मूलचंद खंडेलवाल का ”हेलीकाप्टर शॉट”-उड़ने से नहीं..आम आदमी से जुड़ने से हो सकता है छत्तीसगढ़ का सही नेतृत्व..

Chief Editor
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मीडिया के आज के दौर में सियासत Byte…से चलती है…।आरोप हो…प्रत्यारोप हो या किसी को अपनी कोई बात सामने रखना हो…Byte…के जरिए ही लोगों तक पहुंचती है….। “एक ….Byte …और…”  के जरिए हम सियासत में आ रहे बदलाव से जुड़े सवालों को लेकर राजनीतिक लोगों तक पहुंच रहे हैं, जिसके जरिए यह समझने की कोशिश है कि आखिर ये बदलाव क्या है,क्यों है….कैसा है….और इसका राजनीति पर क्या असर पड़ रहा है। इस सीरीज में अब कि बार  भाजपा के वरिष्ठ नेता   मूलचँद खंडेलवाल    के साथ cgwall.com की बातचीत के अँश शेयर कर रहे हैं…मूलचँद खंडेलवाल  मध्यप्रदेश सरकार में मंत्री रहे हैं….और अविभाजित मध्यप्रदेश के समय से ही छत्तीसगढ़ की राजनीति को काफी नजदीक से देखा है और उसमें अपनी हिस्सेदारी भी निभाते रहे  हैं। उनका मानना है कि  पार्टी की राजनीति में अब पहले जैसी बात नही रही……। पहले संगठनन मंत्री सभी कार्यकर्ताओँ की सुनते थे। लेकिन आज किसी के पास जमीनी कार्यकर्ताओँ की बात सुनने का वक्त नहीं है।     cgwall.com की खास पेशकश  एक …Byte…. और.. में अपनी बात रखते हुए  मूल चँद खंडेलवाल ने कहा कि मुख्यमंत्री हेलीकाप्टर से चलते हैं। लेकिन सही में छत्तीसगढ़ जैसे राज्य का नेतृत्व आम आदमी बनकर ही किया जा सकता है।


अविभाजित मध्यप्रदेश के जमाने में मुख्यमंत्री सुंदर लाल पटवा की सरकार में मंत्री रहे …. कभी पार्षद… तो कभी बिलासपुर शहर भाजपा के अध्यक्ष रहे मूल चंद खंडेलवाल से सवाल किया गया कि राजनीति में पिछले तीन-चार दशक के दौरान हुए बदलावों को किस नजरिए से देखते हैं….? तो उनका जवाब था कि पहले …और आज में बहुत बदलाव आ गया  है। जनसंघ का जब जन्म हुआ उस समय संगठन मंत्री रहते थे। लोगों से मिलते-जुलते थे ,बात करते थे, नब्ज टटोलते थे, उससे आपसी ताना-बाना बना रहता था।

जैसे – जैसे जनसंघ बढ़ता गया कार्यकर्ता बढ़ते गए। उन्होने याद किया कि 1965 में किस तरह डी पी मिश्र की सरकार हटाई गई और उसमें राजमाता सिंधिया,वीरेन्द्र कुमार सखलेचा, सुंदर लाल पटवा आदि नेताओँ की क्या भूमिका रही। । फिर कहते हैं कि आज ऐसी बात नहीं रह गई  है। आज पार्टी के संगठन मंत्री  पहले की तरह किसी के साथ बात नहीं करते। मीटिंग बुला ली जाती है…. भाषण होता है…लोग सुन लेते हैं। लेकिन कभी किसी ने यह जानने की कोशिश नहीं की कि जमीन का कार्यकर्ता  और आम लोग क्या सोच रहे हैं। 15 साल से सरकार चल रही है। लेकिन इस बीच जमीनी स्तर पर क्या काम हुए यह जानने की कोशिश किसी ने नहीं की।




बदलाव की बात पर मूल चंद खंडेलवाल याद करते हैं कि आज अखारों के जरिए नेताओँ के जन्मदिन मनाए जाते हैं। यह नेता का नहीं उनके पद का जन्मदिन है। फिर आगे कहते हैं कि आज पार्टी बड़ी हो गई है और ऊपर तक चली गई है। लेकिन नीचे के लोगों को केई पूछ नहीं रहा है। ऐसे में पार्टी को लम्बे समय तक खींचना मुश्किल होगा।उन्होने कहा कि  कई योजनाएं लागू की गईं हैं। लेकिन किस तरह काम हो रहा है यह देखने वाला कोई नहीं है। अस्पताल- स्कूल-शौचालय के काम कैसे हो रहे हैं, इस पर किसी की नजर नहीं है। ठेकेदारी प्रथा चल रही है। 15 सालल का पिरीयड कम नहीं होता। बताना पड़ेगा कि कितना-क्या काम हुआ…. इतने साल की उपलब्धियों को सामने लाना पड़ेगा। उन्होने कहा कि….” 20 साल की उमर से जनसंघ से जुड़े औऱ आज भी  भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता हैं। पार्टी ने बहुत कुछ दिया….. हम जो भी बोलेंगे इसी पार्टी में बोलेंगे…। पार्टी में ही जिंदा हैं और इसमें ही मर जाएंगे….”। उन्होने पार्टी के संगठन मंत्री रहे गद्रेजी को याद करते हुए कहा कि उस समय जिस तरह जमीनी कार्यकर्ताओँ की पूछ परख होती थी आज भी वैसी ही होनी चाहिए।




छत्तसीगढ़ के नेतृत्व के सवाल पर श्री खंडेलवाल ने कहा कि … अगर कोई नेता बन जाता है, तो उसे पीएचडी नहीं मिल जाती। यहां तो मुख्यमंत्री बड़े लोगों के बीच उद्घाटन करने जाते हैं। छोटे लोगों के लिए समय ही नहीं है। मुख्यमंत्री कब- किस जगह रुके हैं…?  जहां जाते हैं..शाम 5 बजे से पहले हेलीकाप्टर से उड़ जाते हैं। घर तक हेलीकाप्टर से जाते हैं… हेलीकाप्टर के सिवाय कुछ है….। राजनीति में तो नेतृत्व करने वाले को आम आदमी बनकर काम करना पड़ता है।




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