MP में शिक्षाकर्मियों की स्थिति:वादा था संविलयन का और कर दी राज्य शिक्षा सेवा में नियुक्ति

Shri Mi
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बिलासपुर।छत्तीसगढ़ में हाल फिलहाल में  मध्यप्रदेश जैसा संविलियन और नियम शर्ते को लागू करवाने के किये मिडिया में शिक्षक ज्ञापन पॉलिटिक्स जारी है ।  छत्तीसगढ़ के शिक्षको को लगता है कि मध्यप्रदेश में शिक्षको की बल्ले बल्ले हो गई है। पर स्थिति एकदम उलट है।मध्यप्रदेश सरकार और कुछ अध्यापक नेता अपनी पीठ जरूर ठोंक रहे है लेकिन वास्तविकता बहुत भिन्न है।प्रचारित किया जा रहा है कि अध्यापको का शिक्षा विभाग में संविलियन से लगभग 2•37 लाख अध्यापक खुश है जबकि राजपत्र और सेवाशर्तो का प्रसारण चीख-चीखकर कह रहा है कि अध्यापकों की राज्य शिक्षा सेवा में नियुक्ति 01 जुलाई 2018 से हो रही है।अध्यापक 1995 से लेकर अब तक चौथी बार नियुक्ति का सामना कर रहा है।सीजीवालडॉटकॉम के WhatsApp Group से जुडने के लिए यहाँ क्लिक करे

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कर्मचारियों को सभी सुविधाओ और लाभ प्राप्त करने के लिए सेवा अवधि की गणना प्राणवायु का काम करती है।लम्बे समय से अपनी सेवाए दे रहे अध्यापकों के लिए नई नियुक्ति किसी वज्रपात से कम नही?हालांकि अध्यापकों को भ्रमित करने के लिए क्रमोन्नति-पदोन्नति में नियुक्ति दिनांक से गणना की बात कही जा रही है।सब जानते है कि क्रमोन्नति-पदोन्नति में आर्थिक लाभ न के बराबर होता है।

मध्यप्रदेश के अध्यापक संघर्ष समिति के नेता रमेश पाटिल ने बताया कि अध्यापकों की मांग रही है कि शिक्षा विभाग में संविलियन किया जाए और नियमित शिक्षको के समान पदनाम और समान सेवाशर्ते दी जाए।

वर्तमान सरकार ने अध्यापको को यह सब करने का वचन भी दिया गया था। जिसका पालन न होते हुए सरकार के नाक के नीचे …….पिछली सरकार के निरन्तर आदेश प्रसारित हो रहे है।…जिस पर अध्यापक संघर्ष समिति मध्यप्रदेश असंतोष व्यक्त करती है और विनम्रता पूर्वक मांग करती है कि वचनपत्र में दिये वचनो का अक्षरसः पालन किया जाए।

रमेश पाटिल बताते है कि राज्य शिक्षा सेवा में नियुक्ति से अध्यापक राज्य शासन का कर्मचारी बन गया है।राज्य शासन के कर्मचारी को प्राप्त सुविधाओ का लाभ भी उसे मिलेगा लेकिन मूल समस्या अभी भी बनी हुई है।……राज्य शिक्षा सेवा में ग्रेच्युटी(उपादान) की गणना कब से होगी ……..?  इस पर शासन ने रहस्यमयी चुप्पी साध रखी है।अध्यापको को आशंका है…..कि ग्रेच्युटी की गणना राज्य शिक्षा सेवा में नियुक्ति दिनांक अर्थात 01 जुलाई 2018 से होगी।

अपनी लम्बी सेवा के दौरान संघर्ष के पौधे को सींचकर बडा करने वाले संघर्षशील अध्यापको को भारी आर्थिक नुकसान होगा और बहुत से अध्यापक बची सेवा अवधि कम होने के कारण ग्रेच्युटी से भी वंचित हो जाएगे क्योंकि ग्रेच्युटी के लिए न्यूनतम 5 वर्ष की सेवा अवधि होना जरूरी होती है।दूसरी बडी अध्यापकों में नाराजगी का कारण है कि केवल क्रमोन्नति-पदोन्नति के अलावा सभी आर्थिक लाभो के लिए सेवा अवधि की गणना-मान्यता शिक्षाकर्मी, संविदा शाला शिक्षक नियुक्ति दिनांक से हो और इसी को आधार बनाकर प्रथम चरण में 1 जनवरी 2005 के पहले नियुक्त शिक्षाकर्मी और संविदा शाला शिक्षक को पुरानी पेंशन की पात्रता घोषित की जाए……!

इससे राज्य शासन द्वारा केन्द्र सरकार के साथ किए किसी अनुबंध का उल्लंघन भी नही होगा और पुरानी पेंशन देने के लिए अनुमति की भी जरूरत नही होगी। न्यायालयों के फैसले भी इस संदर्भ में कुछ कर्मचारियों के पक्ष  में आ चुके है।

01 जनवरी 2005 के बाद नियुक्त कर्मचारियो के लिए पुरानी पेंशन दिए जाने के सम्बन्ध में विधेयक पारित कर केन्द्र सरकार को भेजा जाना चाहिए।पुरानी पेंशन के लिए सेवा अवधि न्यूनतम 18 वर्ष होना जरूरी होता है।यदि केन्द्र सरकार ने भविष्य में कभी पुरानी पेंशन बहाल कर दी तो सेवा अवधि के आधार पर बहुत से अध्यापक पुरानी पेंशन से वंचित हो जाएगे।

रमेश पाटिल ने बताया कि  राज्य शिक्षा सेवा में नियुक्ति के लम्बे समय बाद सेवाशर्तो का जारी किया जाना कोरे चेक पर हस्ताक्षर जैसा मामला था।

नुकसान होने की स्थिति में उससे बाहर नही निकला जा सकता।इन्ही आशंकाओ के चलते जानकार अध्यापको ने  उच्च न्यायालय की शरण ली थी।सेवाशर्ते जारी करने में  न्यायालय के प्रति जवाबदेही का दबाव भी प्रमुख कारण माना जा रहा है।

यदि मध्यप्रदेश सरकार राज्य शिक्षा सेवा की सेवाशर्तो में अध्यापको की आशंकाओ का सौजन्यतापूर्वक समाधान कर दे अध्यापको में संतुष्टि का भाव लाया जा सकता है।जिसमें पहला सुधार सभी प्रकार के आर्थिक लाभ के लिए सेवा अवधि की मान्यता और गणना शिक्षाकर्मी, संविदा शाला शिक्षक नियुक्ति दिनांक से हो और दूसरा सुधार हो 1 जनवरी 2005 के पहले नियुक्त शिक्षाकर्मी, संविदा शाला शिक्षक को नेशनल पेंशन स्कीम के दायरे से बाहर निकालकर पुरानी पेंशन, जीपीएफ के दायरे में लाया जाए।

मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश शासन शोषित कर्मचारियों को उनका अधिकार दिलाने के प्रति बहुत संवेदनशील है।अन्य कर्मचारियो की तरह अध्यापक संवर्ग भी आशान्वित है कि उनकी आशंकाओ का समाधान भी त्वरित करने के लिए कदम उठाया जाएगा।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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