Mp अध्यापक संविलियन में कई खामियां,संगठन ने कराया खतरों से सावधान

Shri Mi
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भोपाल।शिक्षा विभाग में संविलियन की वायरल संक्षेपिका के अनुसार 01 जुलाई 2018 से राज्य स्कूल शिक्षा सेवा में अध्यापकों की नियुक्ति होना है। इसलिए समस्त सुविधाओं का लाभ इसी दिनांक को आधार मानकर किए जाएंगे।MP अध्यापक संघर्ष समिति के नेता रमेश पाटिल ने इससे जुड़े खतरों के इशारा किया है।जिनमे ग्रेच्युटी (उपादान) 16•5 माह की पूर्ण ग्रेच्युटी प्राप्त करने के लिए 33 वर्ष की सेवा होना जरूरी है। ग्रेच्युटी न्यूनतम 05 वर्ष (4 वर्ष 7 माह) की सेवा होने पर ही लागू होती है। अनेक अध्यापक 05 वर्ष की सेवा पूर्ण होने के पूर्व ही सेवानिवृत्त हो जाएंगे। इसलिए उन्हे ग्रेच्युटी का लाभ नही मिल पायेगा और 05 वर्ष से अधिक सेवा होने पर जिन्हें ग्रेच्युटी की सुविधा लागू होगी उन्हें बहुत कम लाभ प्राप्त होगा क्योकि तब अध्यापको की सेवा अवधि बहुत कम बची होगी।

             
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ग्रेच्युटी का सूत्र = अंतिम माह का कुल वेतन × सेवा की अवधि पूर्ण वर्षो मे × 15/26
आप स्वयं अनुमान लगा सकते हैं कि आपको लगभग कितनी ग्रेच्युटी प्राप्त होगी।अधिकतम 20 लाख से कोसो दूर रह जायेगे।
रमेश पाटिल ने बताया कि यदि केंद्र सरकार और राज्य सरकार कर्मचारियो के प्रति अत्यधिक उदार भी हो गई और पुरानी पेंशन/पारिवारिक पेंशन लागू भी कर दी तो अनेकों अध्यापक इस लाभ से वंचित हो जाएंगे क्योंकि पुरानी पेंशन/पारिवारिक पेंशन के लिए न्यूनतम 18 वर्ष की सेवा होना जरूरी है। 18 वर्ष की सेवा के पहले ही अनेक अध्यापक सेवानिवृत्त हो जाएंगे और उन्हें केवल सेवानिवृत्ति पर शाल और श्रीफल की पात्रता भर रहेगी।
01 जुलाई 2018 से सेवा अवधि की गणना होने पर 2030 के पूर्व क्रमोन्नति, पदोन्नति की सामान्य पात्रता नहीं होगी। परीक्षा द्वारा प्राचार्य के पद पर भी पदोन्नत होने के लिए न्यूनतम 05 वर्ष की सेवा अनिवार्य होने के कारण वर्तमान वरिष्ठ अध्यापक 2023 तक पात्र नहीं होंगे। इस परीक्षा में भी सेवा अवधि के अंक जुड़ने पर वर्तमान वरिष्ठ अध्यापक परीक्षा परिणाम में पिछड़ जाएंगे।
रमेश ने कहा कि 01 जुलाई 2018 से राज्य स्कूल शिक्षा सेवा में नए कैडर पर नियुक्ति होने से अध्यापकों की आपसी वरिष्ठता समाप्त हो जाएगी।राज्य स्कूल शिक्षा सेवा में 01 जुलाई 2018 से नियुक्ति के लिए प्रत्येक अध्यापक संवर्ग को लिखित अनुबंध करना होगा। जिसके कारण शिक्षाकर्मी, संविदा शाला शिक्षक, गुरुजी नियुक्ति दिनांक से पूर्व के किसी भी लाभ को प्राप्त करने के लिए अध्यापकों का पक्ष माननीय न्यायालय में अत्यंत कमजोर हो जाएगा।
साथ ही राज्य स्कूल शिक्षा सेवा में नियुक्त होते ही अनचाही सेवा यथा ई-अटेंडेंस, गणवेश आदि के लिए प्रत्येक कर्मचारी बाध्य हो जाएगा।राज्य स्कूल शिक्षा सेवा में नियुक्त होते ही पूर्व के आर्थिक लाभ पर अध्यापकों का दावा शून्य हो जाएगा आदि प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष नुकसान अध्यापक संवर्ग को वायरल संक्षेपिका के आधार पर दृष्टिगोचर होते हैं।
छत्तीसगढ़ सरकार आदेश जारी कर चुकी है और ऐसे ही नुकसान वहां के शिक्षाकर्मियों को भी हो रहे हैं। इसलिए कहा जाता है कि किसी भी संवर्ग के संघ-संगठनों का नेतृत्वकर्ता बुद्धिजीवी होना जरूरी है अन्यथा अपने पैरों पर ही कुल्हाड़ी मारने की नौबत आ जाती है। इससे तो बेहतर होता कि अध्यापक संघों का नेतृत्वकर्ता वर्तमान स्थानीय निकायों में रहते हुए ही शिक्षक संवर्ग को प्राप्त समस्त सुविधाओं और सेवा शर्तों की मांग करता। वरिष्ठता नहीं जाती तो शिक्षक वर्ग के समान अनेक सुविधाओं का लाभ हमें स्वतः ही मिलना सुनिश्चित हो जाते।इसलिए अध्यापक संवर्ग के लिए वरिष्ठता और समान सेवाशर्ते दो ही मुद्दे महत्वपूर्ण है।मध्यप्रदेश मे आदेश हुआ नही है।आदेश होने के पूर्व सुधार के तमाम प्रयास किये जाए।किसी भी प्रदेश की किसी भी दल की सरकार हो कर्मचारियों के आर्थिक मामले में सबका चेहरा एक समान क्रूर ही होता है।
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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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