
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता घनश्याम राजू तिवारी ने कहा कि एक ओर शिक्षा मंत्री केदार कश्यप, रमन सरकार के 14 वर्षो में अपने विभाग का गुणगान कर रहे है, वहीं दूसरी ओर मिड्-डे मील खा कर प्रदेश के बच्चे शिक्षा के मंदिर से अस्पताल पहुंच रहे है। दुर्भाग्य का विषय है कि पूर्व में मिड्-डे मील (मध्याह्न भोजन) वितरण का संचालन स्कूल के द्वारा किया जाता था और जिसकी जिम्मेदारी प्रधान पाठक की होती थी। जिससे बच्चों को हरी सब्जिया शुद्ध, ताजा भोजन परोसा जाता था। वर्तमान परिस्थितियों में वर्ष 2006 के बाद से एनजीओं संचालक द्वारा प्राईमरी स्कूलों में प्रति बच्चे तथा 4 रूपय 75 पैसे एवं मीडिल स्कूल के बच्चो को 100 ग्राम चावल शासन की ओर से एवं 5 रूपय 25 पैसे के दर से भुगतान किया जाता है। जबकि वर्ष 2005 तक प्रधान पाठको के संचालन के यह राशि 2 रूपय 65 पैसे (प्राईमरी छात्रा) एवं 3 रूपय 15 पैसे मीडिल स्कूल के छात्रो को दिया जाता था। सरकार ने कमीशनखोरी के चलते फैसले को बदल कर मिड्-डे मील मध्याह्न भोजन वितरण का कार्य एनजीओं के हाथों में सौप दिया। जिससे एनजीओं संचालक अधिक मुनाफा कमाने के चलते गुणवक्ता विहीन वस्तुओं का उपोयग कर अत्यधिक मात्रा में पकाने का काम करते है और सही समय पर वितरण न होने जैसी समस्याओं के चलते हमारे नवजात विषैला भोजन खाने को मजबूर है, तथा फूड-प्वाइजनिंग के शिकार हो रहे है।
उन्होने कहा कि यह सरकार पौष्टिक आहार जिससे मानसिक स्वास्थ, शाररिक स्वास्थ, समाजिक स्वास्थ को आधार मानकर पेटभर खाना देने के नाम से बच्चों के स्वास्थ एवं भविष्य से खिलवाड़ कर रही है।