मुन्ना-अभिषेक आमने सामने…दागी गुरूदीवान को अध्यक्ष ने दिया CEO का तोहफा…आदेश था नौकरी से हटाने का…

BHASKAR MISHRA
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SAHKARITA_GRADE_VISUAL 003बिलासपुर—जिला सहकारी बैंक अध्यक्ष मुन्नालाल रजवाड़े ने सीईओ अभिषेक तिवारी की जगह विकास गुरुदीवान को मुख्य कार्यपालन अधिकारी बनाने का फैसला किया है। देर शाम रजवाड़े ने आदेश भी जारी कर दिया है। रजवाड़े के इस कदम से सहकारी बैंक की लड़ाई सड़क पर आ गयी है। सीजी वाल को मुन्नालाल रजवाड़े ने बताया है कि मामला गोपनीय है.। इसलिए खबर प्रसारित नहीं किया जाए। गुरूदीवान को सीईओ बनाने का एलान संचालक मंडल में बैठक के दौरान लिया जाएगा।

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               जिला सहकारी बैंक की लड़ाई सड़क पर आ गयी है। बैंक अध्यक्ष मुन्नालाल रजवाड़े ने विकास गुरूदीवान को सीईओ बनाने का आदेश जारी कर दिया है। मालूम हो कि जिला सहकारी बैंक अध्यक्ष बनने के तीसरे दिन ही मुन्नालाल रजवाड़े ने संचालक मंडल की बैठक में बिना एजेन्डा सीईओ अभिषेक तिवारी को एक तरफा रीलिविंग का आदेश दिया। आदेश के खिलाफ सीईओ अभिषेक तिवारी ने संयुक्त पंजीयक कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। कोर्ट ने मुन्नालाल रजवाड़े के आदेश के खिलाफ अभिषेक को स्टे दिया है। मामले की सुनवाई फरवरी को होने वाली है।

                                    शनिवार को ताजा घटनाक्रम में मुन्नालाल रजवाड़े ने अभिषेक तिवारी के स्टे आदेश के खिलाफ ट्रिब्यूनल कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। ट्रिब्यूनल ने मुन्नालाल के आवेदन को स्वीकार करते हुए मामले की सुनवाई 22 जनवरी तक टाल दिया। बावजूद इसके मुन्नालाल ने देर शाम संचालक मंडल से बिना सहमति गुपचुप तरीके से विकास गुरूदिवान को अभिषेक की जगह सीईओ बनाने का आदेश जारी कर दिया है। आदेश को लेकर जिला सहकारी बैंक में जमकर चर्चा है।

अभी मत छापना

                 मुन्नालाल ने बताया कि गुरूदीवान को सीईओ बनाने का आदेश जारी कर दिया है। औपचारिक एलान संचालक मंडल से बातचीत के बाद किया जाएगा। सहकारी बैंक अध्यक्ष ने बताया कि खबर को अभी छापने की जरूरत नहीं है। स्टे के सवाल पर मुन्नालाल ने बताया कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है। मेरा भी मामला कोर्ट में है। यदि अभिषेक ने स्टे लिया है तो इससे मुझे क्या लेना देना। आगे जो भी कुछ होगा…सामना किया जाएगा।

कौन है विकास गुरूदीवान

                    मीडिया में विकास गुरूदीवान का नाम नया नहीं है। सीईओ और सहकारी बैंक अध्यक्ष के झग़ड़े के बीच करीब डे़ढ़ साल बाद एक बार फिर विकास गुरूदीवान का नाम सुर्खियों में है। करीब एक साल पहले विकास गुरूदीवान पर जिला सहकारी बैंक शाखा तोरवा मण्डी में शाखा प्रबंधक पद पर रहते हुए 80 लाख रूपए का घोटाला करने का आरोप है। विकास गुरूदीवान जिला सहकारी बैंक के पूर्व अध्यक्ष देवेन्द्र पाण्डेय के नजदीकी लोगों में गिने जाते हैं। देवेन्द्र पाण्डेय ने ही नियमों को ताक पर रखकर विकास गुरूदीवान को नियु्क्त किया था।

                  देवेन्द्र पाण्डेय के हटते ही जिला सहकारी बैंक में अनियमित भर्ती का मामला सामने आया। पंजीयक रायपुर के आदेश के बाद बैंक में अनियमित भर्ती जांच के लिए संयुक्त पंजीयक के.एल ढारगावे की अध्यक्षता में टीम का गठन किया गया। टीम ने जांच पड़ताल में पचास लोगों का नाम अनिय़मित भर्ती में पाया। इसमें एक नाम विकास गुरूदीवान का भी हैं। जांच टीम ने विकास गुरूदीवान की नियुक्ति अवैधानिक पाया। कमेटी की रिपोर्ट पर पंजीयक सहकारी संस्थाएं रायपुर ने विकास गुरूदीवान समेत सभी को नौकरी से हटाने का आदेश दिया था।

                        सूत्रों के अनुसार विकास गुरूदीवान को पूर्व अध्यक्ष देवेन्द्र पाण्डेय का सहयोग है। इसलिए गुरूदीवान के खिलाफ होने वाली कार्रवाई को दबाकर रखा गया है। बावजूद इसके सीईओ प्रशासक के निर्देश पर सीईओ अभिषेक तिवारी ने विकास गुरूदीवान समेत अन्य 49 लोगों को नौकरी से हटाने के पहले नोटिस जारी किया । जिसका जवाब आज तक ना तो गुरूदीवान ने दिया और ना ही उसे नौकरी से हटाया ही गया।

80 घोटाला का आरोपtiwari sahkari

                     तोरवा ब्रांच प्रबंधक रहने के दौरान गुरूदीवान पर 80 लाख रूपए घोटाला करने का आरोप है। बावजूद इसके गुरूदीवान को पूर्व अध्यक्ष के इशारे पर बचाया गया। इस दौरान गुरूदीवान ने किश्तों में रूपया जमा भी किया। जानकारी के अनुसार गुरूदीवान को नौकरी से हटाने का मामला अभी भी स्टाफ कमेटी की फाइल में कैद है। उसे कभी भी हटाया जा सकता है।

दागी को सीईओ बनाने की कवायद

                  मुन्नालाल रजवाड़े के आदेश के बाद गुरूदीवान का मामला एक बार फिर सामने आ गया है। गुरूदीवान को कभी भी अवैधानिक तरीके से भर्ती होने और 80 लाख गबन करने के आरोप में हटाया जा सकता है।

कहीं कोर्ट का अपमान तो नहीं

              संयुक्त पंजीयक ठारगावे ने बताया कि उन्हें मामले की जानकारी नहीं है। सीईओ का मामला कोर्ट में है। यदि ऐसा कुछ आदेश है तो इसे कोर्ट का अपमान समझा जाएगा। यह सच है कि गुरूदीवान की भर्ती अवैधानिक तरीके से हुई है। जांच पड़ताल के दौरान खुलासा भी हो चुका है। गुरूदीवान पर 80 लाख रूपए घोटाला का आरोप है। पंजीयक ने गुरूदीवान को नौकरी से हटाने का आदेश भी दिया है।

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