शिक्षकों की वेतन विसंगति की अजब कहानी: एक साथ जॉइनिंग,लेकिन अलग-अलग मिल रही तनख्वाह.!

Shri Mi
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बिलासपुर(सीजीवालडॉटकॉम)।वेतन के अंतर की राशि का लंबित भुगतान शासन एरियर्स के रूप में भी करती है। छत्तीसगढ़ में रिकॉर्ड रहा है कि शिक्षको को अंतर राशि का भुगतान ब्लॉक स्तर के कार्यालयों से पांच से दस लाख के बीच मे हुआ है। जिसे पाने के लिए भरपूर कमीशन बाजी चली है। नियम कायदों को ताक पर रखा गया है। इसे देते वक्त ब्लॉक के अधिकारी उस दौर में कहा करते थे कि जो गलत तरीके से एरियर्स लिया है बाद में वही इसे भरेगा। शिक्षक संवर्ग का 1997-98 से इतिहास गवाह रहा है कि पंचायत कर्मी से संविलियन के बाद तक शिक्षको की वेतन विसंगति और इसके सुधार की प्रक्रिया बहुत ही पेचीदा और विवादों से भरी रही है।

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जिसकी वजह से वेतन अंतर राशि जो एरियर्स के रूप में मिला है वह भी आधे पूर्व पंचायत शिक्षको को मिला है और आधे आज भी वेतन के अंतर के लिए गणना पत्रक लेकर विभाग के चक्कर काट रहे है। शासकीय शिक्षकों के वेतनमान से 200 से लेकर 500 रुपये का अंतर आज भी है । जो सुधार के बाद लंबित है यह भविष्य में एरियर्स के दावे को मजबूत करेगा। जब निम्न से उच्च पद की गणना करके एरियर्स दिया गया है तो पूर्व विभाग की सेवा अवधि को जोड़ कर मिलने वाले आर्थिक लाभ को देने में नियम कायदे क्यो नजर अंदाज किये गए है।

स्कूल शिक्षा संचालनालय अब तक लीपा पोती वाली जानकारी मंगवा कर खाना पूर्ति करता रहा है। अंतर राशि देने के स्पस्ट नियम कायदे और कितनी राशि अधिकतम और न्यूनतम दी गई है। इसके आंकड़े की जानकारी शायद ही कभी स्कूल शिक्षा संचालको को होगी।

मामले पर शिक्षक नेता कमलेश्वर सिंह का कहना है कि विभाग की कार्यप्रणाली ऐसी है कि पूर्व सेवा की गणना नही की गई है पर निन्म पद से उच्च पद में ही कई शिक्षको ने 10 लाख तक का रुपये तक का एरियर्स दिया गया है। शिक्षक पदोन्नत हो कर उच्चतम वेतनमान पा रहा है पर व्याख्याता अब भी वही है। जितने जिले उतनी पंचायते हुई है जिसकी वजह से सब कुछ उलझ कर रहा गया है। एक साथ भर्ती एक साथ जॉइनिंग फिर भी वेतन अलग अलग है। आज भी कई मामले न्याय आस में चल रहे है। न्याय दरबार मे राज्य शासन ने एक मत होकर अब तक किसी भी विषय पर अपना स्पस्ट मत नही रखा है। ऐसे मामलों पर जिला स्तर के अधिकारी अपनी कलम बचा कर निकल लिए है।

शिक्षक नेता कमलेश्वर सिंह सीजीवाल को बताते है कि राज्य शासन द्वारा समय समय पर 2003, 2007, 2012, एवं 2013 में जो विसंगतिपूर्ण वेतनमान जारी किया था वो अनवरत चलता रहेगा । क्योंकि जब जब वेतनमान में बढ़ोतरी की है तब तब शासकीय शिक्षकों के वेतनमान से 200 से लेकर 500 रू तक कम करके वेतनमान दिया है ।

कमलेश्वर सिंह दीपावली पर फुलझड़ी छोड़ते हुए उदहारण देकर बताते है कि जैसे सहायक शिक्षक (पं/न नि) से त्याग पत्र देकर व्याख्याता (पं/न नि) एवं शिक्षक (पं/न नि) से त्याग पत्र देकर व्याख्याता(पं/न नि) के पद में सीधी भर्ती से नियुक्ति होने के बावजूद निम्न पद की सेवा की गणना कर उच्च पद का 1998 से नियुक्ति शिक्षक एवं व्याख्याता के बराबर वेतन निर्धारण कराकर वेतन ले रहे है और 5 लाख से लेकर 10 लाख तक एरियर्स राशि प्राप्त कर चुके है जबकि पूर्व पद की सेवा की काल्पनिक गणना की गई। जबकि यह केवल वर्तमान अवधि में वेतन निर्धारण के लिए था ना कि वरिष्ठता के लिए परंतु उस अवधि का एरियर्स देना अब समझ नही आया है।

कमलेश्वर सिंह का कहना है कि चूंकि इस विषय पर उच्च न्यायालय के कई आदेशो पर निर्णय लेते हुए पंचायत विभाग ने एरियर्स दिया है इसलिए इस विषय पर राज्य सरकार को पक्ष रखना चाहिए। सेवा पुस्तिका में इंद्राज वेतन इस बात का गवाह है कि न्यायालय के आदेश को आधार बनाया जाए तो प्रदेश के सभी शिक्षकों को समान न्याय नही मिला है।कई शिक्षको को निन्म से उच्च का वेतन दिया जा रहा है जबकि उस अवधि का वेतन देना वित्तीय अनियमता होनी चाहिए क्योंकि उस अवधि में वर्तमान पद की सेवा की ही नहीं है जो जिस पद पर कार्य किया ही नही उस पद का वेतन एरियर्स के रूप में देना 20 वर्ष से एक ही पद में कार्यरत सहायक शिक्षक ,शिक्षक एवम् व्याख्याता के प्रति अन्याय है ।

कमलेश्वर सिंह ने दीपावली पर बम फोड़ते हुए बताया कि 2006 एवं 2007 में पदोन्नत शिक्षकों को पदोन्नत पद के वेतन के आधार पर उच्चतर वेतनमान का वेतन बैंड ए म ग्रेड पे देकर वेतन निर्धारण कर वेतन भुगतान किया जा है एक ही सत्र में एवं तिथि में नियुक्त सहायक शिक्षक, शिक्षक व व्याख्याता के वेतन में 15000 से 20000 रुपये का अंतर आ रहा है । कई ऐसे सहायक शिक्षक (पं/ न नि) है जिन्हे शिक्षक पद एवम् व्याख्याता पद पर दो पदोन्नति मिली है और 1998 से एक ही पद पर कार्यरत व्याख्याता (एल बी ) से 5000 रुपये अधिक वेतन प्राप्त कर रहा है ।

छत्तीसगढ़ शिक्षक कांग्रेस के प्रांतीय महासचिव कमलेश्वर सिंह ने संचालक लोक शिक्षण संचालनालय से यह मांग भी करता है कि जब निम्न से उच्च पद की गाणना करते हुए एरियर्स दिया गया है तो शिक्षको की पूर्व विभाग की सेवा अवधि को जोड़कर एक ही पद में 10 वर्ष की सेवा पूर्ण तिथि से प्रथम 20 वर्ष द्वितीय एवं 30 वर्ष में तृतीय उच्चतर वेतनमान का वेतन बैंड एवं ग्रेड पे प्रदान कर वेतन विसंगति दूर किया जाए। इस विषय पर विभिन्न प्रकरणों की सुनवाई करते हुए माननीय उच्च न्यायालय के आदेश में स्पष्ट कहा है कि एक ही पद में 10 वर्ष सेवा में समयमान की पात्रता रखते है इस निर्देश को अमल में लाया जाए तो सदा के लिए वेतन विसंगति की समस्या समाप्त हो जाएगी और शिक्षक (एल बी)संवर्ग के साथ जो भेदभाव किया जाता है उनका भी हल निकल सकता है।

By Shri Mi
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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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