चुनाव मैदान में उतरे अजीत जोगी ने भाजपा उम्मीदवार अमर खुसरो को भारी मतों के अंतर से हराया । इसके बाद अज़ीत ज़ोगी लगातार तीन बार मरवाही के विधायक चुने गए । 2003 में कांग्रेस की टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे अजीत जोगी ने उस समय के भाजपा उम्मीदवार नंदकुमार साय को हराया । यह चुनाव इस वजह से भी दिलचस्प था कि मरवाही में छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी और छत्तीसगढ़ विधानसभा में पहले नेता प्रतिपक्ष नंदकुमार साय के बीच मुकाबला था ।

2008 में फिर कांग्रेस की टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे अजीत जोगी ने भाजपा उम्मीदवार ध्यान सिंह पोर्ते को हराया और यह सीट जीत ली । 2013 के विधानसभा चुनाव में मरवाही से अमित जोगी कांग्रेस के उम्मीदवार बनाए गए थे । लेकिन 2018 के पिछले चुनाव में अजीत जोगी अपनी नई पार्टी छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस बना चुके थे और इस पार्टी के उम्मीदवार के रूप में उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी भाजपा उम्मीदवार अर्चना पोर्ते को पराजित किया । इस तरह मरवाही से डॉ. भंवर सिंह पोर्ते और अजीत जोगी ने एक बराबर चार – चार बार प्रतिनिधित्व किया। यह इत्तफ़ाक है कि स्कूली जीवन में सहपाठी रहे डॉ. पोर्ते और अजीत जोगी इस मामले में मरवाही में बराबरी पर रहे।

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