बलौदाबाजार-भाटापारा।प्रदेश के इतिहास में यह दर्ज है कि
आन्दोल ही शिक्षाकर्मी के संविलियन की लड़ाई में का मुख्य आधार बना। इस पद के शासकीय करण होने के बाद आंदोलनकारी शिक्षको के त्याग की असली मलाई स्कूल शिक्षा विभाग में विभागीय पदों पर राजपत्र के नीति नियमो को परे रख कर प्रभारी की भुमिका में बैठे चंद शिक्षक मजे कर रहे है। ऐसे ही कई मामलो में से एक बलौदाबाजार भाटापारा भी है । भाटापारा के बीईओ व बीआरसीसी दोनों ही प्रभारी है। नाम न छपाने की शर्त पर इस भाटापारा के ब्लॉक के शिक्षक संघ के एक पदाधिकारी ने बताया कि जिस व्यक्ति को संकुल पुनर्गठन की प्रक्रिया में संकुल समन्वयक के पद हेतु योग्यता नहीं होने से समन्वयक नहीं बनाया जा सका उसे विकासखंड संकुल स्त्रोत समन्वयक बीआरसीसी का दायित्व प्रदान किया गया।
यह नियम विरुद्ध अनुशंसा जिला स्तर के अधिकारियों को अंधेरे में रखकर कराई गई है।मालूम हो कि भाटापारा विकासखंड में विकासखंड संकुल स्रोत समन्वयक पद तीन साल से खाली है। इस पद के लिए वरिष्ठतम प्रधान पाठक के समकक्ष अहर्ता होना जरूरी है लेकिन संकुल पुनर्गठन की प्रक्रिया में एक स्कूल से दो टीचर को निकालते हुए एक को संकुल समन्वयक और दूसरे को बीआरसीसी बना दिया गया …! बीआरसीसी बने लख राम साहू पास के संकुल समन्वयक का काम देखते थे । प्रधान पाठक की योग्यता नहीं रखते है इसलिए स्वाभाविक तौर पर बीआरसीसी के पद पर कार्य करने के लिए पात्र नही है।
यहाँ के बीईओ के के यदु ने सीजीवाल से सीधी बातचीत में बताया कि बीआरसीसी के पद पर कार्यरत शिक्षक की नियुक्ति कलेक्टर की अनुशंसा पर हुई है, वे पात्र है या अपात्र मैं नहीं बता पाऊंगा क्योंकि अब मेरे समय का मामला नहीं है।बीआरसीसी बने लखराम साहू के द्वारा ड्यूटी ट्रेनिंग और व्यवहार के नाम पर शिक्षकों को परेशान किए जाने के सवाल पर बीईओ यदु ने कहा इस संबंध में उन्हें किसी भी प्रकार की शिकायत प्राप्त नहीं हुई है, शिकायत आने पर जांच कराई जाएगी। वि खंड स्तर में काम करने वाले अधिकारी कर्मचारियों को अधीनस्थों के साथ सामंजस्य के साथ कार्य करते हुए शिक्षा व्यवस्था की बेहतरी के लिए काम करने हेतु निर्देश दिया जाता है।
इन मामले पर बलौदाबाजार के जिला शिक्षा अधिकारी सीएस धुव से मामले की वास्तविकता जानने हेतु संपर्क किए जाने पर हमेशा की तरह उनके द्वारा फोन नहीं उठाया गया।