संतान की लंबी आयु के लिए माताओं ने की जीवित्पुत्रिका व्रत

Shri Mi
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रामानुजगंज(पृथ्वीलाल केशरी) आज नगर के कन्हर नदी के तट पर बसे श्री राम मंदिर मां महामाया मंदिर शिव मंदिर सहित अन्य मंदिरों एवं घरों पर महिलाओं
ने संतान की लंबी आयु की कामना लिए जीवित्पुत्रिका व्रत बड़े श्रद्धा भाव के साथ किया। सनातन परंपरा में हर दिन किसी न किसी देवी-देवता की पूजा या उपवास से जुड़ा होता है आस्था से जुड़े आश्विन मास में पितृपक्ष,नवरात्र आदि पर्वों के साथ संतान की लंबी आयु की कामना लिए जीवित्पुत्रिका व्रत रखा जाता है यह व्रत हर साल आश्विन मास के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। जिस जितिया व्रत का नाम गंधर्व राजकुमार जीमूतवाहन के नाम पर रखा गया है। संतान के सुख-समृद्धि की कामना के लिए रखा जाने वाला जितिया व्रत काफी कठिन माना जाता है इस दिन महिलाएं अपने संतान की लंबी आयु की कामना के लिए पूरे दिन निर्जला उपवास रखती हैं इस व्रत की पूजा तीन दिनों में संपन्न होती है व्रत की शुरुआत आश्विन मास के कृष्णपक्ष की सप्तमी वाले दिन नहाय खाए से होती है इस दिन महिला सूर्यास्त के बाद कुछ भी नहीं खाती हैं इसके बाद अष्टमी के दिन विधि-विधान से निर्जला व्रत रखने के बाद नवमी तिथि वाले दिन व्रत का पारण किया जाता है।

             
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जितिया व्रत का धार्मिक महत्व

पौराणिक मान्यता के अनुसार महाभारत काल में अश्वत्थामा ने बदले की भावना लिए अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ में पल रहे बच्चें को मारने का प्रयास किया था अश्वत्थामा ने जब ब्रह्मास्त्र से उत्तरा के गर्भ को नष्ट कर दिया तब भगवान श्रीकृष्ण ने उत्तरा की अजन्मी संतान को फिर से जीवित कर दिया। जिस भगवान श्रीकृष्ण ने उत्तरा के बच्चे को गर्भ में जीवित किया,वह दिन आश्विन मास के कृष्णपक्ष की अष्टमी थी तब से संतान की लंबी आयु की कामना के लिए जीवित्पुत्रिका रखा जाने लगा मान्यता है कि जो महिलाएं इस व्रत को पूरे विधि-विधान से रखती हैं,उनके बच्चों पर भगवान श्रीकृष्ण की विशेष कृपा बरसती है।मान्यता है कि इस व्रत को रखने से संतान की आयु बढ़ती है और निरोगी और सुखी जीवन जीता है

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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