बिलासपुर।सोमवार को हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस अरूप गोस्वामी और जस्टिस गौतम भादुड़ी की खण्डपीठ ने बिलासपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड के उस आवेदन पर आदेश देने से इंकार कर दिया। जिसके तहत स्मार्ट सिटी के 11 नये टेंडर/प्रोजेक्ट को शुरू करने की अनुमति मांगी थी। गौरतलब है कि 14 सितंबर को हुई सुनवाई में हाईकोर्ट ने आगे से अपने सभी नये कार्यो की सूची प्रस्तुत करने का निर्देश बिलासपुर और रायपुर स्मार्ट सिटी कम्पनियों को दिया था।
बिलासपुर के अधिवक्ता विनय दुबे की ओर से अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव और गुंजन तिवारी द्वारा दाखिल जनहित याचिका में बिलासपुर और रायपुर नगर में कार्यरत स्मार्ट सिटी लिमिटेड कम्पनियों को इस आधार पर चुनौती दी गई है कि इन्होंने निर्वाचित नगर निगमों के सभी अधिकारों और क्रियाकलाप का असवैधानिक रूप से अधिग्रहण कर लिया है।
जबकि ये सभी कम्पनियाॅ विकास के वही कार्य कर रही है जो संविधान के तहत संचालित प्रजातांत्रिक व्यवस्था में निर्वाचित नगर निगमों के अधीन है। विगत 5 वर्षो में करोड़ो अरबों रूपये के कार्य रायपुर और बिलासपुर नगर निगम क्षेत्र में कराये है परन्तु इनमें से किसी भी कार्य की प्रशासनिक या वित्तीय अनुमति नगर निगम, मेयर, मेयर इन काॅन्सिल या सामान्य सभा से नहीं ली गयी है। इन कम्पनियों के बोर्ड आॅफ डायरेक्टर ने कोई भी निर्वाचित जनप्रतिनिधि शामिल नहीं है और राज्य सरकार के अधिकारी इन कम्पनियों को चला रहे है।
अब तक हुई सुनवाई में स्मार्ट सिटी कम्पनियों और राज्य सरकार की ओर से जवाब दाखिल हो चुका है परन्तु केन्द्र सरकार की ओर से जिसके स्मार्ट सिटी मिशन पर ये कम्पनियाॅ बनाई गई है, उसने अभी भी जवाब दाखिल नहीं किया है। आज हुई सुनवाई में केन्द्र सरकार को 2 सप्ताह का समय अन्तिम रूप से दिया गया है। और 26 नवम्बर सुनवाई की अगली तिथि तय की गई है।