बहुविषयक शिक्षा प्रणाली वर्तमान समय की आवश्यकता- प्रो. चक्रवाल,बीएचयू में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में प्रो. चक्रवाल का सम्मान

Chief Editor
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बिलासपुर। ।गुरू घासीदास विश्वविद्यालय (केन्द्रीय विश्वविद्यालय) के कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार चक्रवाल का बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी उत्तर प्रदेश में सम्मान किया गया। बीएचयू के वाणिज्य विभाग द्वारा आयोजित बीएचयू इंटरनेशनल कॉमर्स एलुमनी मीट 2022 (बायकेम 2022) तथा महामना का दृष्टिकोण एवं राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 विषय पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन 3 व 4 दिसंबर को किया गया।
स्वतंत्रता भवन में आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार चक्रवाल ने कहा कि विद्यार्थियों को जीवन उपयोगी सभी विषयों का ज्ञान होना आवश्यक है। उन्होंने कहा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 युवाओं को बहुविषयक शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करती है जो विद्यार्थियों को कौशल विकसित, अधिक रोजगारपरक तथा उद्यमी बनाने के साथ ही आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रेरित करती है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पहली शिक्षा नीति है जो भारतीय विचारों के साथ बनाई गई नीति है। इसमें मातृभाषा में शिक्षा को बढ़ावा दिया गया है, सभी भारतीय भाषाएं राष्ट्रीय भाषाएं हैं, भाषा को लेकर किसी भी प्रकार के वाद-विवाद का कोई स्थान नहीं है
कुलपति प्रो. चक्रवाल ने कहा कि हमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का निरंतर अध्ययन करना चाहिए ताकि इसके विभिन्न आयामों को क्रियांवित करने में सुविधा हो। यह शिक्षा नीति समस्याओँ के स्थान पर समाधान की बात करती है। केन्द्रीय विश्वविद्यालय में शिक्षा नीति 2020 को संपूर्ण स्वरूप में क्रियान्वित करने के विचार से 12 विश्वविद्यालयों के क्लस्टर का नेतृत्व करते हुए अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट को लागू करने की ओर सक्रिय एवं सकारात्मक कदम उठाए हैं।
कुलपति प्रो. चक्रवाल ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में युवाओं के सर्वागीण विकास में चारित्रिक एवं व्यावहारिक विकास तथा आध्यात्मिक विकास को शिक्षा का आधार बनाया गया है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय की आवश्यकता को दृष्टिगत रखते हुए विद्यार्थियों को अपने विषय के साथ हही अन्य विषयों का भी ज्ञान होना चाहिए ताकि समाज में सर्वगुण संपन्न नागरिकों का निर्माण किया जा सके। इस अवसर पर बीएचयू के वाणिज्य विभाग के पुरातन छात्र भी शामिल हुए तथा अपने विचार रखे ।

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