हजारों वनवासियों के उत्साह ने साबित कर दिया तेन्दूपत्ता बोनस का महत्व-सीएम रमन

Shri Mi
4 Min Read

bonous_tihar_sukmaसुकमा।मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने रविवार को राज्य के अंतिम छोर के जिले सुकमा के  छिंदगढ़ में हुए तेंदूपत्ता बोनस तिहार में बस्तर संभाग के दो जिलों (वन मंडलों)- सुकमा और बस्तर (जगदलपुर) केे 86 हजार 913 तेंदूपत्ता संग्राहकों को दस करोड़ रुपए से ज्यादा का प्रोत्साहन पारिश्रमिक (बोनस) ऑन लाइन वितरित किया। इनमें सुकमा जिले के 55 हजार 448 हितग्राही शामिल हैं, जिन्हें 9 करोड़ 9 लाख 33 हजार रुपए का बोनस मिला। उनके अलावा बस्तर जिले के 31 हजार 865 तेंदूपत्ता संग्राहकों के 92 लाख 49 हजार रूपए का बोनस दिया गया। उन्होंने प्राथमिक वनोपज सहकारी समितियों के सम्मेलन के साथ आयोजित बोनस तिहार में हजारों की संख्या में आए वनवासियों को सम्बोधित किया।सीएम ने कहा हमारे मेहनतकश वनवासी भाई-बहनों के जीवन में तेन्दूपत्ते का बड़ा महत्व है। यह हर साल गर्मियों में उनके लिए अतिरिक्त आमदनी का भी एक प्रमुख जरिया है। बोनस को लेकर उनमें भारी उत्साह देखा जा रहा है। आज के समारोह में हजारों की संख्या में उनकी मौजूदगी से तेन्दूपत्ता बोनस तिहार का महत्व स्वयं साबित हो जाता है। इस अंचल में ढोल और मृदंग की स्वर लहरियां फिर गूंजने लगी हैं।

Join Our WhatsApp Group Join Now

                      सीएम ने कहा कि सुकमा राज्य के अंतिम छोर का नया जिला है। इसका गठन वर्ष 2012 में किया गया था। जब मैने इस अंचल के लोगों की वर्षों पुरानी मांग पर सुकमा को जिला बनाने का निर्णय लिया था, तब कुछ लोगांें ने मेरे इस फैसले का मजाक उड़ाया था, लेकिन आज जनता के सहयोग और शासन-प्रशासन की सक्रियता और तत्परता से सुकमा जिला सामाजिक-आर्थिक विकास के मामले में  एक प्रेरणादायक उदाहरण बन गया है। जिला बनने के सिर्फ पांच वर्ष के भीतर  यहां विकास के कार्योें में तेजी आयी है। सरकार और प्रशासन अब इस क्षेत्र के लोगों के नजदीक है। अब सुकमा क्षेत्र के लोगों को अपनी समस्याओं की जानकारी देने के लिए 400 किलोमीटर दूर राजधानी रायपुर तक सफर नहीं करना पड़ता। कलेक्टर, एसपी और लगभग  सभी विभागों के जिला स्तरीय अधिकारी और उनके कार्यालय यहां खुल चुके हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सुकमा जिले को विकास के मामले में राज्य के दूसरे जिलों की बराबरी पर लाने के लिए सरकार हर संभव प्रयास कर रही है। इसके लिए सड़कों का निर्माण भी जरूरी है। इसलिए जिले में सड़कों का जाल बिछाया जा रहा है। पूरे जिले में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत 112 सड़कों का निर्माण हो रहा है, जिनकी कुल लम्बाई 666 किलोमीटर है। वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों के लिए केन्द्रीय योजना के तहत सुकमा जिले में सात प्रमुख सड़कों का भी निर्माण किया जा रहा है। इनमें से भेज्जी-इंजरम 20 किलोमीटर सड़क तैयार हो गई है।

उन्होंने यह भी कहा कि नक्सल हिंसा और आतंक इस जिले की एक बड़ी समस्या थी, जो जनता के सहयोग से धीरे-धीरे समाप्त हो रही है। मुख्यमंत्री ने कहा – विकास के लिए नक्सल समस्या को खत्म करना बहुत जरूरी है। इस जिले की नई पीढ़ी को शिक्षा की सभी जरूरी सुविधाएं दिलाने के प्रयास किए जा रहे हैं। सुकमा में एजुकेशन हब तेजी से विकसित हो रहा है, जहां दिव्यांग बच्चों के लिए भी शिक्षा की व्यवस्था की गई है।

By Shri Mi
Follow:
पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
close