नहीं छूट रहा मोपका का मोह..हल्का पाने अब म्यूचुयल का खेल..पटवारियों ने लगाई ताकत

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर— बड़ी सर्जरी के बाद भी पटवारियों को मोपका का मोह छूट नहीं रहा है। जानकारी मिल रही है कि शहर से भगाए गए जाने के बाद पुराने पटवारी लिखा पढ़ी के साथ शहर के कुछ मलाई वाले हल्का में घुसपैठ तैयारी कर रहे हैं। वहीं गांव से लाए गए पटवारी भी घर वापसी के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं। ऐसा ही एक आवेदन मोपका पटवारी की तरफ से जिला कार्यालय को भेजा गया है। जीत कुमार पटेल ने बेलपान जाने की इच्छा जाहिर किया है। वहीं के.पी. पाटनवार को मोपका दिए जाने का जिला प्रशासन को सुझाव दिया है। बहरहाल दोनो पटवारियों के बीच म्यूचुअल आवेदन राजस्व महकमें में चर्चा का विषय है।

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                      पटवारियों की मिल रही लगातार शिकायत के बाद अभी एक महीने पहले ही शासन प्रशासन ने रायपुर समेत बिलासपुर में पटवारियों को इधर से उधर किया है। गांव के पटवारियों को शहर और शहर के पटवारियों को ग्रामीण हल्के की जिम्मेदारी दी गयी। स्थानांतरण सूची जारी होते ही कुछ पटवारियों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया तो कुछ ने आदेश को शिरोधार्य कर हल्का निर्धारित हल्का को संभाल लिया। लेकिन खेल यही खत्म नहीं हुआ। शहर के मलाई वाले हल्का को पाने पटवारियों ने म्यूचुअल का खेल शुरू कर दिया है।

                              जानकारी के अनुसार जीत कुमार पटेल ने जिला प्रशासन को एक आवेदन देकर बेलपान हल्का भेजे जाने की मांग की है। अपने आवेदन में जीत कुमार पटेल ने बताया है कि परिवार के सदस्यों की तबीयत ठीक नहीं है। इसलिए उन्हें निजी व्यय पर बेलपान हल्का 12 में स्थानांतरित किया जाए। उनके स्थान पर पुराना पटवारी के.पी.पाटनवार को मोपका लाया जाए। 

             जानकारी देते चलें कि स्थानांतरण सूची जारी होने के बाद एक महीने पहले ही जीत कुमार पटेल ने मोपका हल्का को संभाला है। सब कुछ ठीक ठाक होने के बाद भी जीत कुमार  मलाई वाला हल्का क्यों छोड़ना चाहते हैं। बहरहाल राजस्व प्रशासन में चर्चा का विषय है। 

           चर्चा का विषय यह भी है कि जीत कुमार ने अपने आवेदन में मोपका की जिम्मेदारी के.पी.पाटनवार को दिए जाने की मांग की है। जानकारी देते चलें कि के.पी.पाटनवार ने अरपा पार कमोबेश सभी हल्का में लम्बे समय तक सेवा दिया है। जिले के अन्य पटवारियों की तरह उन्हें भी  मोपका हल्का से विशेष लगाव है।

              देखने वाली बात है कि क्या जीत कुमार के आवेदन को जिला प्रशासन कितना तवज्जो देता है। यदि दिया भी जाता है तो लोगों को इस बात का इंतजार रहेगा कि क्या के.पी.पाटनवार को एक बार फिर मोपका की जिम्मेदारी दी जाती है। समय ही बताएगा कि मोपका हल्का पाने के लिए म्यूचुअल का यह तरीका भी ठीक ही है?   

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