राजधानी का धरना स्थल सर्व विभागीय संविदा कर्मचारी महासंघ के बड़े धरने के साथ दिखाई देने वाला है। दो दिवसीय मनोकामना पूर्ति पदयात्रा के लिए प्रदेश के कोने-कोने से संविदा कर्मचारी रायपुर पहुंचने लगे हैं।रायपुर के होटल, धर्मशाला आदि इन संविदा कर्मचारियों से भरे हुए हैं। महासंघ भी इन कर्मचारियों के बूते आर -पार की लड़ाई के लिए तैयार नजर आ रहा है।महासंघ के प्रांतीय अध्यक्ष कौशलेश तिवारी ने बताया कि वर्ष 2018 में अनिश्चितकालीन हड़ताल की गई थी और उस हड़ताल के दौरान आकर वर्तमान मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री ने सरकार बनने की स्थिति में 10 दिवस के भीतर नियमितीकरण का वादा किया था जो आज तक पूरा नहीं हुआ है।
सरकार बनते ही कांग्रेस अपना वादा भूल गई और विगत 4 वर्षों से केवल जानकारी एकत्र करने का झांसा दिया जा रहा है। सरकार की इस वादाखिलाफी से कर्मचारियों में रोष है और इसी रोष की परिणति 19-20 नवंबर को प्रस्तावित मनोकामना पूर्ति पदयात्रा है।
सर्व विभागीय संविदा कर्मचारी महासंघ के तत्वावधान में पूरे प्रदेश के 45 हजार से अधिक कर्मचारी माता कौशल्या मंदिर, चंद्रखुरी से कल शनिवार को अपने नियमितीकरण की मनोकामना को पूरा करवाने के उद्देश्य से पदयात्रा पर निकलेंगे। और 25 किमी के इस मार्च के बाद 20 तारीख को रायपुर में मुख्यमंत्री निवास पहुंचेंगे जहां मुख्यमंत्री को माता कौशलया धाम से संकलि्त मनोकामना श्रीफल एवं स्मृति चिन्ह भेंट कर नियमितीकरण के संबंध में ज्ञापन सौपा जाएगा।इस मार्च में 20 से 25 हजार संविदा कर्मचारी शामिल होंगे और अपने नियमितीकरण के लिए माता कौशल्या और भगवान राम से गुहार लगाएंगे। विगत कुछ समय में राजस्थान, उड़ीसा, झारखंड, हिमाचल प्रदेश, पंजाब आदि राज्यों में संविदा कर्मचारियों को नियमित किया गया है, इससे प्रदेश के संविदा कर्मचारी भी आशान्वित हैं कि चुनावी वर्ष में इनकी निर्णायक संख्या को देखते हुए सरकार इनके नियमितीकरण हेतु कोई ना कोई कदम जरूर उठाएगी। वर्ष 2018 के चुनावों में इन संविदा कर्मचारियों और इनके परिजनों ने कांग्रेस के पक्ष में एकतरफा मतदान किया था और कांग्रेस की बंपर जीत और स्पष्ट बहुमत लाने में अहम भूमिका निभाई थी। अब चार वर्ष बीतने पर भी इनका नियमितीकरण नहीं होने से इनमें रोष व्याप्त है और इसका खामियाजा कांग्रेस को आगामी चुनावों में भुगतना पड़ सकता है