कोरोना से भी बड़ी अबूझ़ पहेली लॉकडाउन…एक अटके हुए फैसले पर टिकी रही बिलासपुर वालों की निगाहें..पढ़िए IPL से भी रोमांचक मैच LD में दाँव लगा चुके कई सट्टेबाजों की दिलचस्प दास्तां

Shri Mi
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(गिरिज़ेय)कोरोना नाम की महामारी को हम पिछले करीब साल भर से देख रहे हैं…..। और यह भी महसूस कर रहे हैं कि यह हम सब के लिए अबूझ पहेली बनी हुई है। लेकिन हम लोग कोरोना से जूझ़ने के नाम पर जो कुछ कर रहे हैं उसे भी अबूझ पहेली बनाने में पूरा मजा लेने से नहीं चूकते…। चाहे लॉक डाउन की बात हो …..या इससे जुड़ी हुई और पाबंदी हो …..यदि लोगों के लिए उसे भी पहेली बना दें तो सभी को मजा आता है……। वैसे भी कोरोना काल में तरह -तरह के कार्टून, मीम और वीडियो के जरिए लोग हल्के फुल्के अंदाज में एक दूसरे को हंसाने गुदगुदाने का बहाना तलाशते रहे हैं। इस बार कम से कम बिलासपुर में व्यवस्था के जिम्मेदार लोगों ने भी कुछ इसी अंदाज में लॉकडाउन पर लोगों के बीच पहेली जैसा दिलचस्प माहौल बना दिया। जिससे लोग पिछले कई दिनों से आपस में कोरोना से ज्यादा इस बात की चर्चा करते रहे कि  छत्तीसगढ़ के में कम संक्रमित आंकड़े वाले जिलों में लॉकडाउन लगने के बाद बिलासपुर में तालाबंदी कब होगी…. ?  दिलचस्प तस्वीर यह भी है कि कोरोना की जबरदस्त लहर के बीच हम सबके लिए सबसे जरूरी खेल आईपीएल भी शुरू हो गया है। यह खेल शुरू होते ही सट्टेबाजी की खबरें भी सुर्खियों में आने लगती हैं। लेकिन भीतरखाने से यह खबर भी आ रही है कि लॉकडाउन को भी आईपीएल की तरह रोमांचक बना कर कुछ सट्टेबाजों ने अपने धंधे के लिए दांव लगा लिए हैं।

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छत्तीसगढ़ में कोरोना की दूसरी लहर का कहर शुरू होने के बाद सबसे पहले दुर्ग जिले में लॉकडाउन की शुरुआत हुई। इसके बाद राजनांदगांव ,बेमेतरा ,रायपुर ,धमतरी ,महासमुंद, रायगढ़, बलोदा बाजार ,कोरबा, कोरिया जैसे कई जिलों में तालाबंदी का ऐलान वहां के जिला प्रशासन ने किया। क्योंकि इस बार सरकार ने लॉकडाउन लगाने का फैसला जिला कलेक्टरों के ऊपर छोड़ रखा है। लिहाजा सभी जगह जिला प्रशासन ने ही तालाबंदी का फैसला किया। छत्तीसगढ़ के कई जिलों में लॉकडाउन का फैसला होने के बाद बिलासपुर में भी लोगों के बीच लॉकडाउन की संभावनाओं को लेकर आपस में चर्चा शुरू हो गई थी। सभी एक दूसरे से यह सवाल कर रहे थे की बिलासपुर में लॉकडाउन लगेगा या नहीं….. या लगेगा तो कब से…..। आपसी बातचीत में लोग इस बात का भी जिक्र करते रहे कि सूबे के कई ऐसे जिले हैं, जहां कोरोना संक्रमित लोगों  का आंकड़ा बिलासपुर से भी कम है । जब वहां लॉकडाउन लगा दिया गया है तो फिर बिलासपुर में कब ऐसी स्थिति बनेगी ।  

कोरोना की दूसरी लहर आने के बाद से ही आप किसी से भी बात कीजिए…… तो लॉकडाउन के मसले पर सभी की अपनी-अपनी राय सुनने को मिलेगी। कई लोग इस बात पर जोर देते रहे हैं कि लॉकडाउन जैसा फैसला खासकर रोज कमाने- खाने वाले गरीबों पर कहर बनकर टूटता है। लिहाजा तालाबंदी नहीं की जानी चाहिए। ऐसा कहने वाले पिछले बरस के लॉकडाउन के दिनों की याद भी दिलाते हैं और समझाने की कोशिश करते हैं कि आखिर इससे फायदा कितना हुआ था। आखिर हम सब कुछ बंद करने के बाद भी अगर ठगे से रह गए और संक्रमण नहीं रोक सके इसका मतलब दो तरफा नुकसान उठाना पड़ा । दूसरी तरफ लॉकडाउन के हिमायती लोग भी हैं । जिनका मानना है कि जहान से ज्यादा कीमती जान है। जान बचाने के लिए लॉकडाउन ही एक उपाय है। इसके जरिए कोरोना की चैन को रोका जा सकता है। हालांकि लॉकडाउन के विरोधी और इसके हिमायती दोनों तरह के लोग इस बात से इत्तफाक रखते हैं कि लोगों को सावधानी बरतना चाहिए। तालाबंदी जैसे हालात से बचने के लिए मास्क लगाना चाहिए ……। आपस में दूरी कायम रखना चाहिए और समय-समय पर हाथ धोते रहना चाहिए। बहर हाल लॉकडाउन के विरोधी और पक्षधर दोनों तरह के लोगों को यह जानने में बड़ी दिलचस्पी थी कि दूसरे जिलों की तरह बिलासपुर में लॉकडाउन को लेकर क्या फैसला लिया जा रहा है। रविवार को जारी हुए आदेश के बाद अब तस्वीर पूरी तरह से साफ हो गई है कि बिलासपुर जिले में 14 से 21 अप्रैल के बीच  लॉकडाउन लगेगा।

लेकिन इस फैसले से पहले तक आम लोगों के बीच कोरोना की तरह लॉकडाउन शब्द भी अबूझ पहेली बना रहा। लॉकडाउन लगाने में देरी की कई वजह गिनाई जाती रही। जिसमें यह दलील भी सामने आई कि बिलासपुर जिले में संक्रमित होकर अस्पतालों में दाखिल हो रहे मरीजों की जितनी गिनती है ,करीब उसके बराबर ही अस्पताल से ठीक होकर लोगों की छुट्टी भी हो रही है। लेकिन जितने मुंह उतनी बात के अंदाज में जिसे जो समझ में आ रहा था, वह इसकी मीमांसा अपने अपने तरीके से करता रहा। कुछ लोगों ने इसे व्यापारियों के दबाव से जुड़ा  मामला बताया तो कहीं यह भी चर्चा रही कि किसी बड़ी शख्सियत के परिवार में होने वाली शादी को देखते हुए लॉकडाउन का फैसला नहीं लिया जा रहा है। कुछ लोगों का अंदाज था कि सूबे के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल शुरू से अपनी राय जाहिर करते रहे हैं कि वह गरीबों को होने वाली दिक्कतों की वजह से लॉकडाउन के पक्ष में नहीं हैं। इसे जोड़कर लोग अंदाजा लगाते रहे कि मुख्यमंत्री की इस मंशा और उनकी इस पसंद का ख्याल करते हुए ही लॉकडाउन जैसे फैसले को आगे बढ़ाया जा रहा है।

उधर सोशल मीडिया में चल रही चर्चाओं और लोगों की आपसी बातचीत के दौरान यह भी नजर आया कि अबूझ पहेली बन चुके लॉकडाउन से जुड़े और भी कई दिलचस्प पहलू हैं। यह इत्तेफाक की बात है कि लॉकडाउन के दौर में आईपीएल का 20-20 क्रिकेट मैच भी शुरू हो गया है। यह सभी जानते हैं कि आईपीएल शुरू होते ही इसके नाम पर सट्टेबाजी की खबरें भी सुर्ख़ियों में आने लगती है। लोग बताते हैं कि इस नाम पर ऑनलाइन खेल भी चलता है। जिससे लोग घर बैठे क्रिकेट मैच के नतीजे के हिसाब से रुपया जीतते – हारते रहते हैं। अभी इस तरह के कितने मामले सामने आए हैं इस बारे में अभी तो कुछ नहीं पता है। लेकिन लॉकडाउन के नाम पर कारोबारियों की सट्टेबाजी की बात जरूर सुनने में आई है। जानकार बताते हैं कि कोरोना से निपटने के मामले में पिछले साल के तजुर्बे का कितना फायदा हो रहा है या नहीं….. यह अलग बात है । लेकिन कुछ कारोबारी अपने पिछले साल के तजुर्बे का बढ़िया इस्तेमाल कर रहे हैं । मिसाल के तौर पर गुटका कारोबारियों ने जमकर स्टॉक जमा कर लिया है। उन्हें याद है कि पिछली बार कई गुना दाम पर गुटखा पाउच बेचकर उन्होंने करोड़ों कमाए थे । जाहिर सी बात है कि यदि पिछली बार ऐसा हुआ है तो फ़िर इस बार मौक़ा कौन चूकना चाहेगा…. ? पिछले साल के ट्वेंटी – ट्वेंटी यानी बीस – बीस दिन के लॉकडाउन के दौरान फ़टाफ़ट आमदनी वाले अनुभव का उपयोग कर करोड़ों का माल भर लिया और एसी की ठंडी छाँव में बैठकर आईपीएल मैच की तरह उस एक गेंद का इंतज़ार करते रहे, जिसके साथ लॉकडाउन की नई सीरीज़ का शानदार आगाज़ हो । और गोदामों मे रखा गुटख़ा पाउच रुपैया में तब्दील होकर वापस रनों की बौछार की तरह अपने ब्लैक स्कोरबोर्ड में दर्ज़ हो सके । आजकल कोई भी बात सोशल मीडिया की नजरों से छिप भी नहीं हो पाती और ओझल भी नहीं हो पाती। सोशल मीडिया में कई पोस्ट देख कर समझा जा सकता है कि अपने तरह की इस गुटख़ा सट्टेबाजी का क्या लॉकडाउन से क्या रिश्ता हो सकता है….. ?  एक मजाकिया कैरेक्टर की तस्वीर के साथ सोशल मीडिया पर एक पोस्ट कई लोगों ने देखी होगी । जिसमें एक जाना पहचाना हंसमुख़ चेहरा हाथ में गुटके का पाउच लेकर लोगों से अपील कर रहा है कि ….आपकी एक गलती हमें फिर से 10 रुपए वाला पाउच 50 रुपए में लेने पर मजबूर कर देगी। इसलिए मास्क पहनें और 2 गज की दूरी बनाए। इस पोस्ट में गुटख़ा प्रेमियों का दर्द भी झ़लक रहा था और उसके बहाने लोगों को ज़ागरूक करने की कोशिश भी नज़र आ रही थी। ज़िससे लॉकडाउन की नौबत ही न आए। दूसरी तरफ सोशल मीडिया पर बिलासपुर में लॉकडाउन की मांग को लेकर चलाई गई एक मुहिम को इससे जोड़कर देख़ने वाले लोग भी हैं।जिसमें कहा गया था कि बिलासपुर में बढ़ रहे कोरोना संक्रमण को  देखते हुए लॉकडाउन लगाया जाना चाहिए ।वैसे तो यह सामान्य बात है कि बढ़ते संक्रमण को देख़ते हुए प्रशासन से इस तरह की माँग की जानी चाहिए ।और कोई ऐसा भी नहीं कह सकता कि यह मुहिम गुटख़ा स्टाक करने वालों की ओर से ही चलाई गई थी ।लेकिन दिन – दिन भर सोशल मीडिया पर नज़रें गड़ाए हुए लोग ख़ाली समय में तरह-तरह की पोस्ट की कड़ियों को ज़ोड़ने में भी माहिर हो चुके हैं। उन्हे यह समझने में रॉकेट साइंस का इस्तेमाल नहीं करना पड़ता कि – किस मुहिम के पीछे कौन लोग हैं। ख़ासकर कारोबारी दुनिया के लोग तो अच्छी तरह से समझ़ ही रहे हैं कि जब लॉकडाउन जैसी पाबंदियों का नाम सुनकर कम से कम हर एक क़ारोब़ारी की पेसानी में लकीरें पड़ जाती हैं…..। ऐसे में उनकी ही ज़मात के कौन लोग लॉकडाउन का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं औऱ इसके लिए मुहिम भी चला रहे हैं।

गुटख़ा  तो एक नमूना है….. पता नहीं ऐसी औऱ भी कितनी जरूरी चीजें होगी, जो वक्त पर लत की वज़ह से मुंहमांगी कीमत पर बिकती होगी । उनके पीछे भी इसी तरह का ख़ेल चल रहा तो हैरत की बात नहीं होगी । लेकिन जैसे आईपीएल का ख़ेल दिलचस्प है….. इससे जुड़ी सट्टेबाज़ी दिलचस्प है… बस वैसा ही दिलचस्प ख़ेल इसे भी मान लेने में कोई बुराई नहीं है…..। जैसे क्रिकेट की सट्टेबाज़ी  के बारे में सब जानकर भी अनज़ान बने रहते हैं…..। अधिक कुछ हुआ तो बहुत नीचे लेबल के छोटे प्यादों को पकड़कर रस्मअदायगी कर लेते हैं…..।बस वैसा ही इस ख़ेल में भी है….. दस रुपए का गुटख़ा पाउच या दूसरा सामान  बीस रुपए में चिल्हर बेचने वाला कोई छोटा दुकानदार पकड़ लिया जाएगा…..। और लंबा स्टाक करने वाले अपने ब्लैक स्कोरबोर्ड पर अपनी कमाई के रनों की बौछार देखकर लॉकडाउन मैच के नए सीरीज़ का मज़ा लेते रहेंगे। जैसे क्रिकेट सट्टे में ऊपर की बड़ी मछलियों को पकड़ने का कोई रिवाज़ नहीं है ,उनके तक पहुंचने का रास्ता जानते हुए भी कोई उधर नहीं जाना चाहता। वैसे ही कारोबार के इस खेल में भी कोई ऐसी उम्मीद नहीं करता कि सिस्टम में बैठे ज़िम्मेदार लोग कभी बम्फ़र स्टाक तक भी पहुंचने की सोचेंगे और छापेमारी जैसी पुरानी परंपरा के निर्वहन में कोई दिलचस्पी भी दिख़ाएँगे।

ख़ैर अब तो लॉकडाउन लग गया है…..।अब इन सवालों का कोई मतलब नहीं कि फैसले में देरी क्यूं हुई…… लॉकडाउन पहले लग जाता तो क्या होता…… अब देर से लगा है तो क्या हो जाएगा ……। अबूझ़ पहेली अब सुलझ गई है……। लेकिन दिलचस्प मैच अभी बाक़ी है…..।  जिसे लोग लोग एलडी मैच का नाम दे रहे हैं……।इस नाम में कन्फ़्यूजन नहीं है… LD मतलब LOCKDOWN  का शार्टफ़ार्म…..।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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